Makar Sankranti 2022। Makar Sankranti today ।
Makar Sankranti 2022 : Makar Sankranti 2022 Makar Sankranti today, know Makar Sankranti
मकर संक्रांति आज, जाने मकर संक्रांति पूजा तिथि, स्नान-दान का शुभ मुहूर्त, एवं मकर संक्रांति से जुडी कथाये
मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2021) के पर्व को अनेक स्थानों पर उत्तरायण भी कहा जाता है। पुराणों में मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्य देव वशनि देव की उपासना का विशेष महत्व बताया गया है।
Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) एक ऐसा त्योहार है जिस दिन किए गए काम अनंत फल देते हैं. मकर संक्रांति को दान, पुण्य और देवताओं का दिन कहा जाता है। इस वर्ष मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2021) पर विशेष योग बन रहा है । क्योंकि सूर्य के साथ पांच अन्य ग्रह (सूर्य, शनि, बृहस्पति, बुध और चंद्रमा) मकर राशि में विराजमान रहेंगे।
मकर संक्रांति के पर्व को अनेक स्थानों पर खिचड़ी (Khichdi) पर्व भी कहते है। मकर सक्रांति से सूर्य एक राशि से दूसरी में प्रवेश करता हैं । सूर्य के द्वारा एक राशि (धनु राशि) से दूसरी राशि ( मकर राशि ) में प्रवेश को ही सक्रांति कहा जाता है । और इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को हो रही है।
मकर संक्रांति का अर्थ — Meaning of Makar Sankranti
मकर संक्रांति दो शब्दों के योग से बना है । मकर और संक्रांति ‘मकर’ शब्द मकर राशि को दर्शाता है और ‘संक्रांति‘ का अर्थ होता है । संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। कहा जाता है । की इस दिन से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता हैं इसलिए इस समय को ‘मकर संक्रांति‘ कहा गया है ।
इस (मकर संक्रान्ति) पर्व को कई स्थानों में उत्तरायण(उत्तरैणी) भी कहा जाता है । इस दिन सूर्यदेव की उपासना की जाती है । तथा गंगा स्नान करने के बाद व्रत, कथा, दान आदि का विशेष महत्व है ।
मकर संक्रांति दो शब्दों के योग से बना है । मकर और संक्रांति ‘मकर’ शब्द मकर राशि को दर्शाता है और ‘संक्रांति’ का अर्थ होता है । संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है । कहा जाता है की इस दिन से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता हैं । इसलिए इस समय को ‘मकर संक्रांति’ कहा गया है ।
इस (मकर संक्रान्ति) पर्व को कई स्थानों में उत्तरायण(उत्तरैणी) भी कहा जाता है । इस दिन सूर्यदेव की उपासना की जाती है । तथा गंगा स्नान करने के बाद व्रत, कथा, दान आदि का विशेष महत्व है ।
मकर संक्रांति 2022- Makar Sankranti 2022
भारत अनेकता में एकता (सांस्कृतिक विविधताओं )का देश है । यहाँ पर हर त्यौहार,उत्सव सभी धर्म के लोग मिलजुल कर मानते है । जिसमें अनेको व्रत (उपवास) पर्व आते हैं यही भारतवर्ष की ख़ुशी का राज़ है । की यहाँ पर पूरे साल हर्षोल्लास(खुसियो) का वातावरण रहता है । इन सभी पर्वो में आता है मकर संक्रांति पर्व यह हिन्दुओ का प्रमुख (त्यौहार) पर्व माना जाता है ।
ज्योतिशास्त्र में भी (मकर संक्रांति) इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति (Makar Sankranti) से सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है । (सूर्य के एक राशि से दूसरी में प्रवेश करने की इस प्रकिया को ही मकर संक्रांति कहा जाता हैं)
मकर सक्रांति पर अलग अलग प्रांतो में अपने अपने पौराणिक तरीको से मनाया जाता है । और हर प्रान्त या राज्य में विभिन सांस्कृतिक कार्यक्रम और कुछ नए कार्य भी आरंभ किये जाते है यह माह (month ) दान पुण्य का माह भी माना गया है । मोक्ष प्राप्ति के लिए भी इस माह को या मकर सक्रांति के पर्व को विशेष महत्वपूर्ण माना गया है ।
मकर संक्रांति का महत्व – Importance of Makar Sankranti and Special programs on this day
- जिस प्रकार चन्द्रमाँ के आधार पर एक (30 दिनों को होता है और उन 30 दिनों में 15 रात्रि कृष्ण पक्ष और 15 रात्रि शुक्ल पक्ष की होती है) एक माह को 2 भागो में विभक्त किया है कृष्ण पक्ष (काली रात्रि ) और शुक्ल पक्ष (चाँदनी रात्रि) ठीक उसी प्रकार सूर्य के आधार पर भी एक वर्ष के 2 भाग होते है उत्तरायन ( इस समय सूर्य छः मास के लिए बराबर उत्तर दिशा की ओर गतिमान रहता है ।
- उस समय को उत्तरायन कहा दूसरे शब्दों में उत्तरायन के समय से धरती का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है जाता है जिससे ऐसा प्रतीत होता है की मानो सूर्य उत्तर दिशा से उदय हो रहा हो) और दक्षिणायन (दक्षिणायन इस समय सूर्य दक्षिण की ओर गमन करता है । यह समय कर्क सक्रांति से ले कर मकर सक्रांति तक का होता है) उत्तरायन शब्द को सोम्यायन भी कहा जाता है ।
वसंत ऋतु का आरंभ हो जाता है खेत खलिहान लहलहाने लगते है सरसो के खेतो में सरसो के पौधे पिली चादर की भाती नजर आते है । फसलें लहलहाने लगती हैं इस पर्व से भारतवर्ष के लिए फसलों के आगमन की खुसी ले कर आता है इस समय पर पर खेतो में रबी की फसल लहराती है ।
मकर संक्रांति के त्यौहार को विभिन्न राज्यों में अपने स्थानीय तरीको से मनाया जाता है दक्षिण भारत में मकर सक्रांति को पोंगल के रूप में मनाया जाता है और उत्तर भारत में इस त्यौहार को लोहड़ी, खिचड़ी पर्व, पतंगोत्सव आदि के रूप में मनाया जाता है ।
उत्तराखंड राज्य में मकर सक्रांति के पर्व पर पौराणिक त्यौहार उत्तरायणी (घुघुतिया) त्यौहार के रूप में मनाया जाता है । तथा विभिन मेलो का आयोजन किया जाता है और मध्यभारत में इसे संक्रांति कहा जाता है । मकर संक्रांति के पर्व को अन्य नामो (उत्तरायन, माघी,) से भी जाना जाता है इस दिन तिल-गुड़ के लड्डू बनाये जाते है । और वभिन्न पकवान भी बनाये जाते है ।
सर्दीयो का मौसम होने के कारण ठण्ड (वातावरण का तापमान बहुत कम हो जाता है) बढ़ने लगती है । जिससे अनेको रोग,व्याधियों का खतरा बना रहता है । और बीमारिया भी जल्दी लगती हैं इन सब से बचने के लिए इन दिनों गुड़ या गुड़ और तिल से बने पकवानो या मिष्ठान्न बनाए जाते है ।
जिससे शरीर को गर्मी मिलती है और बीमारियों का खतरा कम हो जाता है । उत्तर भारत के कई स्थानों में इन दिनों (मकर सक्रांति ,माघ मास) में खिचड़ी का भोग(पंडितो को खिचड़ी का भोग और दान पुण्य किया जाता है) लगाया जाता है गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक आदि का सेवन किया जाता है । तथा अपने प्रियजनों को दिया (बाटा) जाता है का प्रसाद बांटा जाता है ।
शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है की मकर सक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी त्यागकर उनके घर गए थे इसलिए इस दिन पवित्र नदीयो में स्नान करने और दान तथा पूजा-पाठ करने से मनुष्य के पाप नष्ट होते है ।
और पुण्य हजारो -लाखो गुना बाद जाते है इस दिन गंगासागर पर मेले का आयोजन भी किया जाता है तथा इस दिन से शुभ माह का आरंभ होता है । जिसके चलते लोग दान-पुण्य से अपनी अच्छी शुरुआत करते हैं यह दिन सुख- समृद्धि की सुरुवात का दिन भी माना जाता है तथा अब मल मास भी समाप्त हो चूका है ।
मकर सक्रांति का पर्व ‘पतंग महोत्सव’ के नाम से भी जाना जाता है । पतंग उड़ाने से कुछ घंटो के लिए सूर्य के प्रकाश में रहने का अवसर मिल जाता है । क्युकी यह समय सर्दियों का होता है । और प्रातकाल का सूर्य प्रकाश स्वास्थवर्द्धक होता है जिससे त्वचा व हड्डियों को विटामिन डी मिलता है ।
भगवान श्रीकृष्ण ने भी उत्तरायन के विषय में कहा है की जब सूर्यदेव उत्तरायन होते हैं तब समस्त पृथ्वी प्रकाशमय रहती है । तो और इस समय पर (माघ मास) में जो वयक्ति अपने शरीर का परित्याग करते है ।
उन्हें पुनर्जन्म (जीवन मिर्त्यु की आवाजाही)से मुक्ति मिल जाती है ऐसे व्यक्ति बैकुण्ठ ( ब्रह्म) को प्राप्त होते हैं इसी कारण से कि भीष्म पितामह ने अपने शरीर का त्याग सूर्य के उत्तरायण होने पर किया था ।
- मकर संक्रांति के विषय में यह कथा भी प्रचलित है की इस दिन (मकर सक्रांति)महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के तर्पण के लिए गंगाजी को अपनी तपस्या से पृथवी पर अवतरित होने का निवेदन किया था ।
- और गंगा जी ने निवेदन स्वीकार करते हुए भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम के रास्ते से होते हुए सागर में जाकर मिल गयी कहा जाता है की गंगा को पृथवी पर लेन का महँ कार्य बगिरत ने ही किया था ।
- हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार मकर सक्रांति से (माघ माह )से विवाह कार्य (शादी – व्याह ) होने भी आरंभ हो जाते है ।
2 comments
That is very interesting, You are an excessively professional blogger.
I have joined your feed and stay up for in search of more
of your fantastic post. Additionally, I’ve shared your site in my
social networks
thank you !! your feedback is important to me