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Arcturus covid 19 new variant
Arcturus variant

Arcturus Variant : देश में एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. इसके पीछे कोरोना का नया वैरिएंट आर्कटुरस है, जो पिछले कई वैरिएंट के मुकाबले बहुत ज्यादा प्रभावी है. आर्कटुरस दुनिया के 22 देशों में फैल चुका है. एक्सपर्टस ने इस वायरस को लेकर चेतावनी जारी कर दी है.

एक्सपर्टस के अनुसार, कोरोना के डेल्टा वैरिएंट में स्वाद और गंध नहीं आने जैसे लक्षण दिखाई देते थे. जबकि कोरोना संक्रमित मरीजों में बुखार, गले में खराश, नाक बहना, शरीर में दर्द, दस्त और थकावट जैसे लक्षण होने की संभावना अधिक है. वहीं इस बार के वैरिएंट XBB1.16 के लक्षण पिछले कोविड वैरिएंट से से ज्यादा अलग नहीं हैं.

संक्रमित मरीजों में बुखार, गले में खराश, नाक बहना, खांसी, शरीर में बेचैनी, मांसपेशियों में दर्द, सुस्ती और दस्त जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. गंभीर बीमारी का अनुभव करने वाले मरीजों को सांस लेने में परेशानी और आक्सीजन लेवल डाउन हो जाता है. इसे पहले संक्रमणों या वैक्सीनेशन में इसकी क्षमता को लेकर चिंता जताई गई है कि यह अन्य कोविड प्रकारों से एंटीबॉडी के लिए प्रतिरोधी प्रतीत होता है. इसलिए, रोकथाम पर अधिक ध्यान देना जरूरी हो सकता है.

कितना घातक होगा ये नया वेरिएंट?

अब सवाल ये उठता है कि क्या कोरोना वायरस का ये नया वेरिएंट पिछले वैरिएंट्स की अपेक्षा अधिक घातक है? तो एक्सपर्ट्स के अनुसार यह चिंता का विषय माना जा सकता है। दरअसल आर्कटुरस की स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन होता है जिसके कारण ये संक्रमण और अन्य बीमारियों के जोखिम के ख़तरे को बढ़ाने में काफ़ी तेज़ी लाता है। डॉक्टर मारिया के अनुसार इस वेरिएंट के संक्रमण की गंभीरता में अभी तक किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं देखा गया है

किन्तु बायोलॉजी रिसर्च की वेबसाइट BioRxiv पर प्रकाशित हुई टोक्यो यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि आर्कटुरस वेरिएंट पिछले वेरिएंट क्रैकेन की अपेक्षा लगभग 1.2 गुना अधिक संक्रामक है और यही कारण है कि ये आने वाले समय में पूरे विश्व में फैलने की क्षमता रखता है। इस प्रकार ये वेरिएंट पिछले वैरिएंट्स की तुलना में थोड़ा अधिक घातक हो सकता है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार इस नए वेरिएंट के म्यूटेशन के कारण ये प्रतिरक्षा तंत्र को चैलेंज करता है। आसान शब्दों में कहें तो इस म्यूटेशन के कारण व्यक्ति की इम्यूनिटी पर काफ़ी प्रभाव पड़ता है हालाँकि अभी स्पष्ट रूप से इस बात का दावा नहीं किया जा सकता है कि आर्कटुरस वेरिएंट के मामलों में कोरोना के लिए बनायी गई पहले की वैक्सीन को उपयोग में लाना फ़ायदेमंद होगा या नहीं।

Arcturus Variant
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आर्कटुरस वेरिएंट के लक्षण

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोरोना के इस नए वेरिएंट के कारण बच्चों में ऐसे लक्षण पैदा हो सकते हैं जो ओमीक्रॉन के अन्य वेरिएंट्स में नहीं देखे गए।आर्कटुरस के लक्षण कुछ हद तक कोरोना वायरस के पिछले वेरिएंट के लक्षणों से मिलते जुलते हो सकते हैं लेकिन ये फ्लू के लक्षणों से ज़्यादा मेल खाते हैं। डॉक्टर विपिन वशिष्ठ अनुसार तेज बुखार, ख़ांसी, आँखों में खुजली, आँखों में चिपचिपापन और गुलाबी आँखों जैसे लक्षण भी आर्कटुरस में पाए जाते हैं।

रिचर्ड रिथिंगर जो कि आरटीआई इंटरनेशनल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ हैं, उनका मानना है कि इस वायरस के लक्षण कितने बदल गए हैं और ये पहले की तरह है या नहीं, इस बारे में कुछ भी कह पाना थोड़ी जल्दबाज़ी होगी। कंजंक्टिवाइटिस जो नेत्र का एक संक्रामक रोग है वह भी कोरोना के इस नए वेरिएंट के लक्षण के रूप में बताया जा रहा है।

आर्कटुरस से बचाव कैसे करें?

कोरोना वायरस के किसी भी वैरिएंट से बचाव करना अत्यंत आवश्यक है। जैसा कि ये माना जा रहा है कि कोरोना वायरस का ये नया वेरिएंट आर्कटुरस दरअसल पिछले वैरिएंट्स की अपेक्षा अधिक संक्रामक है तो ऐसे में हमें ज़्यादा जागरूक होने की आवश्यकता है। यदि आपको फ्लू या इस प्रकार के किसी भी तरह के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको तुरंत स्वयं को दूसरों से आइसोलेट या अलग करना चाहिए।

किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर बिलकुल भी घबराएँ नहीं। बदलते मौसम के कारण भी लोगों को फ्लू हो जाता है इसलिए यदि आपको ऐसा कुछ भी लग रहा है तो ऐसे में आपको तुरंत जाँच करानी आवश्यक है।

इस बात का विशेष ख़याल रखें कि बाहर निकलते वक़्त आप मास्क आवश्यक रूप से लगाएँ। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। सार्वजनिक स्थलों पर जहाँ लोगों की भीड़ भाड़ हो वहाँ पर जाने से बचें। वैक्सीन अवश्य लगवाएँ।सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान, गले में ख़राश, नाक बहना और ख़ांसी आना कोरोना वायरस के पुराने लक्षणों के रूप में जाना जाता है लेकिन यह इस नए वेरिएंट में भी पाए जा सकते हैं।

आर्कटुरस से निपटने में टेली मेडिसिन

टेली मेडिसिन उपचार का एक ऐसा माध्यम है जो इंटरनेट तथा संचार माध्यमों के द्वारा लोगों तक पहुंचाया जाता है। टेली मेडिसिन में व्यक्ति को फिजिकल रूप से डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती बल्कि वह इंटरनेट पर वीडियो कॉल अथवा कॉल या मेसेज के माध्यम से डॉक्टर से जुड़ सकता है।

आर्कटुरस वेरिएंट एक घातक संक्रामक वैरिएंट है तो ऐसे में यदि हम टेली मेडिसिन का सहारा लेकर ख़ुद को ठीक करना चाहते हैं तो यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

यदि जाँच में ये बात स्पष्ट हो गई है कि आपको कोरोना का संक्रमण हो गया है तो ऐसे में आप टेली मेडिसिन के माध्यम से अपने डॉक्टर से लाइव जुड़कर अपना इलाज करवा सकते हैं।

टेली मेडिसिन ग्रामीण क्षेत्रों में उपचार सेवाओं को बेहतर बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोकल डॉक्टर भी टेली मेडिसिन के द्वारा लोगों तक अच्छी उपचार सेवा पहुँचा सकते हैं।

यदि आप भी एक डॉक्टर हैं तो आप टेली मेडिसिन को अपनाकर अनेक लोगों तक उपचार पहुँचाने में मदद कर सकते हैं। स्थानीय डॉक्टर जियो इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड से संपर्क करके टेली मेडिसिन के विषय में अधिक जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।

इसके लिए आप जियो की ऑफिशियल वेबसाइट को विज़िट कर सकते हैं। जियो इनोवेशन टेली मेडिसिन के क्षेत्र में एक सराहनीय कार्य कर रहा है। ऐसे में आप अपना रजिस्ट्रेशन इस पोर्टल पर करवा सकते हैं। इससे स्थानीय डॉक्टरों को अनेक लाभ प्राप्त हो सकते हैं। वे न सिर्फ़ अपने स्थानीय लोगों को ही उपचार सेवा उपलब्ध करवा पाएँगे बल्कि वे दूर दूर तक भी लोगों से टेली मेडिसिन के माध्यम से जुड़ने में सक्षम हो सकेंगे। इससे ना सिर्फ़ उनकी ख्याति बढ़ेगी बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति को भी काफ़ी लाभ होगा।

इसलिए आप भी जियो इनोवेशन से जुड़कर टेली मेडिसिन को अपनाकर लाभान्वित हो सकते हैं। एक ऐसे समय में जब कोरोना वायरस का ख़तरा बार बार और घातक रूप में लौटकर आ रहा है तो ऐसे में टेली मेडिसिन के द्वारा न सिर्फ़ अपना बल्कि अपने परिवार और स्थानीय लोगों को भी इस वायरस से लड़ने में मदद कर सकते हैं।