Shiv pooja in sawan | Shiv pooja what to offer and how to do | शंकर भगवान को बेहद प्रिय हैं ये चीजें

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Sawan Month : सावन का महीना शिव भक्ति का माह माना जाता है. इस महीने में भक्त बड़ी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद पाने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं.जीवन के संहारक भगवान शिव की मन से की गई आराधना भोले बाबा को खुश करने के लिए बहुत है. इनकी पूजा में शिवलिंग अभिषेक और उस पर अर्पित की जाने वाले चीजें अलग-अलग महत्व रखती हैं. आइए जानें इनके बारे में

सावन का महीना भोलेनाथ को समर्पित है. कहा जाता है कि सावन में किए गए प्रयासों से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं. इस साल अधिकमास लगने के कारण सावन 59 दिनों का होगा. माना जाता है कि कुछ चीजें शंकर भगवान को बहुत प्रिय हैं और पूजा में इसके इस्तेमाल से भोलेनाथ प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं. जानते हैं इन चीजों के बारे में.

जल- शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाने मात्र से ही शंकर भगवान प्रसन्न हो जाते हैं. समुद्र मंथन से निकला विष पीने के बाद शिव जी का कंठ एकदम नीला पड़ गया था. इस विष की ऊष्णता को शांत करने और शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए समस्त देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया. तभी से शिव पूजा में जल का विशेष महत्व माना जाता है.

बेलपत्र- बेलपत्र को भगवान के तीन नेत्रों का प्रतीक माना जाता है. तीन पत्तियों वाला बिल्वपत्र शिव जी को अत्यंत प्रिय है. शिवलिंक के अभिषेक में बेलपत्र का प्रथम स्थान है. भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाने से कई कन्याओं के कन्यादान के बराबर फल मिलता है.

आंकड़ा और धतूरा- शिव जी आंकड़े का फूल और धतूरा दोनों अत्यंत प्रिय है. कहा जाता है कि जब विष पीने के बाद शंकर भगवान बिल्कुल व्याकुल हो गए थे तब आंकड़ा और धतूरा चढ़ाकर उनकी व्याकुलता शांत की गई.

भांग- शिव जी को भांग भी बेहद प्रिय है. शिव जी हमेशा ध्यानमग्न रहते हैं. विष पीने के बाद उन्हें औषधि के रूप में भांग भी दी गई थी. तभी से शंकर भगवान को भांग अति प्रिय है.

कपूर- भगवान शिव का प्रिय मंत्र है कर्पूरगौरं करूणावतारं…. यानी जो कर्पूर के समान उज्जवल हैं. कर्पूर की सुगंध वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाती है. भगवान भोलेनाथ को यह बहुत प्रिय है और पूजा में इसका इस्तेमा जरूर किया जाता है.

दूध- सावन के महीने में शिवलिंग का दूध से अभिषेक करना बहुत उत्तम माना जाता है. यह भोलेनाथ को पसंद है. इसलिए सावन के महीने में दूध पीने की जगह शिवलिंग पर चढ़ाने की मान्यता है.

भस्म- भोलेनाथ अपने तन पर भस्म लगाते हैं. भस्म को बहुत पवित्र माना जाता है. कहा जाता है कि जब सती ने स्वयं को अग्नि के हवाले कर दिया था तो क्रोधित शिव ने उनकी भस्म को अपनी पत्नी की आखिरी निशानी मानते हुए तन पर लगा लिया था ताकि सती हमेशा उनके साथ ही रहें.

चंदन- चंदन का संबंध शीतलता से है. भगवान शिव मस्तक पर चंदन का त्रिपुंड लगाते हैं. चंदन का प्रयोग अक्सर हवन में किया जाता है. शिव जी को चंदन चढ़ाने से वो प्रसन्न होते हैं. इससे मान-सम्मान भी बढ़ता है.

रुद्राक्ष- पौराणिक कथाओं के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है. रुद्राक्ष भोलेनाथ को बेहद प्रिय है. इसे पहनने से मानसिक और शारीरिक संतुलन मिलता है. माना जाता है कि रुद्राक्ष धारण करने वालों पर भोलेनाथ की कृपा बरसती है.

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