ओणम पर्व कि खास बात क्या है कि केरल सरकार इसे पर्यटक त्योहार के रूप में मनाती है.

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ओणम पर्व कि खास बात क्या है कि केरल सरकार इसे पर्यटक त्योहार के रूप में मनाती है.
ओणम पर्व कि खास बात क्या है कि केरल सरकार इसे पर्यटक त्योहार के रूप में मनाती है.

दक्षिण भारत में ओणम (Onam 2020) का त्योहार अत्यधिक लोकप्रिय है. केरल में इसे बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है. इस बार कोरोना वायरस के कारण ओणम के त्योहार की चमक फीकी पड़ गई हैं।

ओणम (Onam) को मनाने का उदेश्य खेतों में फसल की अच्छी उपज का होना मनाया जाता है. इस बार ओणम (Onam 2020) सोमवार, 22 अगस्त से 2 सितंबर तक पूरे 10 दिन मनाया जा रहा है. ओणम (Onam 2020) कि मुख्य पूजा (Onam puja) सोमवार, 31 अगस्त को होगी.सबसे खास बात ओणम (Onam) की पूजा मंदिरों में नहीं बल्की घरों में की जाती है.

ओणम शुभ मुहूर्त (Shubh muhurt)
ओणम उत्सव आरंभ 21 अगस्त 2020
ओणम महोत्सव की अंतिम तिथि: 2 सितंबर 2020
ओणम मुख्य पर्व थिरुवोणम नक्षत्र आरंभ तिथि और समय: 30 अगस्त 2020 दोपहर 01:52
थिरुवोणम नक्षत्र समाप्त: 31 अगस्त 2020 दोपहर 03:04 बजे

ओणम (Onam) क्या है

ओणम केरल का एक प्रमुख राजकीय त्योहार है। ओणम का उत्सव सितम्बर में दस दिनों तक चलता है। जो राजा महाबली के स्वागत में प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है। ओणम (Onam) को थिरुवोणम के नाम से भी जाना जाता है। इस उत्सव का आरंभ त्रिक्काकरा (कोच्ची के पास) केरल के एक मात्र वामन मंदिर से प्रारंभ होता है।

ओणम (Onam) क्यों मनाया जाता हैं ?

ओणम (Onam) पर्व को मनाने के पीछे यह कथा प्रचलित है कि, केरल में महाबली नाम का एक असुर राजा था। उसके राज्य में प्रजा अत्यंत सुखी थी तभी भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर आए और तीन पग में उनका पूरा राज्य लेकर उनका उद्धार कर दिया. माना जाता है कि असुर राजा साल में एक बार अपनी प्रजा को देखने के लिए आते हैं. और तभी से केरल में हर साल राजा बलि के स्वागत में ओणम(Onam) का पर्व मनाया जाता है। इसके साथ ही लोग नई फसल की उपज के लिए भी इस पर्व का जश्म मनाते हैं

ओणम (Onam) कैसे मनाया जाता है ?

ओणम (Onam) के पहले दिन यानी कि उथ्रादम की रात घर को सजाया जाता है.प्रत्येक घर आँगन में फूलों की पंखुड़ियों से सुन्दर सुन्दर रंगोलिया (पूकलम) डाली जाती हैं। युवतियां उन रंगोलियों के चारों तरफ वृत्त बनाकर उल्लास पूर्वक नृत्य (तिरुवाथिरा कलि) करती हैं।. फिर थिरूओणम के दिन सुबह पूजा होती है. घर पर ढेर सारे शाकाहारी पकवान बनाए जाते हैं. कहते हैं कि इन पकवानों की संख्‍या 20 से कम नहीं होनी चाहिए.

ओणम (Onam) की थाली को साध्‍या थाली कहा जाता है. इस पूकलम का प्रारंभिक स्वरुप पहले (प्रथम दिन) तो छोटा होता है परन्तु हर रोज इसमें एक और वृत्त फूलों का बढ़ा दिया जाता है।जिसे लगातार 8 दिन तक सजाया जाता है. वहीं नौंवे दिन घर के अंदर भगवान विष्णु की मूर्ति रखी जाती है. जिसकी पूजा में घर के लोग मौजूद होते हैं और लोग गीत गाते हैं. इसके साथ ही रात में समय श्रावण देवता और गणपति की पूजा होती है और 10वें दिन मूर्ति को विसर्जन कर दिया जाता है.

ओणम (Onam) पर्व को अनूठी छटा को बढ़ाने के लिए तरह-तरह के व्यंजन, लोकगीत, नृत्य और खेलों का आयोजन होता है। ओणम के दौरान केरल में कई तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है. इनमें नौका दौड़ा, पूकलम (रंगोली), पुलि कलि (टाइगर डांस) और कुम्‍मातीकलि (मास्‍क डांस) शामिल हैं.ओणम भारत के सबसे रंगारंग त्योहारों में से एक है. इस पर्व की लोकप्रियता इतनी है कि केरल सरकार इसे पर्यटक त्योहार के रूप में मनाती है.

ओणम (Onam) उत्सव के दौरान एक पारंपरिक दावत समारोह का आयोजन होता है. इस समारोह में मीठे व्यंजनों के साथ स्वादिष्ट व्यंजन भी बनते हैं जिनमें पचड़ी काल्लम, ओल्लम, दाव, घी, सांभर, केले और पापड़ के चिप्स मुख्य हैं। सभी लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार वालों को इस पर्व की शुभकामनाएं देते हुए इन सभी व्यंजनों का आनंद लेते है।

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