Dhanteras 2021 :जानिए धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त, किस मुहूर्त पर करें खरीददारी
Dhanteras 2021 Date, Puja Timings, Muhurat: इस दिन मां लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर, धन्वंतरि जी और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। इस दिन सोने-चांदी और घर के लिए बर्तन खरीदने की भी परंपरा है।
Dhanteras : हिंदू धर्म में दिवाली के त्योहार का बहुत महत्व है। दिवाली का पर्व धनतेरस से आरंभ हो कर भाई दूज पर समाप्त होता है। लेकिन क्या आप ये जानते है की दीपावली के पहले ये धनतेरस (Dhanteras 2021) का त्यौहार क्यों मनाया जाता है. धनतेरस (Dhanteras 2021) इसलिए मनाया जाता क्योंकी इस दिन भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है।
ऐसी मान्यता है की धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि समुन्द्र मंथन से प्रकट हुवे थे, जिन्हे आयुर्वेद का देवता भी कहा जाता है, इसी दिन माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर की पूजा की जाती है जिनको की धन का देवता माना जाता है|
धनतेरस को क्या खरीदना चाहिए
इस दिन (Dhanteras 2021) सोने-चांदी के आभूषण, बर्तन, झाड़ू खरीदना और गणेश की नई प्रतिमा को घर लाना भी शुभ माना जाता है, गणेश जी की प्रतिमा के साथ में माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा को शुभ माना जाता है
कहते हैं कि इस दिन (Dhanteras 2021) जिस भी चीज की खरीददारी की जाती है उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है. भारत में इस दिन ज्यादातर लोग बर्तन व सोने -चांदी के आभूषण खरीदते है। ऐसा माना जाता है, कि Dhanteras दिन आभूषण खरीदना शुभ होता है।
धनतेरस की पूजा विधि
धनतेरस (Dhanteras) के दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी,और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है, ऐसी मान्यता है कि इस दिन धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा को धूप और दीपक आरती करे. साथ ही फूल अर्पित कर सच्चे मन से उनकी पूजा करें. उन्हें खीर का भोग लगाएं। भगवान धन्वंतरि को श्रीफल व दक्षिणा चढ़ाएं। पूजा के अंत में कर्पूर से आरती करें। फिर घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं। एक दीपक यम देवता के नाम का जलाएं।
Dhanteras 2021 : इस बार आरोग्यता प्रदान करने वाले भगवान धनवंतरी और धन के देवता कुबरे (Kuber)के पूजन का पर्व धनतेरस 3 नवंबर को होगा।
धनतेरस (Dhanteras) के दिन शुभ मुहूर्त्त में चौकी पर कपड़े का साफ आसन बिछाये अब गणेश जी के दाहिने हाथ पर धनाध्यक्ष कुबेर (Kuber), इंद्र की प्रतिमा या प्रतीक स्वरूप सुपारी स्थापित करना चाहिए। केसर युक्त चंदन से अष्टदल कमल बनाये । उस पर घर में जो लक्ष्मी (चांदी के सिक्के, रुपए आदि) को स्थापित कर पूजा करे ।
सर्वप्रथम पूर्व या उत्तराभिमुख हो आचमन, मार्जन, प्राणायाम कर अपने उपर व पूजा सामग्री पर पवित्रीकरण मंत्र पढ़ते हुए जल छिड़के। जल, अक्षत, पुष्प आदि लेकर संकल्प करें। सबसे पहले भगवान गणेश फिर कलश, षोडशमातृका पूजन करें।फिर धनाध्यक्ष कुबेर (Kuber), इंद्र, द्रव्य – लक्ष्मी, भगवान धनवंतरी की पूजा करें। विधि पूर्वक पूजा कर हाथ जोड़कर प्रार्थना करें। व्यापारिक प्रतिष्ठानों, तिजोरी आदि पर स्वस्तिक – चिन्ह, शुभ – लाभ सिंदूर से लिखें।लक्ष्मी पूजन के समय कुबेर (Kuber) का आव्हान करे।
अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए यम दीपदान करे। प्रदोष काल में घर के मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण मुख होकर आसन पर बैठे। एक कपड़े पर अनाज रखें और उस पर एक मिट्टी का दीपक चार बत्ती तेल से भरकर रखें। बत्ती जलाकर उस दीपक की कंकू, अष्टगंध, धानी (खिल्ली), पतासे से पूजन करें।धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर एवं श्री गणेश की पूजा-आरती प्रमुखता से की जाती है।
धनतेरस के दिन की परंपरा
- धनतेरस के दिन पीतल, चांदी, स्टील के बर्तन खरीदने की परंपरा है। मान्यता है इस दिन बर्तन खरीदने से धन समृद्धि आती है।
- इस दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीपक जलाये जाते हैं। क्योंकि इस दिन से दीपावली के त्योहार की शुरुआत हो जाती है।
- धनतेरस पर शाम के समय एक दीपक यम देवता के नाम पर भी जलाया जाता है। मान्यता है ऐसा करने से यमदेव प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से सुरक्षा करते हैं।
धनतेरस कब मनाया जाता है.
धनतेरस का पर्व हर साल दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के 13वें दिन धनतेरस मनाया जाता है. धनतेरस से ही दीपावली के त्यौहार की शुरुआत होती है.
धनतेरस पर क्या खरीदें?
इस दिन नई चीजें जैसे सोना, चांदी, पीतल खरीदना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन धनिया, झाड़ू और गणेश की नई प्रतिमा को घर लाना भी शुभ माना जाता है, गणेश जी की प्रतिमा के साथ में माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा को शुभ माना जाता है, कहते हैं कि इस दिन जिस भी चीज की खरीददारी की जाती है उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है।
मां लक्ष्मी की आरती (Maa lakshmi ki Aarti)
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
दुर्गा रूप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
भगवान कुबेर जी आरती (Bhagwan Shri Kuber Ji Aarti)
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे।
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करें॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
बल बुद्धि विद्या दाता,
हम तेरी शरण पड़े,
स्वामी हम तेरी शरण पड़े,
अपने भक्त जनों के,
सारे काम संवारे॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
मुकुट मणी की शोभा,
मोतियन हार गले,
स्वामी मोतियन हार गले।
अगर कपूर की बाती,
घी की जोत जले॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी,
मनवांछित फल पावे।
॥ इति श्री कुबेर आरती ॥
गणेश जी की आरती, (Ganesh Ji Ki Aarti)
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महाद ..
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी। माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अन्धे को आँख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥