World No Tobacco Day 2022  | tobacco use is not the destroyer of individual person it is a destroyer of civilization  | विश्व तंबाकू निषेध दिवस

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World No Tobacco Day 2022
World No Tobacco Day 2022

World No Tobacco Day 2022  | tobacco use is not the destroyer of individual person it is a destroyer of civilization  | विश्व तंबाकू निषेध दिवस

World No Tobacco Day 2022: हर साल 31 मई को दुनियाभर में विश्व तंबाकू निषेध दिवस ( World No Tobacco Day) मनाया जाता है। इस दिन का लक्ष्य सभी को किसी भी तरह के तंबाकू का सेवन नहीं करने के लिए प्रेरित करना है। साथ ही इस दिन तंबाकू सेवन के हानिकारक प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक भी किया जाता है।

इस दिन की शुरुआत सन् 1987 से हुई थी। इस वर्ष तंबाकू निषेध दिवस World No Tobacco Day)  का ध्येय वाक्य ‘पर्यावरण का संरक्षण’ है, जिसका उद्देश्य है कि तंबाकू के निषेध से पर्यावरण को कैसे बचाया जाए। अधिक से अधिक लोगों को धूम्रपान और तंबाकू से दूर रहने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाता है।

तंबाकू सेवन से हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की अकाल मौत होती है। इनमें से 7 मिलियन से अधिक प्रत्यक्ष तंबाकू के उपयोग करने के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं, जबकि लगभग एक लाख से अधिक अप्रत्यक्ष धूम्रपान करने से मारे जाते हैं।

विश्व में करीब 2.5 करोड़ कैंसर के मरीज हैं और 2025 तक 3.0 करोड़ होने की सम्भावना है। भारत तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है तथा 17 लाख लोगों की तंबाकू सेवन से मृत्यु होती है।

इतना ही नहीं आंकड़े बताते हैं कि प्रतिवर्ष साठ करोड़ वृक्षों को काटकर सिगरेट बनाया जाता है और तंबाकू जनित उत्पादों से आठ करोड़ चालीस लाख टन कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जित होती है जिससे वायुमंडल का तापमान बढ़ता है। सिगरेट बनाने में लगभग बाईस अरब लीटर पानी का उपयोग किया जाता है।

दुनिया के लगभग डेढ़ अरब व्यक्ति तंबाकू का सेवन करते हैं जिनमें से लगभग 80% से अधिक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। 2020 के आंकड़ों के अनुसार तंबाकू सेवन कर्ताओं में लगभग 20 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। तंबाकू सेवन से उपजी महामारी से दुनिया को आगाह करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल की शुरुआत 2003 से की है।

भारत में तंबाकू की खेती

भारत में लगभग चालीस हजार हेक्टेयर भूमि पर तंबाकू की खेती की जाती है जो कुल उपजाऊ भूमि का 0.27 प्रतिशत है। देश में लगभग 80 प्रतिशत तंबाकू गुजरात, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है। मध्यप्रदेश तंबाकू का प्रमुख उत्पादक राज्य न होते हुए भी भारतीय बीड़ी उद्योग में बड़ी हिस्सेदारी रखता है।

गौरतलब है कि तंबाकू के उत्पाद की प्रक्रिया में खासतौर पर बीड़ी उद्योग में ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सर्वाधिक है। जिसका दुष्परिणाम उनके स्वास्थ्य और शारीरिक विकास पर पड़ता है। अप्रत्यक्ष रूप से वे तंबाकू से होने वाली बीमारियों से ग्रसित हो जाती हैं। महिलाओं के साथ-साथ यह दुष्प्रभाव बच्चों पर भी पड़ता है।

ई-सिगरेट का चलन

तंबाकू हर प्रकार से शरीर को नुकसान पहुंचाता है। तंबाकू सेवन का सबसे प्रचलित रूप सिगरेट है, लेकिन इसके अलावा बीड़ी, सिगार, घुलनशील तंबाकू, धुआं विहीन तंबाकू, हुक्का, खैनी और हाल ही में ई-सिगरेट का भी चलन है। अमेरिका और मिस्र जैसे देशों में हुक्का सेवन के लिए विशेष रेस्टोरेंट भी बनाये जाते हैं, जहाँ पर लोग प्रति घंटे के हिसाब से इसका सेवन करते हैं।

प्रतिवर्ष 31 मई को तंबाकू निषेध दिवस मनाने का उद्देश्य यही है कि तंबाकू के दुष्प्रभावों से लोगों को जागरूक किया जा सके और तंबाकू के व्यवसाय पर निगरानी रखने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाएं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस दिशा में कार्य किये जाते हैं और पूरी दुनिया में तंबाकू के दुष्प्रभाव से बचने के तौर-तरीकों का प्रचार-प्रसार किया जाता है। संगठन लोगों के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए अनेकों एडवाइजरी भी जारी करता है जिससे आने वाली पीढ़ियों को भी बचाया जा सके।

भारत में सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट

भारत में सिगरेट और तंबाकू जनित उत्पादों पर रोकथाम के लिए 2003 में सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट बना। 2008 में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर नियंत्रण क़ानून लाया गया जिसमें जुर्माने का भी प्रावधान किया गया। सभी शिक्षण संस्थानों की परिधि से सौ मीटर तक तंबाकू के बिक्री पर भी प्रतिबंध है, लेकिन ये सभी नियम-कानून तंबाकू के सेवन पर रोकथाम के लिए पार्याप्त नहीं है।

no tobaccoday
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धूम्रपान करने से शरीर पर अनेक प्रकार के दुष्प्रभाव पड़ते हैं। इसके सेवन से जहाँ फेफड़े, बड़ी आंत, लिवर और मुंह के कैंसर होने की संभावना है, वहीं यह डाइबिटीज, हृदय रोग और रक्तचाप को भी बढ़ाता है। इसके सेवन से दाँत भी पीले अथवा भूरे होकर खराब होने लगते हैं और बालों से भी दुर्गंध आने लगती हैं। तंबाकू के धुएँ में पाई जाने वाली कार्बन डाई-ऑक्साइड गैस, रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को घटाती है। तंबाकू में पाये जाने वाला निकोटिन मस्तिष्क और माँसपेशियों को प्रभावित कर रक्तचाप को बढ़ाता है। यह दिमाग को भी प्रभावित करती है और फेफड़ों में इसका धुआं म्यूकस कोशिकाओं को बढ़ाता है।

शरीर पर बुरा असर

इसी के साथ इसमें पाए जाने वाले रसायन मस्तिष्क में दृष्टि को संचालित करने वाले हिस्से को प्रभावित करते हैं जिससे आंखों की रोशनी कम हो जाती है। मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और डाइबिटिक रेटीनोपैथी जैसी बीमारियों के लक्षण पाए जाते हैं। तंबाकू के सेवन से तपेदिक ग्रस्त तथा गठिया होने की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं, प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है। इतना ही नहीं, जो लोग इसका सेवन नहीं करते हैं, वह भी तंबाकू के धुएँ से प्रभावित होते हैं, व्यस्कों में कैंसर तथा हृदय रोग तथा बच्चों में श्वांस, कान तथा फेफड़ें भी ठीक प्रकार से कार्य नहीं करते।

वह पदार्थ जिसके सेवन से इतनी गंभीर बीमारियाँ फैलती हैं, उसके सेवन की रोकथाम के लिए अवश्य ही हमें ठोस कदम उठाने पड़ेंगे। जो लोग तंबाकू का सेवन करना प्रारंभ कर देते हैं, उनको तंबाकू सेवन की आदत पड़ जाती है और जानते हुए भी कि वह उनके लिए कितनी हानिकारक है, वह इसे छोड़ नहीं पाते हैं। आत्मविश्वास बढ़ा कर, योग, प्राणायाम, टहलना, संगीत आदि में अपना ध्यान लगा कर, मुँह में च्युइंगम, सौंफ, इलायची आदि का सेवन करके ही तंबाकू की आदत को छोड़ा जा सकता है।

इस तंबाकू निषेध दिवस पर सभी एक संकल्प लें कि वह कभी भी धूम्रपान व अन्य किसी भी प्रकार के तंबाकू उत्पादों का सेवन नहीं करेंगे एवं अपने परिजनों व परिचितों को भी धूम्रपान व अन्य तंबाकू उत्पादों का सेवन न करने के लिए प्रेरित करेंगे। वह अपनी कार्य भूमि को तंबाकू मुक्त रखेंगे और अपने सहयोगियों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। ऐसा करके ही हम अपने प्रयासों से एक जागरूकता उत्पन्न कर तंबाकू निषेध दिवस को सार्थक बनायेंगे।