Dhanteras : जानिए धनतेरस पूजा विधि और महत्‍व

आस्था

हिन्दू धर्म में धनतेरस का बड़ा ही महत्व है, लेकिन क्या आप ये जानते है की दीपावली के पहले ये धनतेरस का त्यौहार क्यों मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है की धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि समुन्द्र मंथन से प्रकट हुवे थे, जिन्हे आयुर्वेद का देवता भी कहा जाता है, इसी दिन माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर की पूजा की जाती है  जिनको की धन का देवता माना जाता है|  

धनतेरस कब मनाया जाता है.

धनतेरस का पर्व हर साल दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है. हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के 13वें दिन धनतेरस मनाया जाता है. धनतेरस से ही दीपावली के त्यौहार की शुरुआत होती है.

धनतेरस को क्या खरीदना चाहिए

इस दिन सोने-चांदी के आभूषण, बर्तन, झाड़ू खरीदना और गणेश की नई प्रतिमा को घर लाना भी शुभ माना जाता है, गणेश जी की प्रतिमा के साथ में माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा को शुभ माना जाता है, कहते हैं कि इस दिन जिस भी चीज की खरीददारी की जाती है उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है. 

धनतेरस की पूजा विधि

धनतेरस के दिन भगवान धन्‍वंतरि, मां लक्ष्‍मी,और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है, ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन धन्‍वंतरि की पूजा करने से आरोग्‍य और दीर्घायु  की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान धन्‍वंतर‍ि की प्रतिमा को धूप और दीपक आरती करे. साथ ही फूल अर्पित कर सच्‍चे मन से उनकी पूजा करें. 

मां लक्ष्‍मी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥

उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

दुर्गा रूप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्‍गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥

महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥