चंद्र शेखर आजाद का बलिदान दिवस : महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद को श्रद्धांजलि
खास बाते
- चंद्रशेखर आजाद का जन्म
लाला लाजपतराय की मिर्त्यु का बदला
- ऐसे हुआ चन्द्रशेखर तिवारी का नाम चन्द्रशेखर आजाद
चंद्रशेखर आजाद की मौत
चंद्रशेखर आजाद की मौत
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी एवं लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad) का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक स्थान पर हुआ। चंद्रशेखर आजाद के पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी एवं माता का नाम जगदानी देवी था। उनका परिवार मूल रूप से उन्नाव जिले के बदरका ( बैसवारा) से थे।
लेकिन 1856 में अकाल के कारण आजाद के पिता पण्डित सीताराम तिवारी ने अपने पैतृक निवास बदरका को छोड़कर पहले कुछ दिनों अलीराजपुर रियासत में नौकरी की फिर जाकर भाबरा गाँव में बस गये। यहीं बालक चन्द्रशेखर का जन्म हुआ । जन्म के समय उनका नाम चन्द्रशेखर तिवारी था।
क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का जन्मस्थान भाबरा अब ‘आजादनगर’ के रूप में जाना जाता है। बालक चन्द्रशेखर 14 वर्ष की आयु में बनारस गए और वहां एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की।
ऐसे हुआ चन्द्रशेखर तिवारी का नाम चन्द्रशेखर आजाद
1920-21 में 14 वर्ष की आयु में चंद्रशेखर आजाद (ChandraShekhar Azad) गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़े थे, जिसके बाद वे गिरफ्तार हुए और जज के समक्ष प्रस्तुत किए गए।
जहां उन्होंने अपना नाम ‘आजाद’, पिता का नाम ‘स्वतंत्रता’ और ‘जेल’ को उनका निवास बताया। उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी गई। हर कोड़े के वार के साथ उन्होंने, ‘वन्दे मातरम्’ और ‘महात्मा गांधी की जय’ का स्वर बुलंद किया। इसके बाद वे ये ही देशवासी उन्हें आजाद के नाम से पुकारने। लगे। और धीरे धीरे उनकी ख्याति बढ़ने लगी थी. ।
जब क्रांतिकारी आंदोलन उग्र हुआ, तब आजाद उस तरफ खिंचे और ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट आर्मी’ से जुड़े। रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में आजाद ने काकोरी षड्यंत्र (1925) में सक्रिय भाग लिया और पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार हो गए।
लाला लाजपतराय की मिर्त्यु का बदला
17 दिसंबर, 1928 को चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad ), भगत सिंह और राजगुरु ने शाम के समय लाहौर में पुलिस अधीक्षक के दफ्तर को घेर लिया और ज्यों ही जे.पी. साण्डर्स अपने अंगरक्षक के साथ मोटर साइकिल पर बैठकर निकले तो राजगुरु ने पहली गोली दाग दी,
जो साण्डर्स के माथे पर लग गई वह मोटरसाइकिल से नीचे गिर पड़ा। फिर भगत सिंह ने आगे बढ़कर 4-6 गोलियां दाग कर उसे बिल्कुल ठंडा कर दिया। जब साण्डर्स के अंगरक्षक ने उनका पीछा किया, तो चंद्रशेखर आजाद ने अपनी गोली से उसे भी समाप्त कर दिया।
इतना ना ही नहीं लाहौर में जगह-जगह परचे चिपका दिए गए, जिन पर लिखा था- लाला लाजपतराय की मृत्यु का बदला ले लिया गया है। उनके इस कदम को समस्त भारत के क्रांतिकारियों खूब सराहा गया।
1931 में उन्होंने रूस की बोल्शेविक क्रांति की तर्ज पर अलफ्रेड पार्क, इलाहाबाद में समाजवादी क्रांति का आह्वान किया। उन्होंने संकल्प किया था कि वे न कभी पकड़े जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी।
चंद्रशेखर आजाद की मौत
इसी संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने 27 फरवरी, 1931 को इसी पार्क में स्वयं को गोली मारकर मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी।
चन्द्रशेखर आज़ाद ने वीरता की नई परिभाषा लिखी थी। उनके बलिदान के बाद उनके द्वारा प्रारम्भ किया गया आन्दोलन और तेज हो गया, उनसे प्रेरणा लेकर हजारों युवक स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े।
आजाद की शहादत के सोलह वर्षों बाद 15 अगस्त सन् 1947 को हिन्दुस्तान की आजादी का उनका सपना पूरा तो हुआ किन्तु चन्द्रशेखर आज़ाद उसे जीते जी देख न सके।
चंद्रशेखर आजाद के विचारों ने युवाओं को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए काफी प्रेरित किया था. उनके विचार आज भी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं. आइये जानते हैं चंद्रशेखर आजाद के विचारों के बारे में..
चंद्रशेखर आजाद के क्रांतिकारी विचार – ChandraShekhar Azad quotes
- ऐसी जवानी किसी काम की नहीं
जो अपनी मातृभुमि के काम न आ सके।
- ‘दुश्मन की गोलियों का,
हम सामना करेंगे,
आजाद ही रहे हैं,
आजाद ही रहेंगे.’
- अगर अभी भी तुम्हारा खून नहीं खौला तो
यह खून नहीं पानी हैं।
- एक विमान जमीन पर हमेशा सुरक्षित रहता है
लेकिन यह इसके लिए नहीं बनाया जाता है।
महान ऊंचाई प्राप्त करने के लिए
हमेशा जीवन में कुछ सार्थक जोखिम लेना होगा।
- ‘मेरा नाम आजाद है,
मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता
और मेरा घर जेल है.’
- ‘यदि कोई युवा मातृभूमि की सेवा नहीं करता है।
तो उसका जीवन व्यर्थ है.’
- ‘अगर आपके लहू में रोष नहीं है,
तो ये पानी है जो आपकी रगों में बह रहा है.
ऐसी जवानी का क्या मतलब
अगर वो मातृभूमि के काम ना आए.’
- ‘दूसरों को खुद से आगे बढ़ते हुए मत देखो.
प्रतिदिन अपने खुद के कीर्तिमान तोड़ो,
क्योंकि सफलता आपकी
अपने आप से एक लड़ाई है.’
- ‘मैं ऐसे धर्म को मानता हूं,
जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है.’
- ‘चिंगारी आजादी की सुलगती मेरे जिस्म में हैं.
इंकलाब की ज्वालाएं लिपटी मेरे बदन में हैं.
मौत जहां जन्नत हो यह बात मेरे वतन में है.
कुर्बानी का जज्बा जिंदा मेरे कफन में है.’