विश्व प्रसिद्ध सबरीमाला (अयप्पा स्वामी) मंदिर
विश्व प्रसिद्ध सबरीमाला (भगवान अयप्पा स्वामी) का मंदिर भारत के केरल राज्य में है, यह देश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, प्रतिदिन लाखों लोग अयप्पा स्वामी के दर्शनो के लिए आते हैं, इस मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओ का जाना वर्जित है ऐसी मान्यता है की भगवान अयप्पा स्वामी एक ब्रह्मचारि थे उन्ही के ब्रह्मचर्य का पालन हेतु महिलाये उनके मंदिर में प्रवेश नहीं करती है। यह मंदिर साल में दो बार खुलता हैं भगवान अयप्पा के दर्शनों के लिए भक्तगण मिलो की पैदल यात्रा कर यहां पहुंचते है यह मंदिर जंगल के बीच पहाड़ की चोटी पर बना है। भगवान अयप्पा के दर्शनों के लिए भक्तो द्वारा ४१ दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है तथा मांस-मदिरा का त्याग कर व्रत किया जाता है। इस मंदिर को राम भक्त सबरी से जोड़ कर भी देखा जाता
भगवान अय्यप्पा के विषय में अनेको मान्यताये है कुछ शास्त्रों में अयप्पा के विषय में कहा गया है की उनके माता-पिता ने उनकी गर्दन में एक घंटी बांधकर उन्हें छोड़ दिया था। पन्दलम के राजा राजशेखर ने भगवान् अय्यप्पा को पुत्र के रूप में पाला किन्तु राज वैभव छोड़ उन्होंने वैराग्य जीवन यापन करने का निश्चय किया और महल छोड़कर ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे। एक अन्य कथना अनुसार यह भी मान्यता है की समुन्द्र मंथन के समय भगवान शंकर भगवान विष्णु के मोहनी अवतार को देख कर मोहित हो गए और इसी से भगवान अयप्पा का जन्म हुआ।
सबरीमाला (भगवान अयप्पा स्वामी) मंदिर के कुछ रोचक तथ्य।
भारत के केरल राज्य में स्थित शबरीमाला मंदिर मे भगवान अयप्पा को भगतगण भागवान शिव का पुत्र मानते है। कहा जाता है की मंदिर के पास मकर संक्रांति के अवसर पर रात्रि में एक ज्योति (प्रकाश) दिखायी देता है। और इस ज्योति के दर्शनों को ही दुनियाभर से श्रद्धालु प्रत्येक वर्ष यहाँ आते है कहा जाता है की रोशनी दिखने के साथ ही बहुत सोर भी सुनाई देता है लोगो का मानना है की यह एक देव ज्योति है इसे भगवान स्वयं जलाते है
परन्तु मंदिर प्रबंधन और मंदिर के पुजारियों के अनुसार मकर माह के पहले दिन आकाश में दिखाई देने वाले एक खास तारे को ही लोग मकर ज्योति समझते है मान्यता है कि भगवान अयप्पा स्वामी ने शैव और वैष्णवों के बीच एकता कराई थी और उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति भी सबरीमाला में हुई थी
मंदिर की 18 पावन सीढ़ियो की महत्ता
घने जंगल के बीच पहाड़ो से घिरा हुआ भगवान अयप्पा का भव्य मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से लगभग 175 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है इस मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शनों के साथ ही यहाँ की पावन 18 सीढ़ियों का भी विशेष महत्व है प्रथम पांच सीढ़ियों को मनुष्य की पांच इन्द्रियों के साथ जोड़ा जाता है इसके बाद की 8 सीढ़ियों को मानव ह्रदय की भावनाओं से जोड़ा गया है और अगली तीन सीढ़ियों को मनुष्य के साथ तथा अंतिम दो सीढ़ियों को ज्ञान और अज्ञांता का प्रतीक माना जाता है।
सबरीमाला महोत्सव:
केरल के पन्दलम में प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के दिन पन्दलम राजमहल से भगवान अय्यप्पा के आभूषणों को संदूकों में रखकर नब्बे किलोमीटर भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। जिसे पूरा करने में 3 दिन का समय लगता है और इसी रात्रि को पहाड़ की चोटी पर असाधारण चमक (ज्योति) के दर्शन होते है।
भगवान अय्यपा स्वामी के दर्शन
यहां आने वाले श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर दर्शन के लिए आते हैं। यह पोटली नैवेद्य (भगवान को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद) की होती है यहां यह मान्यता है कि रुद्राक्ष या तुलसी की माला पहनकर, सिर पर नैवेद्य रखकर और व्रत रखकर जो भी व्यक्ति आता है उसकी समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सबरीमाला विवाद
सबरीमाला में 10 से 50 वर्ष तक की महिलाओ का प्रवेश निसिद्ध किये जाने से एक नए विवाद को जन्म दे दिया है कुछ लोग इसको महिलाओ के अधिकारों का हनन बताते है तो कुछ लोग इसे महिलाओं के मासिक धर्म के बारे में जोड़ कर गलत ढंग से प्रचारित भी कर रहे है। आज कल हर मीडिया चैनल पर सबरीमाला विवाद पर डिबेट होती रहती है।
कुछ लोग हिन्दू धार्मिक स्थलों को बदनाम करने की कोशिस कर रहे है सेक्युलरिज्म की दुहाई देने वाले तथा कथिक सेक्युलर और वाम-पंथी यह भूल जाते है की यह करोड़ो लोगो की श्रद्धा और विस्वास से जुड़ा हुआ मामला है भागवान अयप्पा स्वामी का मंदिर घने जंगल के बीच में स्थित है और यहाँ पर दर्शन के लिए जाने वाले लोग 41 दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करते है तथा मांस मदिरा त्याग करते है यहाँ बात किसी के संवैधानिक अधिकारों की नहीं है यहाँ पर बात भागवान अयप्पा स्वामी के ब्रह्मचर्य की है। मस्जिदों से लाउड स्पीकर में अजान पर आवाज़ आती है तब कोई कुछ बोलने की हिम्मत नहीं करता, बुरखा प्रथा, तीन तलाक, हलाला,आदि पर वह खामोश क्यों रहते है जो लोग महिलाओ की आजादी के बारे में बेहद चिंतित है कृपिया कर आप इन मुद्दों पर भी बहस कीजिये। सेक्युलरिज्म का एकतरफा खेल जो की पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है यह समाज के लिए बेहद खतरनाक है कुछ लोग देश में इस तरह से विवाद उत्पन्न कर राजनीती कर रहे और देश की संस्कृति और सभ्यता को नष्ट कर रहे है
सनातन धर्म में महिलाओ को पूजा जाता है मेरी सभी से प्राथर्ना है की इसको महिलाओ के अधिकार से जोड़ कर न देखा जाय। मेरा उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओ को आहत करने का नहीं है।
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