गिलोय क्या है इसके फायदे एवं नुकशान

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What is Giloy, its Benefits and Loss

गिलोय क्या है ?

गिलोय एक बहुवर्षिय लता होती है। इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह होते हैं। गिलोय को सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। आयुर्वेद में इसे कई अन्य नामों से जाना जाता है जैसे की अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, आदि। ‘बहुवर्षायु तथा अमृत के समान गुणकारी होने से इसे अमृता नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन केसमय जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।

इसका वानस्पतिक नाम ( Botanical name) टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया (tinospora cordifolia) है।

गिलोय जिस पौधे के सहारे ( आधार बनाती) बढ़ती है, उसे कोई नुकसान पहुचाये बिन उसके गुण भी अपने में समाहित कर लेती है। इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय श्रेष्ठ औषधि मानी जाती है। गिलोय की जड़े स्थान -स्थान पर निकलकर नीचे की ओर झूलती रहती हैं। जो जड़ें चट्टानों अथवा खेतों की मेड़ों पर जमीन में घुसकर अन्य लताओं को जन्म देती हैं।

गिलोय के आयुर्वेद में अनेको लाभ बताए गए हैं, जो मानव को न केवल सेहतमंद रखते हैं, बल्कि उसकी सुंदरता को भी निखारते हैं। आइए जानते हैं गिलोय के फायदे…

गिलोय बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है। ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं।

ठीक करती है बुखार

अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए। गिलोय हर तरह के बुखार से लडऩे में मदद करती है। इसलिए डेंगू के मरीजों को भी गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है। डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आने वाले बुखार से भी गिलोय छुटकारा दिलाती है।

डायबिटीज के रोगियों के लिए गिलोय एक वरदान –गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है। इसलिए इसके सेवन से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फायदा टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को होता है।

पाचन शक्ति बढ़ाती है

यह बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद कती है। इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बडिय़ों से बचा रहता है।

स्ट्रेस कम करती है 

गलाकाट प्रतिस्पर्धा के इस दौर में तनाव या स्ट्रेस एक बड़ी समस्या बन चुका है। गिलोय एडप्टोजन की तरह काम करती है और मानसिक तनाव और चिंता (एंजायटी) के स्तर को कम करती है। इसकी मदद से न केवल याददाश्त बेहतर होती है बल्कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली भी दुरूस्त रहती है और एकाग्रता बढ़ती है।

बढ़ाती है आंखों की रोशनी

गिलोय को पलकों के ऊपर लगाने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके लिए आपको गिलोय पाउडर को पानी में गर्म करना होगा। जब पानी अच्छी तरह से ठंडा हो जाए तो इसे पलकों के ऊपर लगाएं।

अस्थमा में भी फायदेमंद

मौसम के परिवर्तन पर खासकर सर्दियों में अस्थमा को मरीजों को काफी परेशानी होती है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए या उसका जूस पीना चाहिए। इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा।

गिलोय से गठिया में मिलेगा आराम

गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। गिलोय में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है।

अगर हो गया हो एनीमिया, तो करिए गिलोय का सेवन

भारतीय महिलाएं अक्सर एनीमिया यानी खून की कमी से पीडि़त रहती हैं। इससे उन्हें हर वक्त थकान और कमजोरी महसूस होती है। गिलोय के सेवन से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ जाती है और एनीमिया से छुटकारा मिलता है।

बाहर निकलेगा कान का मैल

कान का जिद्दी मैल बाहर नहीं आ रहा है तो थोड़ी सी गिलोय को पानी में पीस कर उबाल लें। ठंडा करके छान के कुछ बूंदें कान में डालें। एक-दो दिन में सारा मैल अपने आप बाहर जाएगा।

कम होगी पेट की चर्बी

गिलोय शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिजम) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है। ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है।

यौनेच्छा बढ़ाती है गिलोय

आप बगैर किसी दवा के यौनेच्छा बढ़ाना चाहते हैं तो गिलोय का सेवन कर सकते हैं। गिलोय में यौनेच्छा बढ़ाने वाले गुण पाए जाते हैं, जिससे यौन संबंध बेहतर होते हैं।

खूबसूरती बढ़ाती है और जावा रखती है गिलोय

गिलोय न केवल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है, बल्कि यह त्वचा और बालों पर भी चमत्कारी रूप से असर करती है। गिलोय में एंटी एजिंग गुण होते हैं, जिसकी मदद से चेहरे से काले धब्बे, मुंहासे, बारीक लकीरें और झुर्रियां दूर की जा सकती हैं। इसके सेवन से आप ऐसी निखरी और दमकती त्वचा पा सकते हैं, जिसकी कामना हर किसी को होती है। अगर आप इसे त्वचा पर लगाते हैं तो घाव बहुत जल्दी भरते हैं। त्वचा पर लगाने के लिए गिलोय की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बनाएं। अब एक बरतन में थोड़ा सा नीम या अरंडी का तेल उबालें। गर्म तेल में पत्तियों का पेस्ट मिलाएं। ठंडा करके घाव पर लगाएं। इस पेस्ट को लगाने से त्वचा में कसावट भी आती है।

बालों की समस्या को दूर करे  — लम्बे और घने करती है गिलोय – अगर आप बालों में ड्रेंडफ, बाल झडऩे या सिर की त्वचा की अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं तो गिलोय के सेवन से आपकी ये समस्याएं भी दूर हो जाएंगी।

गिलोय को इस्तेमाल (प्रयोग) कैसे करना है

गिलोय का काढ़ा कैसे बनाये ?

गिलोय का काढ़ा —चार इंच लंबी गिलोय की डंडी को छोटा-छोटा काट लें। इन्हें कूट कर एक कप पानी में उबाल लें। पानी आधा होने पर इसे छान कर पीएं। अधिक फायदे के लिए आप इसमें लौंग,अदरक, तुलसी और शहद भी डाल सकते हैं। इस काढ़े के नियमित उपयोग से आपका इम्युनिटी सिस्टम मजबूत रहेगा और आप स्वस्थ रहेंगे

गिलोय का काढ़ा कितने दिन तक पीना चाहिए?

गिलोय का काढ़ा सामान्य बुखार को तीन दिनों के भीतर ही ठीक कर देता है। इसके अलावा बुखार यदि पुराना हो तो विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार इसका ज्यादा से ज्यादा दिन तक उपयोग किया जा सकता है।

गिलोय जूस

गिलोय की डंडियों को छील लें और इसमें पानी मिलाकर मिक्सी में अच्छी तरह पीस लें। छान कर सुबह-सुबह खाली पेट पीएं। अगर आप घर पर जूस नहीं बनाना चाहते तो बाजार में अलग-अलग ब्रांड का गिलोय जूस उपलब्ध है।

पाउडर

यूं तो गिलोय का पाउडर (चूर्ण) बनाना बहुत ही आसान है। और यह बाजार में भी मासानी से उपलब्ध है। अगर आप इसे घर पर बनाना चाहते है तो उसके लिए सबसे पहले गिलोय की डंडियों को धूप में अच्छी तरह से सुखा लें।

सूख जाने पर मिक्सी में पीस कर पाउडर बनाकर रख लें। हो गया गिलोय पाउडर (चूर्ण) बन कर तैयार है। अब आप इसका सेवन शहद या गर्म पानी के साथ रोज़ सुबह के समय करे आपको कुछ ही दिनों में लाभ देखने में आ जायेगा।

गिलोय वटी

बाजार में गिलोय की गोलियां यानी टेबलेट्स भी आती हैं। अगर आपके घर पर या आस-पास ताजा गिलोय उपलब्ध नहीं है तो आप इनका सेवन करें।

गिलोय अलग-अलग बीमारियों में आएगी काम

अरंडी यानी कैस्टर के तेल के साथ गिलोय मिलाकर लगाने से गाउट(जोड़ों का गठिया) की समस्या में आराम मिलता है।इसे अदरक के साथ मिला कर लेने से रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या से लड़ा जा सकता है।चीनी के साथ इसे लेने से त्वचा और लिवर संबंधी बीमारियां दूर होती हैं।आर्थराइटिस से आराम के लिए इसे घी के साथ इस्तेमाल करें।कब्ज होने पर गिलोय में गुड़ मिलाकर खाएं।

गिलोय के नुकशान (Giloy side effects)

साइड इफेक्ट्स का रखें ध्यान

वैसे तो गिलोय को नियमित रूप से इस्तेमाल करने के कोई गंभीर दुष्परिणाम अभी तक सामने नहीं आए हैं लेकिन चूंकि यह खून में शर्करा की मात्रा कम करती है। इसलिए इस बात पर नजर रखें कि ब्लड शुगर जरूरत से ज्यादा कम न हो जाए। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय के सेवन से बचना चाहिए।पांच साल से छोटे बच्चों को गिलोय न दे।

गिलोय का जूस, काढ़ा,और चूर्ण (पाउडर) घर पर किस प्रकार बनाना है? इसकी पूरी जानकारी आपको पोस्ट में दे दी है। जिससे आप शुद्ध रूप से गिलोय का इसका सेवन कर सकें।

अगर किसी कारणवश घर पर गिलोय का जूस, काढ़ा,और चूर्ण (पाउडर) नहीं बना सकते तो बाजार में गिलोय के के सभी प्रोडक्ट आसानी से उपलब्ध है आप चाहें तो वहां से भी खरीद सकते हैं।

कुछ ऐसे सवाल जो हम सभी के मन में आते है

क्या गिलोय की तासीर गर्म होती है?

हां गिलोय की तासीर गर्म होती है। गिलोय का काढ़ा और जूस बनाकर भी प्रयोग किया जाता है। गिलोय पीने में कड़वा होता है इसके लिए हम काढ़े में शहद मिला सकते है। गिलोय के तने का जूस लेने से डेंगू, त्वचा, आंखों, पेट और आर्थराइटिस में फायदा मिलता है। शरीर में जलन होने पर आंवला के साथ इसका जूस लेने से लाभ होता है

गिलोय के फायदे एवं नुकशान क्या क्या है ?

गिलोय के फायदे– बुखार, पीलिया, गठिया, डायबिटीज, कब्ज़, एसिडिटी, अपच, मूत्र संबंधी रोगों आदि में गिलोय का उपयोग आराम दिलाता है

गिलोय के पत्ते के फायदे—एनीमिया, के रोगी को गिलोय के पत्तों को घी और शहद के साथ मिलाकर देने से खून की कमी दूर होती है.
तथा गिलोय के पत्ते पीलिया के मरीजों के लिए गिलोय लेना बहुत ही फायदेमंद और कई लोगो को पैरों में बहुत जलन तथा हथेलियां हमेशा गर्म रहती है ऐसे लोगों को गिलोय की पत्त‍ियों को पीसकर उसका पेस्ट बनाकर सुबह-शाम पैरों पर और हथेलियों पर लगाना चाहिए

गिलोय के नुकशान — गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय के सेवन से बचना चाहिए।पांच साल से छोटे बच्चों को गिलोय न दे।

गिलोय की कितनी मात्रा लेनी चाहिए?

गिलोय का रस 2-3 ग्राम, चूर्ण 3-4 ग्राम और काढ़े के रूप में 50 से 100 मिलीलीटर लिया जा सकता है

गिलोय की पहचान कैसे करे ?

आयुर्वेद में गिलोय को ज्‍वर (बुखार) की सर्वोत्तम औषधि माना गया है। गिलोय के पत्तों का आकार पान के पत्तों की तरह होता है। इसका तना सफेद से लेकर भूरा रंग का होता है और यह 1 से 5 से. मी की मोटाई तक बढ़ सकता है।

गिलोय का पौधा कैसे लगाएं ?

गिलोय का पौधा उप उष्णकटिबंधीय जलवायु में बलुई दोमट मिट्टी या लाल ,काली मिटटी में उगाया जाता है. गिलोय के तनों की कटाई जून -जुलाई के दौरान की जाती है जो पौधारोपण की सर्वश्रेष्ठ सामग्री है. दो गांठों सहित 6 -8 इंच की कटिंग सीधे रोपी जाती है. मुख्य पौधे से जून – जुलाई में प्राप्त तने 24 घंटों के अंदर खेत में सीधे रोपे जाते हैं

गिलोय कब खाना चाहिए ?

गिलोय का सबसे अधिक सेवन बुखार में किया जाता है. हमेशा जवां बने रहने के लिए भी गिलोय का सेवन किया जाता है. गिलोय का इस्तेमाल पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है. डायबिटीज के रोगी को ब्लड शुगर कम करने के लिए गिलोय खाना फायदेमंद होता है. इसका इस्तेमाल डेंगू में ब्लड प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए किया जाता है. वजन कम करने में गिलोय का जूस काफी लाभकारी होता है.

आप सभी से एक निवेदन –अबी वर्षाऋतु का आगमन हो चूका है अपने घर में जंहा भी उचित स्थान हो (बड़े गमले या आंगन में ) गिलोय की बेल अवश्य लगायें। यह बहु उपयोगी वनस्पति के साथ साथ आयुर्वेद का अमृत है।

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