Dr Kamal Ranadive:डॉक्टर कमल रणदिवे कौन थीं , क्यों बनाया है गूगल ने उनका डूडल

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कमल रणदिवे ने कैंसर पर शोध किए, रणदिवे 1982 में पद्म भूषण
Dr Kamal Ranadive

Dr Kamal Ranadive : डॉक्टर कमल रणदिवे कौन थीं , क्यों बनाया है गूगल ने उनका डूडल – why Google has made Dr.Kamal Ranadive doodle

Kamal Ranadive : आज के समय में कौन सा ऐसा क्षेत्र है जहां महिलाएं काम नहीं करतीं। खासकर भारत में जहां महिलाओं को कई दशक पहले अच्छी गृहणी बनने की सीख घर-घर में दी जाती थी वहीं वे आज के समय में घर के कामों और नौकरी दोनों में अच्छा कर रही हैं,

लेकिन कभी आपने सोचा कि भारत में किसने ये शुरुआत की। वर्तमान में जो महिलाओं की स्थिति है जो कद है उसकी शुरुआत कई महिलाओं ने की जिसमें से एक का ज़िक्र आज मैं आपसे करने जा रही हु। और वो महिला है, डॉ कमल जयसिंह (Dr.Kamal Ranadive) रणदिवे जिन्हे भारत सरकार द्वारा चिकित्सा विज्ञान (medical science) के क्षेत्र में सन1982 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये महाराष्ट्र (पुणे) से हैं।कमल समरथ (Kamal Samarth) जिन्हें कमल रणदिवे के नाम से जाना जाता है, का जन्म आज ही के दिन (8 नवंबर 1917) में महाराष्ट्र (पुणे) , भारत में हुआ था।

8 नवंबर 2021 को गूगल (Google) ने डूडल (doodle) के द्वारा डॉ कमल जयसिंह रणदिवे (Dr.Kamal Ranadive) का जन्मदिन मनाया

Google आज (8 नवंबर 2021) डूडल बनाकर भारतीय सेल जीवविज्ञानी डॉ कमल रणदिवे (Dr.Kamal Ranadive)जिन्हें कमल समरथ के नाम से जाना जाता है, का 104 वां जन्मदिन मना रहा है। रणदिवे को उनके अभूतपूर्व कैंसर अनुसंधान और विज्ञान शिक्षा (cancer research and science education) के माध्यम से एक अधिक न्यायसंगत समाज बनाने के लिए जाना जाता है।

आज का डूडल (doodle) भारत के गेस्ट आर्टिस्ट इब्राहिम रयिन्ताकथ द्वारा बनाया गया है। आज के डूडल (doodle) के लिए अपनी प्रेरणा के बारे में बात करते हुए, रयिन्ताकथ ने कहा: “मेरी प्रेरणा का मुख्य स्रोत 20 वीं शताब्दी की लैब अस्थेटिक्स और कुष्ठ व कैंसर से संबंधित कोशिकाओं की सूक्ष्म दुनिया थी।” उनके द्वारा बनाए गए डूडल (doodle) में डॉ रणदिवे (Dr.Kamal Ranadive )एक माइक्रोस्कोप (microscope) को देख रही हैं।

कमल रणदिवे (Kamal Ranadive)ने शुरुआती दौर में कैंसर (cancer) पर कई शोध किए। वास्तव में, स्तन कैंसर (Breast Cancer) की घटना और आनुवंशिकता (heredity) के बीच संबंध का प्रस्ताव रखने वाली वह पहली शख्स थीं। इस बात की पुष्टि बाद में कई शोधकर्ताओं ने भी की। किस्मत से कमल का जन्म उस घर में हुआ जहां के पुरुष लड़कियों को पढ़ाने और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना गलत नहीं समझते थे।

लेकिन उनके पिता का उद्देश्य था कि घर के सभी बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिले खासकर बेटियों को। मेडिकल एजुकेशन (medical education) के लिए कमल समरथ को उनके पिता ने प्रेरित किया। कमल के पिता दिनकर पुणे के फर्गसन कॉलेज (Ferguson College) में एक जीवविज्ञान (biology) के प्रोफेसर (Professor) हुआ करते थे।

कमल अपने पिता की उमीदों पर एकदम खरी उतरीं। उन्होंने जीवन की हर परीक्षा अच्छे अंकों से पास की। कमल हमेशा कुछ नया सीखती और उसमें अच्छा कर के दिखतीं। इसी तरह बेटी का दिमाग देख उनके पिता चाहते थे कि कमल डॉक्टर बनें और उनकी शादी भी किसी डॉक्टर से ही हो, लेकिन कमल ने वो रास्ता नहीं चुना उन्होंने फर्गसन कॉलेज से वनस्पति विज्ञान और जूलॉजी (botany and zoology) में स्नातक की पढ़ाई की और भारत की पहली और अग्रणी महिला वैज्ञानिकों (women scientists) में से एक बनकर उभरीं। वह भारतीय महिला वैज्ञानिक संघ (IWSA) की प्रमुख संस्थापक सदस्य भी थीं।