Ugadi Festival 2022 Date | About Ugadi in Hindi | Gudi Padwa 2022



Gudi Padwa 2022: चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है। इस दिन हिन्दु नववर्ष का आरम्भ होता है। ‘गुड़ी’ का अर्थ ‘विजय पताका’ होता है।
कहते हैं शालिवाहन ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से प्रभावी शत्रुओं (शक) का पराभव किया।
इस विजय के प्रतीक रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है। ‘युग‘ और ‘आदि‘ शब्दों की संधि से बना है ‘युगादि‘। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में ‘उगादि‘ और महाराष्ट्र में यह पर्व ‘ग़ुड़ी पड़वा’ के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ होता है।
उगादि कब है | Ugadi Festival 2022 Date | About Ugadi in Hindi
Gudi Padwa 2022: हमारे देश में कई तरह के धार्मिक पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं। इन्हीं उत्सवों में से एक है गुड़ी पड़वा। गुड़ी पड़वा एक ऐसा पर्व है, जिसकी शुरुआत के साथ सनातन धर्म की कई सारी कहानियां जुड़ी हैं।गुड़ी पड़वा को हिंदू नववर्ष की शुरूआत माना जाता है। वहीं भारत के अलग-अलग राज्यों में इसे उगादी, युगादी, छेती चांद आदि विभिन्न नामों से मनाया जाता है।
गुड़ी पड़वा को चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत होती है। गुड़ी पड़वा को मानाने के पीछे कई मान्यताएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इस दिन ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा के ही दिन सतयुग की भी शुरुआत हुई थी।इसलिए इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है।
वहीं पौराणिक मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा के दिन शालिवाहन नामक एक कुम्हार के लड़के ने मिट्टी के सैनिकों की सेना बनाई और उस पर पानी छिड़ककर उनमें प्राण फूँक दिए और इस सेना की मदद से शिक्तशाली शत्रुओं को पराजित किया। इस विजय के प्रतीक के रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ हुआ।
कई लोगों की मान्यता है कि इसी दिन प्रभु श्रीराम ने बालि का वध कर लोगों को उसके आतंक से मुक्त करवाया था। तो चलिए आज जानते हैं कब है गुड़ी पड़वा और क्या है इसका महत्व.



Ugadi 2022 Date: “उगादी” या “युगादि” को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के लोगों द्वारा, वर्ष के पहले दिन के रूप में मनाते हैं वहीँ महाराष्ट्र में इस दिन को “गुड़ी पड़वा” के रूप में मनाया जाता है।
उगादि का मतलब क्या होता है (Ugadi Meaning)
‘उगादि’ या ‘युगादि’ दो शब्दों से मिलकर बना है-“युग” जो समय को दर्शाता है और “आदि” जो अनंत की शुरुआत को दर्शाता है।इस प्रकार उगादि का मतलब होता है “नए समय की शुरुआत”। इस साल 1944 शक सम्वत और 2079 विक्रम सम्वत की शुरुआत हो रही है|
उगादि कब है (Ugadi Festival 2022 Date)
हिन्दू पंचांग के अनुसार उगादि, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाते हैं| प्रतिपदा तिथि सूर्योदय के समय होनी चाहिए। यदि प्रतिपदा दो दिनों के सूर्योदय पर पड़ रही हो तो पहले दिन उगादि का त्यौहार मनाया जाता है।यदि प्रतिपदा तिथि पर सूर्योदय नहीं पड़ रहा हो तो, जिस दिन वह तिथि शुरू हुई हो, उसी दिन उगादि पर्व मनाते हैं।
वर्ष 2022 में उगादि का पर्व 02 अप्रैल को मनाया जाएगा। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 01 अप्रैल दोपहर 11 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी।वहीँ इसकी समाप्ति अगले दिन 02 अप्रैल 11 बजकर 58 मिनट पर होगी।इस साल तेलगु शक सम्वत 1944 का आगमन होगा।
उगादि पर्व कैसे मनाते हैं (Ugadi Festival 2022)
उगादि का त्यौहार अधिकमास में नहीं मनाया जाता है। यह केवल शुद्ध चैत्र माह में मनाते हैं। इस त्यौहार की शुरुआत एक सप्ताह पहले ही हो जाती है।लोग अपने-अपने घरों को सजाते हैं और नए साजो-सामान और वस्त्रों की खरीदारी करते हैं। इस दिन लोग सूर्योदय से पहले जागकर स्नान करते हैं और आम के पत्ते से बने तोरण से घर के दरवाजे को सजाते हैं।
उत्तर भारतीय लोग उगादी नहीं मनाते, लेकिन यहाँ इसी दिन पर नौ दिनों की चैत्र नवरात्रि की पूजा शुरू होती है।
बनते हैं तरह तरह के पकवान
इस त्यौहार के दिन बोवत्तु जो एक प्रकार का व्यंजन होता है, इसे जरूर बनाया जाता है। इसके अलावा इस दिन बेवु-वेल्ला भी बड़े ही चाव से खाया जाता है। इसे खाते समय मंत्र का भी उच्चारण किया जाता है। इन व्यंजनों के साथ पच्छाड़ी नामक पेय पदार्थ भी पिया जाता है, जिसमें 6 प्रकार का स्वाद होता है। यह सभी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बहुत ही मशहूर डिश है।
उगादि और गुड़ी पड़वा (Ugadi and Gudi Padwa)
उगादी को महाराष्ट्र के लोगों द्वारा गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है| उगादी और गुड़ी पड़वा दोनों एक ही दिन मनाते हैं| इसी दिन चैत्र नवरात्रों की शुरुआत होती है|
क्यों बदलती है उगादि की तारीख (Why Ugadi Date Change)
उगादी चंद्र-सौर कैलेंडर के अनुसार नया साल है| चंद्र-सौर कैलेंडर में दिनों और महीनों का विभाजन चंद्रमा और सूर्य की स्थिति दोनों पर निर्भर करता है| जहाँ ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से प्रत्येक वर्ष 01 जनवरी को ही नया साल मनाया जाता हैं, वहीँ उगादि भी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को ही मनाते हैं| लेकिन ग्रेगोरियन कैलेंडर में यह तिथि अपना स्थान प्रति वर्ष बदलती रहती है
नए कार्य के लिए होता है शुभ दिन
उगादी के दिन नए साल की शुरुआत होती है। इस दिन को लोग बहुत ही शुभ मानते हैं। यही वजह है कि किसी भी नए कार्य की शुरुआत करने के लिए लोग उगादी का दिन चुनते हैं फिर चाहे अपना कोई नया व्यापार शुरू करना हो, नए घर की खरीदारी हो या फिर गृह प्रवेश। माना जाता है इस दिन अच्छे काम करने से मनचाहा परिणाम मिलता है।