Bharat vs India | India vs Bharat Debate | Bharat ke India banne ki kahani | भारत के इंडिया बनने की कहानी क्या है

हेल्थ
Bharat ke India banne ki kahani
Bharat ke India banne ki kahani

Table of Contents

Bharat vs India | India vs Bharat Debate |Bharat ke India banne ki kahani| भारत के इंडिया बनने की कहानी क्या है

Bharat vs India : भारत’ को भारत कहा जाए या हिंदुस्तान या फिर इंडिया, इसपर देश में बहस छिड़ गई है. दरअसल 5 सितंबर 2023 को ‘जी 20’ के इन्विटेशन कार्ड पर ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा गया, जिसके वायरल होते ही नाम पर विरोध भी शुरू हो गया और देश की राजनीति को एक और मुद्दा मिल गया (Bharat vs INDIA

).

देश की राजनीतिक घटनाक्रमों से अंदाजा लगया जा रहा था कि ‘इंडिया’ के स्थान पर ‘भारत’ के लिए सरकार कुछ करने वाली है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 में भारत को लेकर दी गई जिस परिभाषा में ‘इंडिया, दैट इज भारत’ यानी ‘ इंडिया अर्थात भारत’ के जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, उसमें से सरकार ‘इंडिया’ शब्द को निकालकर सिर्फ ‘भारत’ शब्द को ही रहने देने पर विचार कर रही है.

इंडिया का नाम भारत कर दिया जाएगा? (India To Be Renamed Bharat)

भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 में भारत और इंडिया दोनों ही नाम दर्ज हैं. गौरतलब है कि G20 इन्विटेशन के वायरल होने के बाद से ही नेता, क्रिकेटर्स समेत बहुत से लोग ये अनुमान लगा रहे हैं कि इंडिया का नाम बदलकर भारत किया जाएगा.

गौरतलब है कि कई सरकारी संस्थानों के अंग्रेज़ी नाम में इंडिया और हिन्दी नाम में भारत है, जैसे- रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया को हिन्दी में भारतीय रिज़र्व बैंक कहते हैं. इंडियन रेलवेज़ को हिन्दी में भारतीय रेल कहते हैं.

जून 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की थी PIL

जून 2020 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दर्ज की गई थी. इसमें कहा इंडिया नाम बदलकर भारत करने की अपील की गई थी. देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने ये कहकर याचिका खारिज कर दी कि संविधान में पहले से ही भारत और इंडिया दोनों नाम हैं.

bharat vs india
bharat vs india

भारत नाम कहां से आया ? (Origin of Name Bharat)

संविधान के पहले अनुच्छेद में देश के दो नाम हैं- भारत और इंडिया. ‘भारतवर्ष’ नाम महाभारत काल से संबंधित है. महाभारत के आदिपर्व में शकुंतला और हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत के पुत्र का नाम था, ‘भरत’. कहते हैं ऋषि कण्व ने ‘भरत’ को आशीर्वाद दिया कि आगे चलकर वो चक्रवर्ती सम्राट बनेंगे और उनके नाम से भूखंड को ‘भारतवर्ष’ के नाम से जाना जाएगा.

  • दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र के अलावा भी पौराणिक कथाओं में कई ‘भरत’ का ज़िक्र मिलता है. ‘रामायण’ काल में राजा दशरथ के दूसरे पुत्र का नाम भरत था.
  • नाट्यशास्त्र के रचयिता भरत मुनि थे. एक राजर्षी भरत का भी नाम प्रसिद्ध है जिनसे ‘जड़भरत’ मुहावरा आया.
  • मगध के राजा इन्द्रद्युम्न के दरबार में एक भरत नामक ऋषि थे. पद्मपुराण में एक दुराचारी ब्राह्मण भरत का उल्लेख किया गया है.
  • ऐतरेय ब्राह्मण में भी दुष्यंतपुत्र भरत ही भारत नामकरण के पीछे खड़े दिखते हैं. इस ग्रंथ के अनुसार भरत एक चक्रवर्ती सम्राट हैं, उन्होंने अश्वमेघ यज्ञ किया और उनके राज्य का नाम ‘भारतवर्ष’ पड़ा.
  • मत्स्य पुराण में मनु को ‘भरत’ कहा गया है क्योंकि उन्होंने प्रजा को जन्म दिया, भरन-पोषण किया. जहां मनु का शाषण था उसे ‘भारतवर्ष’ कहा गया.

भारत और इंडिया हमारे संविधान में कहां से आए? (How Did Bharat and India became a part of Indian Constitution?)

भारत के पहले प्रधानमंत्री, जवाहर लाल नेहरू ने अपनी ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ किताब में ‘भारत’, ‘इंडिया’ और ‘हिन्दुस्तान’ तीनों नाम का उल्लेख किया है. जब देश के नामकरण का सवाल आया तो संविधान में सिर्फ़ ‘इंडिया’ और ‘भारत’ ही रखा गया.

‘देश और भूखंड का नाम क्या होगा’,

संविधान सभा ने 17 सितंबर, 1949 को इस विषय पर चर्चा की. जब पहला अनुच्छेद पढ़ा गया, ‘इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा’, ये सुनते ही संविधान सभा के सदस्यों के बीच मतभेद शुरू हो गया. संविधान सभा के कई सदस्यों को ‘इंडिया’ नाम से आपत्ति थी, ये नाम उन्हें ब्रिटिश शासनकाल का परिचायक प्रतीत हुआ.

bharat vs india
bharat vs india

क्या सच में इंडिया नाम अंग्रेज़ों ने दिया था? (Origin of the name India)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कुछ दिनों पहले कहा कि हमें इंडिया नाम का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए और भारत नाम का ही इस्तेमाल करना चाहिए. दुनिया में कहीं भी चले जाइए भारत का नाम भारत ही रहेगा. हमें अपने देश का नाम भारत ही बोलना चाहिए और भारत ही लिखना चाहिए.

G20 संबंधित कुछ आमंत्रण पत्र वायरल हुए जिसमें द्रौपदी मुर्मू को ‘भारत की राष्ट्रपति’ कहा गया. G20 शिखर सम्मेलन के बुकलेट्स में भी,’भारत’ही लिखवाया गया है. ये लिखा गया है कि इस देश का आधिकारिक नाम भारत है.

हिन्दुस्तान नाम कहां से आए? (Origin of India And Hindustan)

कहते हैं ‘हिन्दुस्तान’ नाम ‘हिन्दू’ शब्द से आया. हिन्दू शब्द संस्कृत के सिंधु शब्द से आया. वो ‘स’ को ‘ह’ बोलते थे. फ़ारसियों ने सिंधु को बदलकर हिन्दु किया. 262 ईस्वी में ईरान के सासानी सम्राट शापुर प्रथम के नक्श-ए-रुस्तम शिलालेख में हिन्दुस्तान शब्द का इस्तेमाल किया गया.

एक मान्यता ये भी है कि हिन्दुकुश पर्वत के पीछे बसे भूखंड को ‘हिन्दुस्तान’ नाम दिया गया. अरब के लोगों ने हमारे देश को अल हिन्द नाम दिया.

जब तुर्क आक्रमणकारियों ने भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी सल्तनतें बनाई तब उन्होंने भी इस भूखंड के लिए ‘हिन्दुस्तान’ नाम का इस्तेमाल किया. दिल्ली के मामलुक सल्तनत ने भी इस प्रांत को हिन्दुस्तान कहा.

दरअसल पीएम नरेंद्र मोदी शनिवार को G20 की बैठक का शुभारंभ कर रहे थे. प्रधानमंत्री देश में आए मेहमानों को संबोधित कर रहे थे, ठीक उसी दौरान उनकी टेबल पर रखी लकड़ी की नेमप्लेट पर रोमन में ‘भारत’ लिखा हुआ था, जिसे पूरा देश ही नहीं पूरी दुनिया देख रही थी .

तो क्या सरकार की मंशा पूरी दुनिया में इंडिया की पहचान भारत नाम से कराने की है? या भारत लिखकर सरकार कुछ संदेश देना चाहती हैं. क्योंकि कुछ देर में ही केंद्रीय मंत्री स्‍मृति ईरानी ने ट्वीट कर लिखा.’उम्मीद और विश्वास का नया नाम – भारत’.पीएम की टेबल पर रोमन में लिखे भारत को लेकर तमाम तरह के कयासों के साथ कई तरह के सवाल भी किए जा रहें हैं.

bharat vs india
bharat vs india

क्या बिना संविधान संशोधन के ऐसा किया जा सकता है कि देश में हो रहे किसी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अपने देश का नाम भारत लिखा जाए. क्या सरकार संविधान संशोधन की जटिल प्रक्रिया से बचने के लिए इस तरह का आसान तरीका अपना रही है,क्या संयुक्त राष्ट्र इसे स्वीकार करेगा?

क्या संयुक्त राष्ट्र में भारत लिखने के लिए संविधान संशोधन जरूरी होगा

विनय काटजू कहते हैं कि चूंकि संयुक्त राष्ट्र में अल्फाबेट के हिसाब से सीट निर्धारित होती है.इसलिए वहां नाम बदलने की अर्जी देनी होगी. पर इसके लिए  ये जरूरी नहीं है कि पहले देश में संविधान संशोधन हो. आपके देश में संविधान में क्या है,इससे यूएन को कोई मतलब है नहीं.भारत सरकार जब चाहे संयुक्त राष्ट्र में अपने नाम बदल सकती है.

संविधान के हिंदी अनुवाद को कानूनी अधिकार

विनय काटजू कहते हैं कि 58वें संविधान संशोधन में संविधान के हिंदी अनुवाद को भी पूरी कानूनी अथॉरिटी मिल गई है.यह इसलिए किया गया है कि विधि प्रक्रिया में संविधान का आसानी से प्रयोग किया जा सके, इसके लिए आवश्यक है कि इसका हिन्दी पाठ भी प्राधिकृत हो.इस संविधान संशोधन में यह प्रावधान किया गया है कि संविधान का कोई भी हिन्दी संस्करण न केवल संवैधानिक सभा द्वारा प्रकाशित हिन्दी अनुवाद के अनुरूप हो, बल्कि हिन्दी म केंद्रीय अधिनियमों के प्रधिकृत पाठों की भाषा, शैली व शब्दावली के भी अनुरूप हो.इसके संशोधन के चलते इंडिया की जगह भारत लिखा है तो उसे चैलेंज नहीं किया जा सकता.

भारत पूरी तरह कानून सम्मत

कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी ऑफिशियल कम्युनिकेशन में इंडिया की जगह भारत के इस्तेमाल में कुछ भी गैरकानूनी नहीं है. क्योंकि यह संविधान का हिस्सा है. जिसमें लिखा है कि इंडिया, दैट इज भारत. विशेषज्ञ जरूर यह बात कहते हैं कि अगर संविधान की प्रस्तावना मं इंडिया की जगह भारत करना हो तो इसके लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित कराना होगा. साथ ही आधे से अधिक राज्यों जब अनुमोदन करेंगे करेंगे तो तभी संविधान संशोधन हो सकेगा.

G20 summit शुरू होने के साथ देश का नाम औपचारिक रूप से ‘भारत’हुआ

मात्र जी-20 सम्मेलन में पीएम की सीट पर रोमन में BHARAT लिखे होने भर औपचारिक रूप से तो नहीं पर अनौपचारिक रूप से जरूर पहचान बन गई.यह एक संकेत भी है कि आगामी दिनों में होने सम्मेलनों में अब इंडिया की जगह भारत ही लिखा मिलने वाला है.भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र में भी नाम परिवर्तन के लिए ऑपलिकेशन लगा सकती है.