super blue moon 2023 | super blue moon in hindi | ब्लू मून चंद्रयान-3 की चांद पर उपस्थिति में निकलेना

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ब्लू मून चंद्रयान-3 की चांद पर उपस्थिति में निकलेना
ब्लू मून चंद्रयान-3 की चांद पर उपस्थिति में निकलेना

super blue moon 2023 | super blue moon in hindi | ब्लू मून चंद्रयान-3 की चांद पर उपस्थिति में निकलेना

super blue moon 2023 : यह खगोलीय घटना ऐसे समय में होने जा रही है, जब भारत का मिशन चंद्रयान-3 चांद पर पहुंच चुका है. ऐसे में इस बार का ब्लू मून भातवासियों के लिए और भी ज्यादा खास है. 23 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर कदम रखा. 14 जुलाई को चंद्रयान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था. 40 दिन की यात्रा तय करके चंद्रयान 23 अगस्त को चांद के साउथ पोल में पहुंच गया.

चंद्रयान के तीन मुख्य हिस्से हैं, प्रोप्ल्शन मॉड्यूल, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान. ये तीनों एक-दूसरे के साथ जुड़े थे लेकिन जैसे-जैसे चांद की ओर बढ़े तो अलग होते चले गए. सबसे पहले 17 अगस्त को लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान प्रोप्ल्शन मॉड्यूल से अलग हुए, इसके बाद विक्रम और रोवर ने अकेले चांद तक की यात्रा पूरी की. विक्रम के चांद पर पहुंचते ही दोनों अलग हो गए और अब रोवर प्रज्ञान चांद पर घूमकर सैंपल इकट्ठा कर रहा है. विक्रम और प्रज्ञान 23 अगस्त से 14 दिन तक चांद की सतह पर स्टडी करेंगे.

चांद पर इन 14 दिनों तक सूरज की रोशनी रहेगी. चांद का एक दिन पृथ्वी के 29 दिनों के बराबर होता है, जिसमें 14 दिनों की रात और 14 दिनों का दिन होता है. 23 अगस्त को यहां सूरज निकला था और उसी दिन चंद्रयान ने चांद पर कदम रखा. साउथ पोल पर आजतक किसी देश का स्पेस्क्राफ्ट नहीं पहुंचा है

इसलिए भारत के मिशन की पूरी दुनिया के वैज्ञानिक चर्चा कर रहे हैं. साल 2019 में चांद पर भेजा गया चंद्रयान-2 सॉफ्ट लैंडिंग से पहले क्रैश हो गया था. वहीं, चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग से पहले रूस ने भी चांद पर अपना स्पेसक्राफ्ट लूना-25 भेजा था, लेकिन चांद पर पहुंचने से पहले ही यह 20 अगस्त को क्रैश हो गया.हर 2 या 3 साल में क्यों होता है ब्लू मून?

चंद्रमा 29.53 दिन में पृथ्वी का एक पूरा चक्कार लगाता है. एक साल में 365 दिन होते हैं. इस हिसाब से चांद एक साल में पृथ्वी के 12.27 चक्कर लगाता है. पृथ्वी पर एक साल में 12 महीने होते हैं और हर महीने एक पूर्णिमा होता है. इस तरह हर कैलंडर ईयर में चांद के पृथ्वी की 12 बार पूर्ण परिक्रमा करने के बाद भी 11 दिन ज्यादा होते हैं

और हर साल इन अतिरिक्त दिनों को जोड़ा जाए तो दो साल में यह संख्या 22 और तीन साल में 33 होती है. इस वजह से हर 2 या 3 साल में एक स्थिति बनती है, जिसमें एक अतिरिक्त पूर्णिमा पड़ती है. इसी स्थिति को ब्लू मून कहा जाता है. 30 अगस्त को निकलने वाला ब्लू मून साल का सबसे बड़ा और सबसे चमकीला चांद होगा.

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