करतारपुर साहिब का महत्व

आस्था

Kartarpur Sahib

आज देश के लिए ऐतिहासिक दिन है देश हित में दो महत्वपूर्ण खबरे देखने को मिली है एक अयोध्या में राम मंदिर का विवादित केस में फैसला आना और मोदी जी के द्वारा करतारपुर साहिब कॉरिडोर का उद्घाटन किया जाना दोनों ही मुद्दों के लिए आजादी के बाद से ही आवाज उठती रही है गुरु नानक जी के 550 वे प्रकाश पर्व से पहले उद्घाटन समारोह सम्पन्न हुआ गुरुदेव ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष यही बिताये थे, यह सिख समुदाय का मुख्य तीर्थ स्थल है, करतारपुर तीर्थ स्थल बटवारे के बाद से पकिस्तान में स्थित है, 1965 तक श्रद्धालु रावी नदी पर बने पुल के माध्यम से करतारपुर साहिब दर्शन के लिए जाया करते थे परन्तु 1965 के भारत पाक युद्ध में यह पुल छतिग्रस्त हो गया उसके बाद श्रद्धालुओ को पकिस्तान के लाहौर से 120 किलोमीटर की यात्रा कर करतारपुर साहिब पहुंचना पड़ता था, या भारतीय श्रद्धालु दूरबीन के माध्यम से करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन करते थे जो की भारत की सीमा से केवल 4 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है, इस कॉरिडोर के बन जाने से अब भारतीय श्रद्धालु गुरुद्वारे के अंदर जा कर दर्शन कर सकेंगे इस कार्य में पाकिस्तान ने भी सकारात्मक पहल की है 

आजादी के बाद से ही करतारपुर साहिब को भारत के अधिकार में लेने के लिए मांग उठती रही सन 1969 में गुरु नानक देव की 500वी जयंती के अवसर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंद्रा गांधी ने कहा था की करतारपुर साहिब को पकिस्तान से ले लिया जायेगा और पकिस्तान को इसके बदले जमीन दे दी जाएगी किन्तु यह संभव नहीं हो सका, 1999 में अटल जी ने तीर्थ यात्रियों के लिए करतारपुर साहिब बनाने की पहल की थी और 2004 में पूर्व प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा भी इस मुद्दे को उठाया गया था 2018 में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, 26 नवम्बर 2018 को गुरुदासपुर के मान गांव में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उपराष्ट्रापति वेंकैया नायडू ने इसकी नीव रखी थी. दोनों देशो ने तय समय पर इस कॉरिडोर का कार्य सम्पन्न किया. 

कुछ लोगो का कहना है की भारत -पाकिस्तान के बटवारे के बाद सन 2000 तक गुरुद्वारा साहेब बंद रहा यहाँ पर ग्रामीणों के द्वारा मवेशी पाले जाते थे 2003 के बाद पाकिस्तान की सरकार ने इसे ठीक करने की सुरुवाद की थी.

आप करतारपुर साहिब दर्शन के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते है एक दिन में 5000 श्रद्धालुओ को ही दर्शन की अनुमति दी जाएगी, इसके लिए पासपोर्ट की जरुरत होगी तथा 20 डालर तक का सर्विस शुल्क भी पाकिस्तान दर्शनार्थियों से वसूल करेगा,

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