world heritage day : विश्व धरोहर दिवस का सम्पूर्ण इतिहास

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world heritage day : विश्व धरोहर दिवस का सम्पूर्ण इतिहास
world heritage day : विश्व धरोहर दिवस का सम्पूर्ण इतिहास
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world heritage day : विश्व धरोहर दिवस का सम्पूर्ण इतिहास

विश्व धरोहर दिवस (world heritage day) प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य पूरे विश्व में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाई जा सके।

यह हमारे इतिहास और संस्कृति को सहजने के लिए हमारा एक कदम है। जिससे हम अपनी धरोहरों का संरक्षण करें। इस सालों पहले हुए निर्माण का संरक्षण करना इसलिए भी जरूरी है

क्योंकि समय के साथ सिर्फ इंसान ही नहीं इमारतें भी बुढ़ी होती हैं। ऐसे में जरूरी है कि यह स्थिति निर्मित न हो कि यह जर्जर अवस्था में आएं और हमारे स्वर्णिम इतिहास का कोई प्रमाण न शेष बचे इसलिए संपूर्ण विश्व में 18 अप्रेल को विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाया जाता है।

विश्व धरोहर दिवस का इतिहास

सर्वप्रथम विश्व धरोहर दिवस (world heritage day) 18 अप्रैल, 1982 को ट्यूनीशिया में ‘इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट्स’ द्वारा मनाया गया था। 1968 में एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने विश्व प्रसिद्ध इमारतों और प्राकृतिक स्थलों की रक्षा के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था

जो कि स्टॉकहोम में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पारित किया गया। इसके बाद “यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर” अस्तित्व में आया। 18 अप्रैल, 1978 में विश्व के कुल 12 स्थलों को विश्व स्मारक स्थलों की सूची में शामिल किया गया।

इस दिन को तब ‘विश्व स्मारक दिवस’ के रूप में मनाया जाता था। लेकिन यूनेस्को ने वर्ष 1983 नवंबर माह में इस दिवस को “विश्व विरासत या धरोहर दिवस” के रूप में बदल दिया।

विश्व धरोहर दिवस का महत्व

हमारा अतीत कितना गौरवमयी रहा है उसका साक्षात हस्ताक्षर हैं यह धरोहरें। अतीत के किस्से, निर्णय, युद्ध, महापुरुष, जीत-हार, कला सब इन्हीं से जुड़े हैं। हर देश के पास अपने अतीत की एक कहानी है

जो कि इतिहास के पन्नों पर दर्ज है और ये इतिहास बनता ऐसे ही स्थलों से हैं। इतिहास के अस्तित्व का जीवंत प्रमाण हैं ये धरोहरें। धरोहरें अपनी गाथाएं खुद सुनाती हैं

विश्व धरोहर दिवस की आवश्यकता

घूमना-फिरना तो सभी को अच्छा लगता है। हर देश में इस प्रयोजन के लिए एक से बढ़कर एक स्थल हैं लेकिन जब किसी भी जगह की कला, साहित्य, इतिहास हमें इतना प्रभावित करता है तो सिर्फ घूमना हमारी जिम्मेदारी नहीं होती है। उस स्थान का संरक्षण करना,

उसके प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना हमारा परम कर्तव्य होता है जो कि हम कहीं न कहीं भूल जाते हैं। इन स्थानों को गंदा करना, खिलवाड़ करना ये सब बहुत सामान्य होता जा रहा है इसलिए आवश्यकता है कि सदियों पुरानी हमारे राष्ट्र की विरासत का सही समय पर संरक्षण किया जाए। 

ऐसे मनाया जाता है विश्व धरोहर दिवस

आजकल धरोहरों के संरक्षण के लिए संपूर्ण विश्व में बहुत सारे संगठन काम करते हैं। ऐसे में विश्व धरोहर दिवस पर हेरिटेज वॉक, फोटो वॉक आदि का आयोजन होता है। कई सारे लोग धरोहरों की यात्रा करते हैं,

उनके बारे में जानकारी जुटाते हैं और उनके संरक्षण की शपथ भी लेते हैं। कोरोनाकाल में लेकिन यह सब करना बहुत मुश्किल हो चुका है। ऐसे में सारे कार्यक्रम ऑनलाइन ही होते हैं। धरोहरों के ऑनलाइन टूर्स करवाए जाते हैं।

news by : amarujala

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