Navratri 2020: 18 अक्टूबर को की जाएगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें विधि और कथा
![Navratri 2020 : Navratri 2nd day Maa Brahmacharini puja, mantras](https://sangeetaspen.com/wp-content/uploads/2020/10/barhmacharni-maaa.jpg)
Maa Brahmacharini Puja: 18 अक्टूबर को नवरात्रि
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Navratri 2020: 18 अक्टूबर नवरात्री (Navratri) का दूसरा दिन,आज के दिन होती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें मां ब्रह्मचारिणी पूर्ण विधि और कथा
Shardiya Navratri 2020: 18 अक्टूबर 2020 को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी द्वारा कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया। ब्रह्मचारिणी रूप की आराधना से उम्र लम्बी, ज्ञान, शक्ति ,धन, सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि करती है तथा शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त होती है।
नवरात्रि की पूजा में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है. मां दुर्गा की 9 शक्तियों के दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी का है इनके दर्शन पूजन से मनुष्य सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है। देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य रूप में होता है. देवी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए श्वेत वस्त्र में देवी विराजमान होती हैं.
मां ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini) पूजा विधि
मां ब्रह्मचारणी (Brahmcharini) की पूजा में पुष्प, अक्षत, रोली, चंदन का प्रयोग किया जाता है. पूजन आरंभ करने से पूर्व मां ब्रह्मचारिणी को दूध, दही, शर्करा, घृत और शहदु से स्नान कराया जाता है. इसके उपरांत मां ब्रह्मचारणी को प्रसाद अर्पित करें. इस क्रिया का पूरा करने के बाद आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करनी चाहिए.इसके बाद ही स्थापित कलश, नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता और ग्राम देवता की पूजा करनी चाहिए
मां ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini) की कृपा पाने का मंत्र
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू. देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा..
(अर्थात जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें.)
मां ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini) की पूजा से मंगल ग्रह की अशुभता को दूर होती है
मां ब्रह्मचारणी की पूजा से मंगल ग्रह की अशुभता को दूर करने में मदद मिलती है. ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं. जिन लोगों की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ है उन्हें मां ब्रह्मचारणी की पूजा करनी चाहिए
माता ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini) का भोग
मां ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini) को दूध, दही का भोग लगाया जाता है. इसके अतिरिक्त चीनी, सफेद मिठाई और मिश्री का भी भोग लगाया जाता है. या आप मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग भी लगा सकते है। इन्हीं चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य भी पाया जा सकता है.
मां ब्रह्मचारिणी कथा (story of Brahmcharini)
पौराणिक कथा के अनुसार पूर्वजन्म में मां ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था. भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बहुत कठिन तपस्या की. इसीलिए इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया. मां ब्रह्मचारिणी ने एक हजार वर्ष तक फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया. इसके बाद मां ने कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप को सहन करती रहीं. टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं.
इससे भी जब भोले नाथ प्रसन्न नहीं हुए तो उन्होने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए और कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। अपनी इस तपस्या से उन्होंने महादेव को प्रसन्न कर लिया. कहा जाता है कि अगर मां की पूजा भक्ति दिल से की जाएं तो मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें धैर्य, संयम, एकाग्रता और सहनशीलता का आशीर्वाद देती हैं.
मां ब्रह्मचारिणी की आरती (Maa Brahmcharini Aarti)
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता.
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता.
ब्रह्मा जी के मन भाती हो.
ज्ञान सभी को सिखलाती हो.
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा.
जिसको जपे सकल संसारा.
जय गायत्री वेद की माता.
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता.
कमी कोई रहने न पाए.
कोई भी दुख सहने न पाए.
उसकी विरति रहे ठिकाने.
जो तेरी महिमा को जाने.
रुद्राक्ष की माला ले कर.
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर.
आलस छोड़ करे गुणगाना.
मां तुम उसको सुख पहुंचाना.
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम.
पूर्ण करो सब मेरे काम.
भक्त तेरे चरणों का पुजारी.
रखना लाज मेरी महतारी.