Success Story of Mushroom girl Divya Rawat | The Mushroom lady from uttarakhand | divya rawat success story | mushroom brand ambassador Divya Rawat

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Success Story of Mushroom girl Divya Rawat
Success Story of Mushroom girl Divya Rawat

Success Story of Mushroom girl Divya Rawat | The Mushroom lady from uttarakhand | divya rawat success story| mushroom brand ambassador Divya Rawat

Divya Rawat : जहा एक और युवा हाई स्टडी करने के बाद किसी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करने लगते हैं।और कुछ लोग विदेशों में सेटल हो जाते हैं, ताकि ज्यादा पैसे कमा सके। खेती जैसे काम तो युवाओं की लिस्ट में भी नहीं होती। हालांकि कुछ युवा ऐसे भी हैं, जो अपने देश की माटी की कीमत अच्छी तरह जानते हैं। उन्हीं में से एक है चमोली जिले की रहने वाली दिव्या रावत,(Divya Rawat)जो खेतीबाड़ी के काम से आज लाखों की कमाई कर रही हैं।

दिव्या (Divya Rawat)का जन्म उत्तराखंड के चमोली जिले के कोट कंडारा गांव में हुआ है यह गांव चमोली जिले से 25 किलोमीटर दूर है दिव्या के पिता जी का नाम स्वर्गीय तेज़ सिंह रावत है जब उनके पिता की मृत्यु हुयी तब दिव्या मात्र 12 साल की थी, दिव्या की पढ़ाई नोएडा से हुयी है उन्होंने शक्ति वाहिनी ऑर्गेनाइजेशन में काम किया है वह अपने करियर में सफलता के नए मुकाम हासिल कर रही थी परन्तु इसके अलावा भी उन्हें कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थाओ के साथ काम करने का मौका मिला लेकिन उन्होंने एक के बाद एक करीब 8 नौकरियां बदलीं,

क्योंकि दिव्या (Divya Rawat) इनसे संतुष्ट नहीं थी। दिव्या (Divya Rawat)को सबसे ज्यादा दुख तब होता था जब उनको पहाड़ो (उत्तराखंड) से पलायन होते दिखता था कुछ अलग करने की चाह उसे वापस अपने राज्य ले आई। 2013 में जब वो वापस उत्तराखंड लौटी तो देखा कि नौकरी की तलाश में प्रदेश के छोटे-छोटे गांवों से लोग युवा सिर्फ चार पांच हजार की नौकरी के लिए अपना घर परिवार छोड़ कर दूसरे प्रदेशों में पलायन करने को मजबूर हैं। तभी दिव्या (Divya Rawat)ने कुछ अलग करने का फैसला लिया।

वह (Divya Rawat)जानती थी इसका एक मात्र उपाय था लोगो को उनके ही शहर या गांव में रोजगार देना तब दिव्या ने सोचा की कुछ ऐसा किया जाये जिससे पलायन रुक सके.दिव्या खुद गांव वापस आ गयी और अपने ही घर से शुरुआत की मशरूम उगाने की यह काम धीरे-धीरे अच्छा चलने लगा एवं गांव के अन्य लोग भी दिव्या के साथ जुड़ने लगे मुख्य रूप से महिलाये इस कार्य में ज्यादा जुड़ने लगी आज दिव्या ने गांव की महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाया है

दिव्या (Divya Rawat)का मानना है की मशरूम की खेती को कोई भी व्यक्ति कर सकता है खाशकर गांव में रहने वाला कोई भी व्यक्ति मशरूम की खेती को आसानी से कर सकता है क्योकि गांव में जंगली जानवरो का खतरा ज्यादा रहता है जो किसानो की फसलों को नष्ट कर देते है और मशरूम की खेती को कमरे के अंदर किया जाता है

जिससे जंगली जानवरो से कोई खतरा नहीं होता है कहा जाता है की मशरूम उगने के लिए मुख्य रूप से 20-22 डिग्री का तापमान होना चाहिए परन्तु दिव्या ने 30-40 डिग्री के तापमान में मशरूम उगाई है और साबित कर दिया की दृढ़ इच्छा शक्ति से असंभव को भी सम्भव किया जा सकता है आज राज्य के लोग दिव्या को ‘मशरूम गर्ल’ के नाम से जानते हैं।

दिव्या कहती हैं, ‘मशरूम जल, जमीन, जलवायु की नहीं बल्कि तापमान की खेती है। इसकी इतनी वैरायटी होती हैं कि हम हर मौसम में इसकी खेती कर सकते हैं। फ्रेश मशरूम मार्केट में बेच सकते हैं और इसके बाय प्रोडक्ट भी बना सकते हैं।’

दिव्या (Divya Rawat)मुख्य रूप से 4 प्रकार की मशरूम उगाती है.

आप भी मशरूम की खेती करना चाहते है तो आप दिव्या से संपर्क कर सकते है उन्होंने इसके लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था भी की है.

milky masroom – मिल्की मशरूम का उत्पादन गर्मियों में 30 से 40 डिग्री के तापमान में किया जाता है, इसे लगाने के बाद 30 से 40 दिनों में यह उपयोग के योग्य हो जाता है

ओएस्टर मशरूम – ओएस्टर मशरूम का उत्पादन 15 से 30 डिग्री के तापमान में किया जाता है यह तैयार होने में 15 से 20 दिन का समय लेता है इसके बाद आप इसका उपयोग कर सकते है

 बटन मशरूम – बटन मशरूम सामान्य रूप से सर्दियों में उगाई जाती है और यह तैयार होने में 28 से 33 दिनों का समय लेती है

codysept military – कोर्डिसेप्स मिलिटरिस दिव्या कोर्डिसेप्स मिलिटरिस जिसको की कीड़ाजड़ी भी कहा जाता है उस मशरूम की कीमत 1.5 – 3 लाख प्रति किलो है यह मशरूम मुख्य रूप से मेडिसिन कॉस्मेटिक, किडनी की समस्या, सेक्स प्रॉब्लम में इसका उपयोग किया जाता है. आप इसको चाय के रूप में भी उपयोग कर सकते है, यह स्वस्थ के लिए बहुत लाभदायक है इसकी अधिक जानकारी दिव्या से ले सकते है.

mushroom brand ambassador Divya Rawat
mushroom brand ambassador Divya Rawat

दिव्या (Divya Rawat)आज कई लोगो को मशरूम की ट्रेनिंग देती है और इसके साथ ही दिव्या की खुद की एक कंपनी है जिसका नाम सौम्य प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड है जिसमे दिव्या मेनेजिंग डयरेक्टर है जिसका सालाना टर्नओवर करोड़ों रुपए में है। उनका मशरूम प्लांट भी है, जहां साल भर मशरूम कल्टीवेशन होता है।

इस प्लांट में सर्दियों के मौसम में बटन मशरूम, मिड सीजन में ओएस्टर मशरूम और गर्मियों के मौसम में मिल्की मशरूम का कल्टीवेशन होता है। इसके साथ ही दिव्या हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाली कीड़ा जड़ी की एक प्रजाति कार्डिसेफ मिलिटरीज़ मशरूम का भी कल्टीवेशन करती हैं दिव्या की ख्वाहिश है कि आम आदमी की डाइट में हर तरह से मशरूम को शामिल किया जाए।

 सौम्य कंपनी में तैयार मशरूम की दिल्ली के आज़ादपुर सब्ज़ी मंडी और देहरादून के निजामपुर सब्ज़ी मंडी में खपत होती है दिव्या को 2017 में महिला दिवस के अवसर पर पूर्व राष्ट्पति श्री प्रणव मुखर्जी के द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से समान्नित किया गया है और उत्तराखंड सरकार ने भी दिव्या (Divya Rawat)को मशरूम की ब्रांड एम्बेसडर का सम्मान दिया है .

ब्रांड एम्बेसडर होने के बाद भी वह खुद सड़क किनारें मशरूम बेचने के लिए जाती हैं, ताकि गांव के लोगों की झिझक दूर हो सके। उनका कहना है कि पहाड़ की महिलाएं धैर्यवान होती हैं लेकिन मशरूम उन्हें धनवान भी बनाएगा। दिव्या के मशरूम सिर्फ मार्केट ही नहीं बल्कि ऑनलाइन भी बिकते हैं। आप अमेजॉन से दिव्या के मशरूम का अचार, हेल्थ मसाला, पापड़ आदि खरीद सकते हैं।

दिव्या के अनुसार मशरुम उगाने के लिए मिटटी की आवश्यकता भी नहीं होती है इसको लकड़ी के बुरादे और धान की पराली में उगाया जाता है, पंजाब और हरियाणा के किसान धान की फसल के बाद उसकी पराली को जला देते है जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है हमें लगता है की सरकार किसानो को शिक्षित कर उसका उपयोग करने के लिए कुछ योजनाए लाकर रोजगार के साथ पर्यावरण को भी बचा सकती है,

अगर आप भी मशरूम की खेती करना चाहते हे तो इसके लिए शुरुआती ट्रेनिंग की जरूरत होती है जो आप अपने प्रदेश के एग्रीकल्चर या हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट से ले सकते हैं। इसके अलावा हमारे हेल्पलाइन नंबर (0135 253 3181) पर कॉल करके भी जानकारी ली जा सकती है।

दिव्या (Divya Rawat)की कहानी से सीख मिलती है कि अगर कुछ करने की लगन हो तो कोई भी रास्ता मुश्किल नहीं होता।दिव्या के बिजनेस ना सिर्फ पलायन कर रहे लोगों को एक नई रोशनी दिखाई है बल्कि यह आज के युवाओं के लिए प्रेरणा भी है

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