Vijay Diwas News: 1971 युद्ध के शहीदों को पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
Vijay Diwas News : 1971 युद्ध के शहीदों को पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
आज 1971 युद्ध यानी विजय दिवस (Vijay Diwas) के 50 साल पूरे हो गए। इसी युद्ध के बाद से बांग्लादेश एक देश के रूप में अस्तित्वव में आया था और भारत ने पाकिस्तान
1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आज़ाद कराने में भारत की विजय (Vijay) को चिह्नित करने के लिए हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस (Vijay Diwas) मनाया जाता है।
नेशनल वॉर मेमोरियल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के बाद 4 स्वर्णिम विजय मशाल प्रज्जवलित किए। ये चार विजय मशालें एक साल तक पूरे देश के छावनी क्षेत्रों का भ्रमण करेंगी. एवं विजय ज्योति यात्रा अगले साल (16 दिसंबर 2021) नई दिल्ली में पूरी होगी।
देश भर में 16 दिसम्बर को ‘विजय दिवस’ (Vijay Diwas) के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1971 के युद्ध में करीब 3,900 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि 9,851 घायल हो गए थे।
आज (बुधवार)‘विजय दिवस’ (Vijay Diwas) के अवसर पर प्रधानमंत्री (P.M Narendra Modi) ने 1971 के युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh), सीडीएस बिपिन रावत (Bipin Rawat) और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद रहे.
मोदी ( P.M Narendra Modi) ने राष्ट्रीय समर स्मारक पर सदा जलती रहने वाली ज्योति से चार विजय मशाल प्रज्ज्वलित कीं और उन्हें 1971 के युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेताओं के गांवों सहित देश के विभिन्न भागों के लिए रवाना किया।
इन विजेताओं के गांवों के अलावा 1971 के युद्ध स्थलों की मिट्टी को नई दिल्ली के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में लाया जाएगा।
क्यों मनाया जाता है विजय दिवस – Why Victory Day is celebrated
16 दिसंबर को सुबह 9 बजे को भारतीय मिलिट्री के इतिहास का सबसे बड़ी घटना देखने को मिली जब पूर्वी पाकिस्तान में स्वतंत्रता के लिए चल रहे संघर्ष के बीच 3 दिसंबर 1971 को भारत और पाकिस्तान (India Pakistan War) के बीच युद्ध शुरू हुआ था.
13 दिन बाद यानी 16 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना के करीब एक लाख पाक सैनिकों ने हथियार डाल दिए और बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया तथा बांग्लादेश एक अलग देश बना.
क्या है विजय दिवस की विजय गाथा – What is the victory saga of victory day ?
ढाका जो पूर्वी पाकिस्तान में था और अब बांग्लादेश की राजधानी है, वहां पर पाक सेना ने सरेंडर किया था. भारतीय सेना की पूर्वी कमान के मुखिया लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा (Lieutenant General Jagjit Singh Arora) के सामने पाकिस्तान की पूर्वी कमान के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी की अगुवाई में पाक सेना ने हथियार डाले.
उस पल को आज भी कोई नहीं भूल पाता है. वह इंडियन आर्मी के लिए गौरवशाली पलो में से एक है। जहा भारत ने पाकिस्तान (India Pakistan War) को पूर्वी और पश्चिमी दोनों ही मोर्चों पर जवाब दिया था. यह जंग एक ऐसी जंग थी जिसमें तीनों सेनाओं ने हिस्सा लिया और दुश्मन को करारी चोट पहुंचाई.