Uttarakhand Foundation Day | uttarakhand foundation day | 9th november Uttarakhand sthapna diwas | 9th novembrt in uttarakhand |उत्तराखंड स्थापना दिवस

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Uttarakhand Foundation Day
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Uttarakhand Foundation Day | uttarakhand foundation day | 9th november Uttarakhand sthapna diwas | 9th novembrt in uttarakhand |उत्तराखंड स्थापना दिवस

Uttarakhand Foundation Day : उत्तराखंड “देवताओं की भूमि” या “देव भूमि” के रूप में प्रसिद्ध है . इसकी स्थापना के समय इसका नाम उत्तरांचल रखा गया। यह उत्तरी भारत में स्थित है और एक महान तीर्थस्थल है .

उत्तराखंड स्थापना दिवस हर साल 9 नवंबर को मनाया जाता है. इसे उत्तराखंड दिवस के नाम से भी जाना जाता है. 1990 के बाद उत्तराखंड के राज्य आंदोलन ने तेज़ी पकड़ी थी. भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने 28 अगस्त, 2000 को उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को मंज़ूरी दी थी. इसके बाद, 9 नवंबर, 2000 को भारत के 27वें राज्य के रूप में उत्तरांचल अस्तित्व में आया.

यह भारत के 27वें राज्य की स्थापना को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है. इस साल 20232 में उत्तराखंड अपना 23वां स्थापना दिवस मना रहा है.

उत्तराखंड का गठन 9 नवंबर, 2000 को हुआ था. यह उत्तर प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी भाग के कई ज़िलों और हिमालय पर्वत श्रृंखला के एक हिस्से को मिलाकर बनाया गया था. इससे पहले यह उत्तर प्रदेश का एक हिस्सा था.

उत्तराखंड की स्थापना के पीछे कई सालों तक चले आंदोलन की वजह थी. उत्तराखंड के गठन से पहले, लंबे संघर्ष और कई राज्य आंदोलनकारियों की शहादत के बाद लोगों को एक अलग राज्य मिला. पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों और आपदाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अलग राज्य की मांग की गई थी.

1 जनवरी, 2007 को राज्य का नाम औपचारिक रूप से उत्तरांचल से बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया.

2023 उत्तराखंड राज्य 23वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. जिस मकसद के लिए राज्य आंदोलन हुआ था, वो सपना अभी दूर की कौड़ी ही लग रहा है. इसके लिए राज्य के नेताओं की सत्ता की वो भूख जिम्मेदार रही, जिसके लिए वो आए दिन राजनीतिक समीकरण बनाते और बिगाड़ते रहे. इस दौरान राज्य विकास की दौड़ में पिछड़ता चला गया.

उत्तराखंड अपनी 23वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। इन 23 सालों में आज उत्तराखंड कहां खड़ा है? यह प्रश्न आज हम सबके सामने हैं। भविष्य में इसकी दिशा कैसी होनी चाहिए, उस पर मनन का भी यह समय है। उत्तराखंड बनने के पीछे सबसे बड़ी मांग यही थी कि यह पहाड़ी राज्य है और इसकी पारिस्थितिकी, संस्कृति व संसाधन देश के अन्य जगहों से अलग है। साथ में सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी रही कि उत्तराखंड की इकोलॉजी देश-दुनिया को पानी, हवा, मिट्टी व जंगल का सबसे बड़ी दाता है।

Uttarakhand Foundation Day
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पहाड़ की पहाड़ जैसी समस्याओं के समाधान, रोजगार, बेहतर शासन-प्रशासन और अपनी अलग पहचान के लिए ही हमारे लोगों ने शहादतें दीं, मगर अभी तक इस यात्रा में पहाड़ का जनमानस खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है।

पर्यावरण संतुलन भी एक बड़ी चुनौती

राज्य का युवा रोजगार के लिए केवल सरकारी नौकरियों पर निर्भर है। हमने परंपरागत कुटीर उद्योग, बागवानी, पशुपालन आदि की घोर उपेक्षा की है, जबकि हम पर्यावरण मित्र उद्योग लगाकर रोजगार भी दे सकते थे। हम नीति-नियोजन बनाने में नाकाम हो गए। सीमांत क्षेत्रों में नागरिक ही पहली पंक्ति के सैनिक होते हैं, जो सेना को सूचना देने, रास्ता बताने और अन्य महत्वपूर्ण कार्य में सहयोग देते हैं।

इन गांवों से लोग पलायन को मजबूर हों तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से चिंता का विषय भी है। पलायन हमारी सबसे बड़ी चिंता है। हमें लोगों को गांवों में बनाए रखने की योजना पर गंभीरता से काम करना होगा। हिमालयी राज्य के सामने विकास के साथ पर्यावरण संतुलन भी एक बड़ी चुनौती है। हमें बड़ी परियोजनाओं और निर्माण में पर्यावरणीय मानकों की चिंता करनी होगी।

चिंतन करेंगे तो शायद तब ही हम एक आदर्श राज्य बन पाएंगे

उत्तराखंड की मांग के पीछे इनके गांव स्थानीय लोगों और पहाड़ी हिस्से का कहीं विकास की मुख्यधारा से बहुत दूर रह जाना था।

अगर आज इस पहलू का आकलन करें तो शायद उस ओर हम अभी उतने गंभीरता से आगे नहीं बढ़ पाए, जिसकी कि आज बड़ी आवश्यकता है। ऐसा नहीं कि इस दिशा में प्रयास नहीं हुए। सरकारों ने और गैर सरकारी स्तर पर भी कई प्रयोग हुए है और इन्हीं से राज्य का भविष्य संवर सकता है, लेकिन बड़ी आवश्यकता है इन प्रयोगों के व्यापक होने की है।

आज यह आवश्यक हो जाता है कि हम उन तमाम पहलुओं को जो 23 वर्षों में किन्हीं कारणों से नकार दिए गए, उन्हें मुख्यधारा में लाकर नई सोच बनाएं। अगर उन पर चिंतन करेंगे तो शायद तब ही हम एक आदर्श राज्य बन पाएंगे। यह भी तय है कि यह राज्य अन्य हिमालयी राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा चर्चित राज्य है, क्योंकि यहां बहुत से जन आंदोलनों ने जन्म लिया है।

यह बन सकते हैं बड़े अवसर

प्रकृति ने उत्तराखंड को भरपूर दिया है, पर हमने उन क्षेत्रों की उपेक्षा की जो हमारी आर्थिकी को सुदृढ़ कर सकते थे। पर्यटन, ऊर्जा, पशुपालन, बागवानी, जड़ी बूटी, उद्यानिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक उद्योग की संभावनाओं का हम दोहन नहीं कर सके, जबकि ये सारे क्षेत्र राज्य के विकास की काया पलट सकते हैं।

यहां से गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ, केदारनाथ जैसे धाम देश की आस्था के प्रतीक भी हैं, इसलिए यह एक बड़ा अवसर भी बन सकता है कि हम हिमालयी राज्यों का आदर्श तो बनें। साथ में एक ऐसा राज्य बने जो आर्थिक और पारिस्थितिकी के समन्वय से चलता हो। आज सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य को युवाओं के हिस्से में ज्यादा लाना चाहिए

वो राजनीतिक क्षेत्र हो या आर्थिक और सामाजिक, क्योंकि युवा ही हैं जो नई सोच के साथ राज्य को एक दिशा दे सकते हैं। हम यह भी नहीं कह सकते कि 23 सालों में कुछ नहीं हुआ, लेकिन यह जरूर कहना चाहेंगे कि जो कुछ होना चाहिए, उसमें अभी हम कहीं पीछे हैं। मैं समझती हूं कि सरकार व राजनीतिक दलों को खुद 23 सालों का ईमानदारी से आकलन करना चाहिए, ताकि वे राज्य का बेहतर भविष्य बना सकें

Q : उत्तराखंड स्थापना दिवस क्यों मनाया जाता है?

Ans :9 नवंबर उत्तराखंड का स्थापना दिवस है। उत्तराखंड का गठन 9 नवंबर 2000 को भारत के 27वें राज्य के रूप में हुआ था, जब इसे उत्तरी उत्तर प्रदेश से अलग किया गया था।

Q :उत्तराखंड का पुराना नाम क्या है?

Ans :उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल),है

Q : उत्तराखंड नाम क्यों पड़ा?

Ans :उत्तराखण्ड का शाब्दिक अर्थ उत्तरी भू भाग का रूपान्तर है

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