Diwali 2020 : दिवाली के दिन सिख धर्म के अनुयायी ‘बंदी छोड़ दिवस’ क्यों मनाते हैं

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बंदी छोड़ दिवस क्या है बंदी छोड़ दिवस "प्रिज़्नर रिलीज डे" (Prisoner's release day)
बंदी छोड़ दिवस क्या है बंदी छोड़ दिवस “प्रिज़्नर रिलीज डे” (Prisoner’s release day)

दिवाली (Diwali) के दिन सिख धर्म के अनुयायी ‘बंदी छोड़ दिवस’ “प्रिज़्नर रिलीज डे” (Prisoner’s release day) के नाम से त्यौहार क्यों मनाते हैं ?

What is Prisoner’s release day and learn from it?

सिख दीपावली को बंदीछोड़ दिवस के रूप में मनाते है जिसका अंग्रेज़ी में “प्रिज़्नर रिलीज डे” (Prisoner’s release day) कहते है।सिख इस दिवस (Prisoner’s release day) को बडि खुशी के साथ मनाते है ।

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क्योंकि इसी दिन सच्चाई और अच्छाई की बुराई पर जीत हुई थी। इस दिन सिख के छटे गुरु, गुरु हरगोबिंद जी और 52 हिन्दू राजपूत राजाओं को ग्वालियर किले के कारागार से रिहा किया गया।

सिखों का इतिहास हमेशा ही गौरवशाली रहा है। उन्होंने हमेसा अपने धर्म के साथ-साथ पूरे राष्ट्र की सुरक्षा की। सिखों के इतिहास से ही एक कहानी है बंदी छोड़ दिवस “प्रिज़्नर रिलीज डे” (Prisoner’s release day) की

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जिसके अनुसार सिख दीपावली को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते है। क्युकी इस दिन सिख के छटे गुरु, गुरु हरगोबिंद जी और 52 हिन्दू राजपूत राजाओं को ग्वालियर किले के कारागार से रिहा किया गया।

तब से इस दिन को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस दिवस को हर साल दीपावली (Dipaawali/Diwali) के दिन मनाया जाता है।त्योहार सिख के तीन त्योहारों में से एक है जिनमें दो त्योहार माघी और बैसाखी है

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“प्रिज़्नर रिलीज डे” (Prisoner’s release day) त्यौहार को मनाने के पीछे का इतिहास क्या है

दिवाली (Diwali) के दिन सिख धर्म के अनुयायी ‘बंदी छोड़ दिवस’ “प्रिज़्नर रिलीज डे” (Prisoner’s release day) के नाम से त्यौहार मनाते हैं। इस त्यौहार को मनाने के पीछे का इतिहास बड़ा रोचक है। Amar Ujala की खबर के अनुसार सिख धर्म के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए बादशाह जहांगीर ने सिखों के छठवें गुरू हरगोविंद साहिब जी को बंदी बना लिया।

उसने हरगोविंद साहिब जी को ग्वालियर के किले में कैद कर दिया जहां पहले से ही 52 हिन्दू राजा कैद थे। लेकिन संयोग से जब जहांगीर ने गुरू हरगोविंद साहिब जी को कैद किया, वह बहुत बीमार पड़ गया।

काफी इलाज के बाद भी वह ठीक नहीं हो रहा था। तब बादशाह के काजी ने उसे सलाह दिया कि वह इसलिए बीमार पड़ गया है क्योंकि उसने एक सच्चे गुरु को कैद कर लिया है। 

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अगर वह स्वस्थ होना चाहता है तो उसे गुरु हरगोविंद सिंह को तुरंत छोड़ देना चाहिए। कहते हैं कि अपने काजी की सलाह पर काम करते हुए जहांगीर ने तुरंत गुरु को छोड़ने का आदेश जारी कर दिया।

लेकिन गुरु हरगोविंद सिंह जी ने अकेले रिहा होने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वे जेल से बाहर तभी जायेंगे जब उनके साथ कैद सभी 52 हिन्दू राजाओं को भी रिहा किया जायेगा।

गुरू जी का हठ देखते हुए उसे सभी राजाओं को छोड़ने का आदेश जारी करना पड़ा। लेकिन यह आदेश जारी करते समय भी जहांगीर ने एक शर्त रख दी। उसकी शर्त थी कि कैद से गुरू जी के साथ सिर्फ वही राजा बाहर जा सकेंगे जो सीधे गुरू जी का कोई अंग या कपड़ा पकड़े हुए होंगे।

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उसकी सोच थी कि एक साथ ज्यादा राजा गुरू जी को छू नहीं पायेंगे और इस तरह बहुत से राजा उसकी कैद में ही रह जायेंगे। जहांगीर की चालाकी देखते हुए गुरू जी ने एक विशेष कुरता सिलवाया जिसमें 52 कलियां बनी हुई थीं।

इस तरह एक-एक कली को पकड़े हुए सभी 52 राजा जहांगीर की कैद से आजाद हो गये। जहांगीर की कैद से आज़ाद होने के बाद जब गुरू हरगोविंद सिंह जी वापस अमृतसर पहुंचे । 

तब पूरे गुरुद्वारे में दीप जलाकर गुरू जी का स्वागत किया गया। कुछ समय पश्चात् इस दिन को बंदी छोड़ दिवस “प्रिज़्नर रिलीज डे” (Prisoner’s release day) के रूप में मनाये जाने का फैसला लिया गया। 

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