Utpanna Ekadashi 2020 : उत्पन्ना एकादशी कब है, पूजा विधि,व्रत महत्व तथा व्रत कथा
Utpanna Ekadashi 2020 : कार्तिक पूर्णिमा के बाद मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष यह एकादशी शुक्रवार 11 दिसंबर को मनाई जाएगी।
हिंदू धर्म में इस एकादशी का महत्व बहुत ज्यादा है। मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली उत्पन्ना एकादशी सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाने वाली मानी गई है.धार्मिक मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति उत्पन्ना एकादशी का व्रत करता है उस पर भगवान विष्णु जी की असीम कृपा बनी रहती है।
Utpanna Ekadashi 2020: मान्यता है कि यह एकादशी उत्पत्ति का प्रतीक है और सभी मुख्य एकादशियों में से एक है। आइए जानते हैं। उत्पन्ना एकादशी का महत्व, एकादशी तिथि व मुहूर्त
एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है.मार्गशीर्ष को अगहन मास भी कहा जाता है और इस अगहन मास को भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय मास माना गया है,सभी जानते है की श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। इसलिए इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का भी विशेष महत्व है। एकादशी पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है।
उत्पन्ना एकादशी कब है ? Utpanna ekadashi kb hai
पंचांग के अनुसार उत्पन्ना एकादशी 11 दिसंबर (शुक्रवार) को है. इस दिन शुक्रवार होने के कारण एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है. एक ख़ास बात ये है कि इसी दिन शुक्र का राशि परिवर्तन होने जा रहा है.
उत्पन्ना एकादशी तिथि व मुहूर्त – Utpanna ekadashi tithi v muhurt
11 दिसंबर 2020- सुबह पूजन मुहूर्त: सुबह 5:15 बजे से सुबह 6:05 बजे तक
11 दिसंबर 2020-संध्या पूजन मुहूर्त: शाम 5:43 बजे से शाम 7:03 बजे तक
12 दिसंबर 2020-पारण: सुबह 6:58 बजे से सुबह 7:02 मिनट तक
उत्पन्ना एकादशी व्रत और पूजा विधि – Utpanna ekadashi vart or pooja vidhi
एकादशी तिथि पर प्रात: काल उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लेते हुए, भगवान विष्णु की पूजा आरंभ करे। इस दिन शाम की पूजा में भगवान विष्णु और मा लक्ष्मी जी की भी पूजा करें तथा लक्ष्मी जी का भी आर्शीवाद व कृपा के लिए मुख्य दरवाजे पर घी का दीपक जलाएं। साथ ही जरूरतमंदों को दान दे भी करे।
उत्पन्ना एकादशी व्रत महत्व – Utpanna ekadashi vart mahtv
उत्पन्ना एकादशी महत्वपूर्ण एकादशियों में से एक है। यह एकादशी व्रत उत्पत्ति का प्रतीक है। हिंदू धर्म के अनुसार, देवी एकादशी का जन्म भगवान विष्णु के रूप में उत्पन्ना एकादशी के दिन हुआ था।
देवी एकादशी ने दानव मुर को मारने के लिए अवतरण लिया था। देवी एकादशी को भगवान विष्णु के शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि जो भक्त इस व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ करते हैं उन्हें देवी एकादशी और विष्णु जी की विशेष कृपा मिलती है।
उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा – Utpanna ekadashi vrat katha
सतयुग की बात है। इस युग में एक राक्षस था जिसका नाम मुर था। यह बेहद शक्तिशाली था। अपनी शक्ति से मुर ने स्वर्ग पर अपना आधिपत्य हासिल कर लिया था। इंद्रदेव इस बात से बहुत परेशान थे।
उन्होंने इस संदर्भ में विष्णुजी से मदद मांगी और विष्णु जी ने मुर दैत्य के साथ युद्ध शुरू किया। कई वर्षों तक यह युद्ध चला। लेकिन अंत में विष्णु जी को नींद आने लगी तो वे बद्रिकाश्रम में हेमवती नामक गुफा में विश्राम करने चले गए।
मुर राक्षस, विष्णु जी के पीछे-पीछे पहुंच गया। वो विष्णु जी को मारने के लिए आगे बढ़ ही रहा था कि विष्णु जी के अंदर से एक कन्या निकली। इस कन्या ने मुर से युद्ध किया और इसका वध कर दिया। इस कन्या ने मुर का सिर धड़ से अलग कर दिया।
यह कन्या और कोई नहीं देवी एकादशी थी। इसके बाद विष्णु जी की नींद टूटी और वो अचंभित रह गए। विष्णु जी को कन्या से विस्तार से पूरी घटना बताई। सब जानने के बाद विष्णु ने कन्या को वरदान मांगने को कहा।
देवी एकादशी ने विष्मु जी से वरदान मांगा। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति उनका व्रत करे उसके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। साथ ही उस व्यक्ति को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होगी। विष्णु भगवान ने उस कन्या को एकादशी का नाम दिया।