भारत के धार्मिक स्थलो के नाम जिनमे पुरुषों का प्रवेश वर्जित है

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हमारे देश (भारत) में कुछ धार्मिक स्थल ऐसे है जिनमे महिलाओं का प्रवेश वर्जित है उन्हें धार्मिक स्थलो के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया जाता है इस बात को हम सुब जानते है लेकिन क्या आपको पता है की हमारे ही देश में कुछ धार्मिक स्थलो पर पुरुषों का भी प्रवेश वर्जित है आज हम आपको उन धार्मिक स्थलो के विषय में बतायेगे जिनमे पुरुषों का प्रवेश वर्जित है

मां भगवती का मंदिर – यह मंदिर कन्याकुमारी में स्थित है यहाँ पर माँ भगवती के कन्या रूप की पूजा होती है शास्त्रों के अनुसार यहाँ पर माता सती की रीड़ की हड्डी गिरी थी उसी स्थान पाए यह मंदिर है माँ भगवती को सन्यास की देवी के नाम से भी जाना जाता है इस कारण से ही पुरुषो को मंदिर परिसर में नहीं जाने दिया जाता है जो सन्यासी पुरुष होते है उन्हें मंदिर के प्रांगण तक जाने दिया जाता है

 

अट्टुकल मंदिर – यह मंदिर केरल में स्थित है इस मंदिर में पुजारी भी महिलाये ही होती है पुरुष इस मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं कर सकते कुछ समय पहले इस मंदिर को गिनीज़ वर्ल्ड बुक में शामिल किया गया है यहाँ पर पोंगल त्यौहार के समय 30 लाख महिलाओ ने एक साथ मंदिर के दर्शन किये थे जिससे इसे गिनीज़ वर्ल्ड बुक में स्थान मिला

brahma temple pusker

 ब्रह्मा मंदिर – यह मंदिर पुष्कर में स्थित है यह विश्व में अकेला ब्रह्मा मंदिर है इस में शादी-शुदा पुरुष नहीं आ सकते शादी शुदा पुरुष मंदिर में जायेगा तो उसके जीवन में परेशानिया आणि लगेगी कुंवारे पुरुष आ सकते है ब्रह्मा का यह मंदिर 14 वीं शताब्दी में बनाया गया है शासतो के अनुसार ब्रह्मा को पुष्कर सरोवर में देवी(पत्नी )सरसवती के साथ में एक पूजा करनी थी जब माता सरसवती समय पर नहीं पहुंची तब देवी ब्रह्मा ने माँ गायत्री से विवाह किया और यज्ञ किया लेकिन जब यह बात माता सरसवती को पता चली तो उन्होंने नाराज़ हो कर श्राप दे दिया तब से ही इस मंदिर में सदी-सुदा पुरुष प्रवेश नहीं करते है

santoshi mata

मां संतोषी का मंदिर—संतोषी मां का व्रत प्रत्येक व्यक्ति करता है चाहे वह महिला हो पुरुष या कुवारी कन्याये इस व्रत में खट्टी चीजे नहीं खानी होती है पुरुष संतोसी माँ का व्रत कर सकते है परन्तु शुक्रवार को संतोसी माँ के किसी भी मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते है

 

kamakhya temple

माँ (कामरूप) कामाख्या मंदिर – यह मंदिर असम में है यहाँ पर केवल महिलाओं को मासिक धर्म के समय मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति हैइस मंदिर में केवल महिला पुजारी या महिला सन्यासी ही मंदिर की सेवा व् पूजा करते है यहां मांता सती के मासिक धर्म को शुभ माना जाता है और भक्तों को वाला कपडा प्रसाद वितरित किया जाता है शास्त्रों के अनुसार जब सती के द्वारा आत्मदाह किया गया था तब सती के शरीर को ले कर शिव तांडव करने लगे शिव के क्रोध को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से मां सती को काट दिया जिसके उनकी कमर और योनि का भाग उस स्थान पर गिर गया जहां पर मंदिर बनाया गया है

attukal temple

छक्कूलाथुकावु मंदिर यह  भगवती का मंदिर केरल में है  जो मां दुर्गा का अवतार मानी जाती हैं यहाँ दिसम्बर माह में मंदिर के पुरुष पंडित द्वारा 10 दिनों तक महिलाओं की पूजा की जाती है एवं उपवास रखा जाता है और दिसम्बर के पहले शुक्रवार को महिला श्रद्धालुओं के पैर धोये जाते हैं तथा इस दिन को धनु कहा जाता है इन 10 (नारी पूजा) दिनों में पुरुषों का प्रवेश मंदिर परिसर में वर्ज़ित है

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