World Refugee Day 2022 | why is world refugee day celebrated | World Refugee Day 2022 Theme

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World Refugee Day 2022 | why is world refugee day celebrated |  World Refugee Day 2022 Theme |शरणार्थी दिवस (World Refugee Day) वर्ल्ड रिफ्यूजी डे

World Refugee Day  : हमारे देश समेत दूसरे देशों में कई ऐसे लोग हैं जो दूसरे देश से या राज्य से अपनी जान बचाकर भागे. इनके पास ना रहने को घर होता है और ना ही जीवन जीने के साधन.ऐसे लोगों को शरणार्थी कहा जाता है.पूरे विश्व में 20 जून शरणार्थी दिवस (World Refugee Day) वर्ल्ड रिफ्यूजी डे

के तौर पर मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थियों के साहस को सम्मानित करने के लिए इस दिन को मनाता है।

रिफ्यूजी (Refugee) या शरणार्थी उन्हें कहा जाता है जिन्हें युद्ध, प्रताड़ना, आपदा, बाढ़, संघर्ष, महामारी, पलायन, हिंसा इन सबमें से किसी भी वजह से एक जगह को छोड़कर दूसरी जगह पर जाने को मजबूर होना पड़ता है.

World Refugee Day : शरणार्थियों के साहस और शक्ति को सम्मानित करने के लिए दुनिया भर में 20 जून का दिन वर्ल्ड रिफ्यूजी डे के रूप में मनाया जाता है. बता दें कि राष्ट्र ने यह दिन उन शरणार्थियों को समर्पित किया है, जिन्हें उनके घर से बाहर रहने के लिए मजबूर किया गया था. इस दिन को मनाने का मकसद है

नए देशों में शरणार्थियों के लिए सहानुभूति और सही सोच का निर्माण करना. ऐसे में इस दिन के इतिहास और महत्व के बारे में पता होना जरूरी है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इसे लेख के माध्यम से बताएंगे कि वर्ल्ड रिफ्यूजी डे का इतिहास क्या है. पढ़ते हैं

वर्ल्ड रिफ्यूजी डे का इतिहास

वर्ल्ड रिफ्यूजी डे पिछले 22 सालों से मनाया जा रहा है. यह दिन सबसे पहले 20 जून 2001 को मनाया गया था. इस दिन का जश्न 1991 की रिफ्यूजी समझौते की 50 वीं वर्षगांठ पर मनाया गया था. ऐसे में 2001 के बाद से हर साल 20 जून को वर्ल्ड रिफ्यूजी डे मनाया जाने लगा.संयुक्त राष्ट्र में World Refugee Day के लिए एक संस्था भी बनाई गई है. इस संस्था का नाम United Nations High Commissioner for Refugees (UNHCR) है. यह संस्था विश्वभर के शरणार्थियों के मदद के लिए काम करती है.

वर्ल्ड रिफ्यूजी डे का महत्व

हर साल वर्ल्ड रिफ्यूजी डे मनाने का मकसद शरणार्थियों को विश्व में पहचान दिलवाना है. साथ ही इनकी मदद के लिए राजनैतिक इच्छा जगाने के लिए प्रेरित करना है. शरणार्थी दसरे देशों में जाकर खुद के जीवन को दोबारा से बना सकें, इसके लिए राजनीतिक इच्छाओं का जागना बेहद जरूरी है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ऑफिशियल तरीके से 20 जून के दिन को वर्ल्ड रिफ्यूजी के रूप में चिन्हित किया. जिससे इन लोगों की तरफ भी लोगों का ध्यान जा सके.

वर्ल्ड रिफ्यूजी डे की थीम

हर साल वर्ल्ड म्यूजिक डे की थीम तय की जाती है इस साल की थीम है जो भी कहीं भी और जब भी मौजूद हो उसे सुरक्षा मांगने का अधिकार है. “Whoever. Wherever. Whenever. Everyone has the right to seek safety.”

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देश में कम नहीं शरणार्थी की समस्याएं

यूएनएचआरसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुल तीन लाख शरणार्थी रहते हैं। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में रोहिंग्या मुसलमान हैं। बता दें कि देश में करीब 40,000 रोहिंग्या हैं, जिनमें से 14,000 को ही शरणार्थी का दर्जा प्राप्त है और बाकी लोगों को सरकार अवैध घुसपैठिया मानती है।

कौन होते हैं शरणार्थी

सयुंक्त राष्ट्र की शरणार्थी सम्मलेन 1951 के अनुसार एक शरणार्थी वह है जो अपनी जाति, धर्म, किसी विशेष सामाजिक समूह में सदस्यता या राजनितिक विचारों के लिए उत्पीड़न के भय के कारण अपने घर और देश छोड़कर भाग गया हो. इसके साथ कई शरणार्थी प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा के प्रभाव से बचने के लिए निर्वासित होते हैं.

साल में कई लोग युद्ध, उत्पीड़न या आतंक से बचने के लिए अपना घर छोड़ने को मजबूर होते हैं. शरणार्थी किसी देश या स्थान की शरण के लिए दर-दर भटकते हैं. लेकिन शरणार्थी की स्थिति के उनके दावे का अभी तक निश्चित रूप से मूल्यांकन नहीं किया गया है कि वे भगाए गए हैं.

कैसे मिलती है शरणार्थियों को मदद

शरणार्थी सम्मलेन 1951 और इसके 1967 के प्रोटोकॉल से विश्व भर के शरणार्थियों को काफी हद तक मदद मिली है. यह विश्व में केवल कानूनी उपकरण है जो शरणार्थियों के जीवन के पहलुओं को स्पष्ट रूप से कवर करता है.इस सम्मलेन में कई प्रकार के अधिकारों को शामिल किया गया है.

अपने मेजबान देश के प्रति शरणार्थी के दायित्वों पर प्रकाश डाला गया है. इस सम्मेलन की आधारशिला वह सिद्धांत है जिसके तहत एक शरणार्थी को उस देश में वापस नहीं भेजना चाहिए,जहां उसके जीवन और स्वतंत्रता को खतरा है. लेकिन इसके साथ ही इस सरंक्षण का दावा वह शरणार्थी नहीं कर सकता, जिन्हें देश की सुरक्षा के लिए खतरा समझा जाता हो, या जो विशेष रूप से किसी गंभीर अपराध के दोषी ठहराए गए हों.

भारत में शरणार्थियों की स्थिति

भारत में बिना वैध भारतीय नागरिकता वाले लोगों को अवैध प्रवासियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है. चूंकि भारत 1951 रिफ्यूजी कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है, इसलिए सयुंक्त राष्ट्र के शरणार्थियों के लिए गैर-शोधन और निष्कासन के सिद्धांत भारत में लागू नहीं (Status of refugees in India) होते.

भारतीय राष्ट्रीयता कानून, नागरिकता अधिनियम (भारत के संविधान के अनुच्छेद 5 से 11) द्वारा शासित है, जिसे 1955 में पारित किया गया, और जिसमें नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) बनाया गया था. इसमें 1986, 1992, 2003, 2005, 2015 और 2019 में संशोधन किया गया.

भारत में किन्हें मिली है मान्यता

जब से भारत स्वतंत्र हुआ है तब से भारत की सरकार ने केवल तिब्बत और श्रीलंका के कानूनी अप्रवासियों को मान्यता दी है. 12 दिसंबर 2019 को संसद से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित (citizenship amendment bill) होने के बाद, 31 दिसंबर 2014 से पहले, भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आये हिन्दू, जैन, पार्सिस, क्रिस्चियन, सिख और बुद्धिस्ट जैसे उत्पीड़त अल्पसंख्यक समुदायों के प्रवासी लोग भारतीय नागरिकता के पात्र होंगे.

World Refugee Day
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Q : विश्व शरणार्थी दिवस क्या है?

Ans : विश्व शरणार्थी दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा दुनिया भर में शरणार्थियों को सम्मानित करने के लिए नामित एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस है। यह हर साल 20 जून को पड़ता है और उन लोगों की ताकत और साहस का जश्न मनाता है जिन्हें संघर्ष या उत्पीड़न से बचने के लिए अपने देश से भागने के लिए मजबूर किया गया है।

Q : विश्व शरणार्थी दिवस क्यों महत्वपूर्ण है?

Ans : विश्व शरणार्थी दिवस शरणार्थियों के अधिकारों, जरूरतों और सपनों पर प्रकाश डालता है, राजनीतिक इच्छाशक्ति और संसाधनों को जुटाने में मदद करता है ताकि शरणार्थी न केवल जीवित रह सकें बल्कि पनप भी सकें। जबकि हर एक दिन शरणार्थियों के जीवन की रक्षा और सुधार करना महत्वपूर्ण है, विश्व शरणार्थी दिवस जैसे अंतर्राष्ट्रीय दिवस संघर्ष या उत्पीड़न से भाग रहे लोगों की दुर्दशा पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं। विश्व शरणार्थी दिवस पर आयोजित कई गतिविधियाँ शरणार्थियों का समर्थन करने के अवसर पैदा करती हैं।

Q : 20 जून को क्या मनाया जाता है?

Ans : दिसंबर साल 2000 में संयुक्त राष्ट्र ने 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस मनाने का फैसला लिया था. तब से लेकर हर साल 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस मनाया जाता है.

Q : विश्व शरणार्थी दिवस की स्थापना किसने की

Ans : लगभग 21 साल पहले, संयुक्त राष्ट्र ने विश्व शरणार्थी दिवस की स्थापना की, जो शरणार्थियों के जीवन को बेहतर बनाने के तरीकों पर सम्मान, जश्न मनाने और सहयोग करने के लिए एक दिन है। 

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