कौन हैं वसीम रिजवी उन्होंने क्यों इस्लाम धर्म छोड़ सनातन धर्म अपनाया ।why he left Islam and adopted Sanatan Dharma

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why he left Islam and adopted Sanatan Dharma
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कौन हैं वसीम रिजवी उन्होंने क्यों इस्लाम धर्म छोड़ सनातन धर्म अपनाया । Who is Wasim Rizvi why he left Islam and adopted Sanatan Dharma

Waseem rizvi : वसीम रिजवी (Waseem rizvi) उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हैं।ये एक लम्बे समय से इस पद आसीन थे। इन्होंने मायावती, अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ सरकारों के काल में अपना काम अंजाम दिया है। वे फिल्म निर्माता भी हैं।

अपने बयानों से अक्सर सुर्खियां बटोरने वाले उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन रहे वसीम रिजवी (Waseem rizvi) ने कल इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म कबूल कर लिया. धर्म बदलने के बाद उनका नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी हो गया है. उन्होंने गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर में यति नरसिंहानंद गिरी की मौजूदगी में सनातन धर्म ग्रहण किया.

आइए जानते हैं कौन हैं वसीम रिजवी (जितेंद्र नारायण त्यागी) और उन्होंने क्यों इस्लाम धर्म को छोड़ सनातन धर्म को अपनाया है.

वसीम रिजवी (Waseem rizvi) एक सामान्य परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता रेलवे के सामान्य कर्मचारी थे लेकिन जब रिजवी कक्षा 6 की पढ़ाई कर रहे थे तो उनके पिता का इंतकाल हो गया। इसके बाद रिजवी और उनके भाई-बहनों की जिम्मेदारी उनकी माँ पर आ गई। रिजवी अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा हासिल की और आगे की पढ़ाई के लिए नैनीताल के एक कॉलेज में प्रवेश लिया।

इसके बाद वे सऊदी अरब चले गए और एक होटल में निचले दर्जे सफाई का काम करने लगे। बाद में उन्हें जापान जाने का मौका मिला और वहां उन्होंने एक कारखाने में काम किया। इसके बाद उनको अमेरिका में काम करने का मौका मिला जहां उन्होंने एक स्टोर में काम किया।

जब उनके सामाजिक संबंध अच्छे होने लगे तो उन्होंने नगर निगम का चुनाव लड़ने का फैसला किया। रिजवी 2000 में लखनऊ में ओल्ड सिटी के कश्मीरी मोहल्ला वार्ड से समाजवादी पार्टी (सपा) के नगरसेवक चुने गए यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरूआत हुई।और 2008 में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य बने।

2012 में, रिजवी (Waseem rizvi) को छह साल के लिए सपा से निष्कासित कर दिया गया था, उन पर धन के दुरुपयोग का आरोप लगा था। रिजवी को बाद में अदालत से राहत मिली। इसके बाद वो वक्फ बोर्ड के सदस्य बने और उसके बाद चेयरमैन के पद तक पहुंचे। वो लगभग दस सालों तक बोर्ड में रहे

कौन है वसीम रिजवी

वसीम रिजवी का जन्म उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक साधारण परिवार में हुआ. उनकी बेहद कम उम्र में वसीम के पिता का निधन हो गया. वसीम रिजवी अपने सभी भाई-बहनों में बड़े थे इसलिए पिता के बाद सारी जिम्मेदारियां उन पर आ गईं. वसीम नैनीताल से पढ़ाई करने के बाद सऊदी अरब, जापान और अमेरिका में नौकरी की.

10 साल तक शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में रहे

अमेरिका से आने के बाद वसीम रिजवी ने धीरे-धीरे समाज के लोगों में अपनी पैठ जमाई और साल 2000 में कश्मीरी मौहल्ले से नगर निगम का चुनाव सपा के टिकट पर लड़ा. इसके बाद सन 2008 में वे शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के मेंबर बन गए और दस साल तक वक्फ बोर्ड में रहे. हालांकि इस बीच साल 2012 में वक्फ की जमीनों में गड़बड़ियों के आरोप चलते लोगों के निशाने पर भी रहे. इस दौरान समाजवादी ने उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया.

विवादों से है पुराना नाता

नारायण सिंह त्यागा बने वसीम रिजवी अक्सर अपने विवादों के चलते सुर्खियों में रहते हैं. वे इस्लाम की आलोचना करते दिखाई देते हैं. वसीम ने एक किताब लिखी जिसमें इस्लाम और पैगंबर मौहम्मद के बारे में ऐसी टिप्पणी कर दी जिससे उनकी काफी मुखालिफत हुई. यही नहीं उन्होंने कुरान की 26 आयतें हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका तक दायर कर दी थी. धर्म परिवर्तन करने के साथ ही उन्होंने कहा कि मेरी नजर में इस्लाम जैसा कोई धर्म ही नहीं है. सनातन धर्म में सबसे ज्यादा इंसानियत पाई जाती है.

क्यों छोड़ा इस्लाम?

धर्म परिवर्तन करने के बाद नारायण सिंह बने वसीम रिजवी (Waseem rizvi) ने कहा कि मैंने इस्लाम को छोड़ा नहीं है। मुझे तो वहां से निकाला गया है। हम तो इस्लाम को बदलना चाहते थे। जो इस्लाम को मानने वाले हैं, जो कुरान को अल्लाह की किताब कह रहे हैं, वे गलत हैं।

कुरान के अनुसार, एक व्यक्ति दूसरे का सिर काटता है तो वह धर्म के आधार पर सही है, लेकिन इंसानियत के खिलाफ है। मुझे इस्लाम से निकाला गया, क्योंकि मैंने राम जन्मभूमि पर बोला। मोहम्मद के बारे में मैंने कहा कि वे अल्लाह के मैसेंजर नहीं हैं, वे एक अहंकारी व्यक्ति थे।

आज दुनिया में इस्लाम आतंक के नाम से पहचाना जाता है। इस्लाम का दूसरा नाम ही आतंक है। इस आतंक की शुरुआत 1400 साल पहले मोहम्मद ने अरब के रेगिस्तान में की थी। अब मैं सनातन धर्म में आ गया हूं और अब यही रहूंगा और मरुंगा भी यहीं

सवाल: इस्लाम धर्म में आपको क्या बुराइयां दिखीं?

जवाब: इस्लाम में कोई अच्छाई है ही नहीं। अब तो उसको बदलना पड़ेगा। हाल ही में पाकिस्तान में श्रीलंका के एक अधिकारी को बीच सड़क पर मारा गया और वहां एक मजहब के लोग उसके जलते शरीर के साथ फोटो खिंचवा रहे थे। ये इंसानियत के लिए बेहद शर्मनाक बात है। मजहब केवल प्यार सिखाता है। दुनिया का सबसे पहला धर्म सनातन ही है। मेरा अब सनातन धर्म के लिए त्याग करना ही मकसद है और मैं मानव सेवा के लिए ये सब करता रहूंगा।

सवाल: हिंदू धर्म में कई वर्ग और जातियां होती हैं, आप खुद को किस वर्ग का मानते हैं ?

जवाब: आज मैं सनातन धर्म में आया हूं। त्यागी परिवार ने पिता को एक औलाद दी है। भाई को एक भाई दिया है।

सवाल: क्या आपने पूरे परिवार के साथ धर्म परिवर्तन किया है ?

जवाब: कोई तैयार हो या ना हो मैं अपने फैसले खुद लेता हूं। उसमें कोई पंचायत नहीं करता। मैंने फैसला लिया है कि जब हमें बार-बार इस्लाम से निकाला जा रहा है तो मैं अपना धर्म चुन लेता हूं और मैंने अब वही किया है।

सवाल: क्या आपने सनातन धर्म अपनाने से पहले अपने परिवार को बताया था ?

जवाब: मैंने अभी अपने परिवार को इस बारे में नहीं बताया है। अगर वे मेरे साथ सनातन धर्म में आते हैं तो धर्म के मामले में मेरे उनके अच्छे संबंध रहेंगे। उनको भी इस्लाम छोड़ देना चाहिए। अगर वो इस्लाम नहीं छोड़ते हैं तो मैं उनका त्याग करने को तैयार हूं।

सवाल: क्या आप मानते हैं कि बाबरी मस्जिद मंदिर तोड़कर बनाई गई थी ?

जवाब: मैं अकेला ऐसा मुसलमान हूं, जिसने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। मैं यही चाहता था कि वह हिंदुओं की जगह है और हिंदुओं को दी जाए और वहां राम मंदिर बनाया जाए।

सवाल: क्या आपको अपनी जान का खतरा है?

जवाब: मुझे तो तब भी डर था जब मैं मुसलमान था और वे आए दिन मुझे धर्म से निकालते थे। वे तो मेरे पहले भी दुश्मन थे और आज भी दुश्मन हैं। मेरा एक ही सिर है, जिसे वे काटने पर तुले हुए हैं।

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