Ganesh Chaturthi 2023 | history of ganesh utsav in hindi  | Ganesh Chaturthi Rituals Performed During the 10-day Ganesh Utsav  | Ganesh Chaturthi Avahana and Pran Pratishtha Ritual

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Ganesh Chaturthi 2023
Ganesh Chaturthi 2023

Ganesh Chaturthi 2023 | history of ganesh utsav in hindi  | Ganesh Chaturthi Rituals Performed During the 10-day Ganesh Utsav | Ganesh Chaturthi Avahana and Pran Pratishtha Ritual

Ganesh Chaturthi 2023 : हिंदू धर्म में भगवान गणेश

को प्रथम पूज्य देवता माना गया है. किसी भी शुभ और मांगलिक कार्यक्रम में सबसे पहले गणेशी जी वंदना और पूजा की जाती है. भगवान गणेश बुद्धि, सुख-समृद्धि और विवेक का दाता माना जाता है.गणेश जी की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी तरह की बाधाएं और संकट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

Ganesh Chaturthi 2023 Date and Puja vidhi : सनातन धर्म में सबसे लोकप्रिय त्योहार में से एक गणेश उत्सव की शुरूआत जल्द ही होने वाली है. ये पर्व पूरे 10 दिन बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दौरान भगवान गणेश की प्रतिमा जगह-जगह विराजमान कराई जाती है देशभर गणेशोत्सव का पर्वभ बड़े ही जोश, उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता है.और उसकी विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया जाता है. 10 दिन भक्ति भाव से पूजा करने के बाद 11वें दिन भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.

गणेश चतुर्थी पर घर-घर भगवान गणेश की प्रतिमा का स्थापित किया जाता है। इसके अलावा बड़े-बड़े पांडालों में भी गणेश भगवान की भव्य प्रतिमा का स्थापित कर 10 दिनों तक पूजा-अर्चना का कार्यक्रम चलता है

गणेश चतुर्थी 2023 उत्सव की तिथि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर हुआ था. इस साल 19 सितंबर 2023, दिन मंगलवार से गणेश उत्सव का शुभारंभ हो रहा है. 10 दिन हर्षोल्लास के साथ इस त्योहार को देश भर में मनाया जाएगा जिसके बाद 28 सितंबर 2023, दिन गुरुवार को भगवान गणेश का विसर्जन किया जाएगा.

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गणेश चतुर्थी 2023 का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल 18 सितंबर 2023, दिन सोमवार को दोपहर 12:39 बजे से गणेश चतुर्थी की शुरुआत हो रही है. चतुर्थी तिथि का समापन अगले दिन यानी मंगलवार, 19 सितंबर को रात 08:43 बजे होगा. भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:01 बजे से दोपहर 01:28 बजे तक रहेगा. बप्पा की पूजा के लिए 2 घंटे 27 मिनट का समय प्राप्त होगा. ज्योतिष शास्त्र के जानकार की सलह है कि गणेश चतुर्थी पर सुबह 09:45 बजे से रात 08:44 बजे तक चंद्रमा के दर्शन से बचें.

Ganesh Chaturthi Avahana and Pran Pratishtha Ritual
Ganesh Chaturthi Avahana and Pran Pratishtha Ritual

गणेश चतुर्थी 2023 पूजा

  • गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं.
  • इसके बाद पूजा घर की अच्छी तरह साफ सफाई करके भगवान गणेश की विधिवत उपासना करें.
  • इसके के लिए शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में लकड़ी की चौकी स्थापित करें.
  • अब चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं.
  • इसके बाद बप्पा की प्रतिमा को इस चौकी पर विराजमान करें.
  • नियमित रूप से प्रतिदिन भगवान गणेश की उपासना करें.
  • 11वें दिन श्रद्धा भाव से भगवान गणेश को विदा करें.

गणेश चतुर्थी पूजा विधि

गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान मे रखकर सबसे पहले अपने घर के उत्तर भाग, पूर्व भाग, अथवा पूर्वोत्तर भाग में गणेश जी की प्रतिमा रखें। फिर पूजन सामग्री लेकर शुद्ध आसन पर बैठें ।पूजा सामग्री में दूर्वा, शमी पत्र,लड्डू, हल्दी, पुष्प और अक्षत से ही पूजन करके गणेश जी को प्रसन्न किया जा सकता है। गणेश जी की आराधना केवल दूर्वा से भी की जा सकती है । सर्वप्रथम गणेश जी को चौकी पर विराजमान करें और नवग्रह, षोडश मातृका आदि बनाएं । चौकी के पूर्व भाग में कलश रखें और दक्षिण पूर्व में दीया जलाएं ।

अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ॐ पुंडरीकाक्षाय नमः कहते हुए भगवान विष्णु को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें तथा माथे पर तिलक लगाएं । यदि आपको कोई भी मंत्र नहीं आता तो ‘ॐ गं गणपतये नमः । इसी मंत्र से सारी पूजा संपन्न कर सकते हैं । हाथ में गंध अक्षत और पुष्प लें और दिए गए मंत्र को पढ़कर गणेश जी का ध्यान करें । इसी मंत्र से उन्हें आवाहन और आसन भी प्रदान करें ।

पूजा के आरंभ से लेकर अंततक अपने जिह्वा पर हमेशा ॐ श्रीगणेशाय नमः । ॐ गं गणपतये नमः । मंत्र का जाप अनवरत करते रहें । आसन के बाद गणेश जी को स्नान कराएं । पंचामृत हो तो और भी अच्छा रहेगा और नहीं हो तो शुद्ध जल से स्नान कराएं ।

उसके बाद वस्त्र, जनेऊ, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि जो भी संभव यथाशक्ति उपलब्ध हो उसे चढ़ाएं । पूजा के पश्चात इन्हीं मंत्रों से गणेश जी की आरती करें । पुनः पुष्पांजलि हेतु गंध अक्षत पुष्प से इन मंत्रों ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात् । से पुष्पांजलि अर्पित करें, तत्पश्चात गणेश जी की तीन बार प्रदक्षिणा करें

गणेश चतुर्थी इतिहास

गणेश चतुर्थी इस त्यौहार को भव्य तरीके से मनाने की शुरुआत छत्रपति शिवाजी महाराज के समय से हुई है। हालाँकि, इस त्योहार को लोगों को एकजुट करने और उनके बीच जातिवाद की खाई को पाटने के लिए बाल गंगाधर तिलक द्वारा पुनर्जन्म दिया गया था। उन्होंने 1893 में गिरगांव में पहला और सबसे पुराना मंडल, केशा केशवी नाइक चॉल सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल की स्थापना की। राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने के लिए, उन्होंने उत्सव के दौरान भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने की परंपरा भी शुरू की। लोगों का मानना है कि वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सार्वजनिक स्थान पर भगवान गणेश की मिट्टी की बड़ी मूर्ति स्थापित की और 10 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम की शुरुआत की।।

FAQ :

Q : गणेश चतुर्थी पर गणेश जी की घर पर स्थापना करने की प्रथा कब शुरू हुई ?

Ans : यह बाल गंगाधर तिलक जी ने सारे हिन्दू समाज में फैली असामाजिकता को दूर करके लोगों को एक साथ लाने के उद्देश्य से शुरू की थी

Q : 2023 में गणेश चौथ कब है?

Ans : हिंदू पंचांग के अनुसार, 18 सितंबर 2023 के दिन गणेश चतुर्थी की शुरुआत दोपहर के समय 2 बजकर 09 मिनट पर होगी, जो 19 सितंबर के दिन दोपहर के 3 बजकर 13 मिनट तक रहने वाली है।

Q : गणेश विसर्जन कब है 2023?

Ans : गुरुवार 28 सितंबर 2023 इस दिन गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।

Q : गणपति विसर्जन क्यों किया जाता है?

Ans : गणेश चतुर्थी का उत्सव जन्म, जीवन और मृत्यु के चक्र के महत्व को भी दर्शाता है । ऐसा माना जाता है कि जब गणेश जी की मूर्ति को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है तो वह अपने साथ घर की विभिन्न बाधाओं को भी ले जाती है और विसर्जन के साथ ही ये बाधाएं भी नष्ट हो जाती हैं।

Q : गणेश जी का प्रिय फूल कौन सा है?

Ans : लाल रंग का गुडहल का फूल गणपति को अति प्रिय है

Q : गणेश जी की सूंड का मुंह किधर होना चाहिए?

Ans : वास्तु शास्त्र के अनुसार, गणपति जी की मूर्ति घर लाते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें कि उनकी सूंड बाई ओर झुकी हुआ है। क्योंकि यह दिशा सफलता और सकारात्मक ऊर्जा को दर्शाती है।

Q : कौन से रंग की गणेश मूर्ति घर के लिए अच्छी है?

Ans : कई वास्तु विशेषज्ञ भगवान गणेश की सफेद मूर्ति को सही दिशा में रखने की सलाह देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि सफेद मूर्ति सद्भाव, शांति और समृद्धि को आमंत्रित करती है। अगर आप आत्म-विकास और सफलता चाहते हैं तो आप भगवान गणेश की सिन्दूर लगी मूर्ति भी घर ला सकते हैं।