मछली पालन व्यवसाय कैसे आरंभ करें



कोविद 19 के कारण हुए लॉकडाउन से शहरो से पलायन कर चुके लोगो के सामने रोजगार की बहुत बड़ी समस्या आ गयी है। ऐसे कठिन समय में में उन सब को गांवों में ही रोजगार दिला पाना संबंधित राज्य सरकारों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।
रोजगार की समस्या को ध्यान में रखते हुए आज से https://sangeetaspen.com ब्लॉग के माध्यम से रोजगार सीरीज़ के द्वारा आप सभी लोगो को कुछ ऐसे स्वरोजगारो की जानकारी देना का प्रयास किया जा रहा है (पशु पालन,मस्तस्य पालन,ओर्गिनीक खेती,मधुमक्खी पालन,फूलो का व्यवसाय,डेरी फार्मिंग,आदि)
जो कम लागत में ज्यादा मुनाफ़ा दे तथा आप के साथ साथ गांव पड़ोस के अन्य लोगो को भी रोजगार दिला सके आप सभी से हमारा यही निवेदन है की इन सभी पोस्टो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे जिससे रोजगार की तलाश कर रहे व्यक्तियों की सहायता उनके निवास स्थान पर ही हो जाए
आज का हमारा टॉपिक है मच्छली (मस्तस्य ) पालन
मछली पालन (फिश फार्मिंग) का व्यवसाय कैसे आरंभ करें
मछली पालन व्यवसाय ग्रामीण और शहरी दोनों ही स्थानों में किया जा सकता है यह लाभदायक ही सिद्ध होगा, क्योंकि भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी मछली का उपयोग (फिश आयल,मेडिस,एवं खाने में) किसी ना किसी रूप में करती ही है। मछली पालन को अग्रेंजी भाषा में फिश फार्मिंग भी कहा जाता है.यह व्यवसाय कम लागत में सुरु करके अपने साथ साथ अन्य लोगो को भी रोजगार दिलाने का एक जरिया भी बन सकता है
क्युकी भारत में मच्छली व्यवसाय के क्षेत्र में एक रुपये के निवेश से चार रुपये मुनाफे की संभावना है। ऐसे बहुत कम उद्यम होंगे जहां कम निवेश पर अधिक लाभ लिया जा सके। चीन के बाद भार विश्व का दूसरा बड़ा मछली उत्पादक देश है। गत वर्ष देश से लगभग 48,000 करोड़ रुपये की मछली का निर्यात किया गया।



इस कारोबार को शुरू करने के लिए नदी और जमीन की भी जरूरत पड़ती है. इस जमीन का उपयोग टैंक, तालाब या फिर ऐसा स्थान बनाने के लिए किया जाता है. जिसमें पानी भरा जा सके और मछलियों को पकड़ने के बाद इनमें रखा जा सके.मछली पालन प्रारम्भ करने से पूर्व अप्रैल, मई एवं जून माह में तालाब मछली पालन हेतु तैयार किया जाता है।
इस व्यवसाय को करने का सबसे बड़ा स्रोत समुद्र, नदियां एवं तालाब होते हैं. लेकिन अब बढ़ती तकनीक के साथ लोगों ने मछली पकड़ने के प्राकृतिक तरीके छोड़कर नए तरीके अपना लिए हैं. अब लोगों के द्वारा कृत्रिम तालाब या टैंकों को बना कर मछली पालन शुरू कर रहे है जिससे समुद्र से मछली पकड़ने के व्यापार में लगातार गिरावट आ रही है.क्युकी अब लोगों द्वारा खुद से ही मछली फार्म का निर्माण करके मछली की पैदावार की जा रही है
मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण कैसे करे
तालाब या टैंक का निर्माण करने के तरीके
1 अगर आप समय और मेहनत बचाना चाहते हैं. तो प्लास्टिक के बड़े-बड़े टैंक खरीद सकते हैं.
2 तालाब या टैंक का जमीन पर निर्माण करने के लिए आप मशीन की सहायता से उस जगह को तालाब के आकार में बना सकते हैं.
3 तालाब या टैंक बनाने के लिए बजट कम है तो आप फावड़े और कुदाल की मदद से भी तालाब का निर्माण आसानी से कर सकते हैं. धयान रखे की तालाब या टैंक का निर्माण करने के बाद उस जगह पर ब्लीचिंग पाउडर और चूने का छिड़काव जरूर कर दें. ऐसा करने से चयनित क्षेत्र में मछलियों को हानि पहुंचाने वाले कीट एवं अनावश्यक जीव मर जाते हैं.
भारत में कोन कोन सी प्रजाति की मछलियों को पालना किया जा सकता है
मछलियों के लिए स्थान निर्माण के बाद सबसे महत्वपूर्ण बात आप कोन कोन सी प्रजाति की मछलियों को पालना चाहते ह। क्युकी भारत में मुख्य रूप से रोहू, कटला, मुर्रेल, टूना, ग्रास शार्प एवं हिस्ला आदि मछलियों की प्रजातियां पायीं जाती हैं.और यह प्रजातियां अपने आप को मानसून एवं परिस्थितियों के अनुसार ढाल सकती है.मछली पालन (फिश फार्मिंग) का व्यवसाय करने के लिए इस तरह की मछलियां चयन करना लाभदायक माना जाता है
मछली पालन के लिए बीज कहा से ले
मछली पालन हेतु बीज प्राप्त करने हेतु जनपद के मत्स्य पालक विकास अभिकरण से सम्पर्क किया जा सकता है।
जहाँ से मत्स्य बीज का पैसा जमा कराने पर अभिकरण द्वारा मत्स्य विकास निगम की हैचरी से मत्स्य बीज प्राप्त कर मत्स्य पालक के तालाब में डाला जाता है।
इसके अतिरिक्त मत्स्य पालक जनपदीय कार्यालय में मत्स्य बीज का पैसा जमा कराकर सीधे निगम से अपने साधन से मत्स्य बीज तालाब में डाल सकता है।
क्या मछली पालन के लिए मत्स्य विभाग से कोई ऋण दिया या ऋण पर किसी प्रकार का अनुदान भी दिया जाता है?
नहीं मत्स्य विभाग से कोई ऋण मछली पालन हेतु नहीं दिया जाता है अपितु तालाब निर्माण, बंधों की मरम्मत, पूरक आहार, आदि सहायता हेतु विभाग द्वारा बैंक से ऋण हेतु प्रस्ताव तैयार कराकर दीया जाता है तथा बैंक द्वारा स्वीकृत किये गये ऋण की धनराशि हेतु सामान्य जातियों को 20 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति/जनजाति के मत्स्य पालकों को 25 प्रतिशत विभाग द्वारा सरकारी अनुदान दिया जाता है।
बैंकों के द्वारा मिलता है लोन
मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अनुदान ही नहीं बैंकों की ओर से लोन भी मिलेगा। तालाब सुधार के लिए प्रति हेक्टेयर 75 हजार रुपये का ऋण तथा इनपुट पर 50 हजार रुपये का ऋण मिलेगा। निजी भूमि पर नए तालाब निर्माण के लिए 3 लाख रुपये तक का बैंक ऋण मिलेगा
मछलियों का रख रखाव एवं खाने व जिन्दा रहने की व्यवस्था
मछलियों का रख रखाव करने के लिए आपको मजदूरों की भी आवश्यकता होगी .जो कि इन मछलियों समय-समय पर इन्हें खाना दे सकें और मछलियों को सुरक्षित रखा सके,मछलियों के व्यवसाय को तेजी से बढ़ाने के लिए जरूरी है कि मछलियां तालाब में जिन्दा रह सकें और उनकी संख्या बढ़ती रहे इसके लिए आपको मछलियों के आवश्यक खाने का इंतजाम पहले से ही कर लेना चाहिए. ध्यान रहे कि भोजन मछलियों के लिए अनुकूल होना चाहिए और हो सके तो मछली की प्रजाति को ध्यान में रखते हुए उनके खाने का इंतजाम करें.
मछली पालन में पानी की गुणवत्ता का रखे खास ध्यान
इतना ही नहीं उसके साथ ही तालाब के पानी को लेकर भी सावधानी बरतना जरूरी है. पानी सही है कि नहीं इसकी जांच करने के बाद ही मछलियों को तालाब में डालें.पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए तालाब को हर हफ्ते में एक बार साफ करना होगा या आप इस प्रक्रिया को महीनें में दो बार भी कर सकते हैं.इसके साथ ही तालाब के पानी की पीएच मान भी 7 से 8 तक संतुलित करने की आवश्यकता होती है. ऐसा करने से मछलियों को साफ पानी मिलता है और मछलियों की उत्पादन क्षमता भी बढ़ जाती है.
क्या मछलिया भी बीमार होती है ?
हां मछलियों में फफूंद, जीवाणुओं,हिरूडिनिया, परजीवियों,प्रोटोजोआ,कृमियों,आदि द्वारा बीमारी उत्पन्न होती है |
जिसके निदान हेतु जनपदीय कार्यालय में सम्पर्क कर अधिकारियों/ कर्मचारियों से तकनीकी जानकारी प्राप्त कर उसके उपचार करना चाहिए।
मछलियों के उत्पादन की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद अब बात करते है मछलियों की मार्केटिंग,पैकेजिंग,और प्रॉफिट की



मछलियों की मार्केटिंग– भारत के सभी हर शहर में मछलियों को बेचने के लिए बाजार लगाया जाता है. जहां पर आप भी आसानी से अपनी मछलियों को बेच सकते हैं. इसके अतिरिक्त भारत से मछलीया विदेशों में भी भेजी जाती हैं. या आप अपनी मछलियों को सीधे तौर पर किसी होटल या छोटे दुकानदारों को भी बेच सकते हैं.
मछलियों की पैकेजिंग— होटलों और दुकानदारों को मछलियां बेचने से पहले इनकी अच्छे से पैकिंग करनी होती है. ताकि मछलियों को सही तरह से और बिना किसी परेशानी से होटलों और दुकानदारों तक पहुंचाया जा सके. अगर आप इन मछलियों को विदेश या दूसरे राज्यो में बेचते हैं तो भी पैकेजिंग की जरूरत पड़ती है. मछलियों की पैकेजिंग के लिए किसी भी तरह के पॉलिथीन बैग में की जा सकती है, ये बैग आसानी से बाजार में मिल जाते है .
मछली पालन में लगने वाली लागत और मुनाफ़ा
30 से 50 हजार रुपए के बीच में आप तालाब का पूरा सेटअप तैयार कर सकते हैं. उसके बाद मछली के बीज, खाना, पानी एवं बिजली का कुल बिल मिलाकर 1 से 1.5 लाख रूपय तक का खर्चा आता है. यानी इस व्यापार को अच्छे स्तर पर शुरू करने के लिए आपको कम से कम 2 लाख रुपए की जरूरत पड़ती है.
अगर आपने इस व्यापार में एक लाख रुपय लगाये हैं, तो आपको कम से कम 3 गुना लाभ हो सकता है. इसके अलावा इस व्यापार में होने वाला फायदा आपकी क्षमता, कार्यशैली, एवं मार्केटिंग स्तर पर निर्भर करता है. अगर आपने अच्छे से मेहनत कऋ हैं तो आपको लाभ भी अच्छा ही होगा.
कोई भी व्यापार शुरू करने से पहले उसे पंजीकृत करवाना अनिवार्य है
भारत में किसी भी व्यापार को शुरू करने से पहले उसे पंजीकृत करवाना पड़ता है. जिसके लिए आपको एक फार्म भरना पड़ता है. जिसे सरकार ने उद्योग आधार का नाम दिया है. आप सीधे एमएसएमई मंत्रालय के किसी भी सरकारी कार्यालय में जाकर अपना पंजीकरण करा सकते हैं.
जिसके लिए आपको अपने व्यवसाय सम्बन्धी सभी दस्तावेज एवं पहचान पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड एवं मालिक की फोटो आदि ले जाना होती है. आपको पंजीकरण के बाद एक पंजीयन संख्या दी जाती है. जिसका इस्तेमाल आप सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी या फिर लोन पाने के लिए कर सकते हैं. अगर आप समुद्र या नदी पर इस व्यापार को करना चाहते हैं तो आपको सरकार से नो ऑप्जेक्शन सर्टिफिकट लेना आवश्यक हो जाता है.
जागरण न्यूज़ के अनुसार मत्स्य पालन खाद्य और पोषण का प्रमुख स्त्रोत ही नहीं, बल्कि आय व आजीविका का भी अहम साधन है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग ढाई करोड़ लोग प्रत्यक्ष रूप से या तो मछुआरे का काम करते हैं या मत्स्य पालक हैं।
और लगभग इससे दोगुनी संख्या यानी पांच करोड़ के आसपास व्यक्तियों का रोजगार और आमदनी मछली उत्पादन व आपूíत की लंबी कड़ी पर निर्भर है। इस पृष्ठभूमि में केंद्र में मात्स्यिकी का पृथक विभाग बनाना एक सही व आवश्यक कदम था जो पहले कर लिया जाना चाहिए था। मात्स्यिकी विभाग बनने के बाद घटनाक्रम तीव्रता से बढ़े।
वर्ष 2019 के मई माह में लोकसभा चुनाव के बाद सरकार बनी। साथ ही बना एक नया मंत्रलय मात्स्यिकी, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रलय। कृषि मंत्रलय के अधीनस्थ विभाग अब बना स्वतंत्र मंत्रलय और इसके नामकरण में मात्स्यिकी को मिला प्रमुख स्थान।
इसके बाद दस जून को भारत सरकार के सचिवों को अपने संबोधन में ही प्रधानमंत्री ने सरकार की मंशा को यह कह कर स्पष्ट कर दिया कि मात्स्यिकी, मछली पालन, डेयरी व पशुपालन सरकार की प्राथमिकताएं होंगे। 20,050 करोड़ रुपये के प्रस्तावित परिव्यय और पांच वर्ष के सीमा काल में क्रियान्वयन के साथ मात्स्यिकी की यह अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है।
ध्यान रखें की मछलियों से काफी बुरी गंध आती है. जो आपके घर में भी फैल सकती है और इससे आस पास के लोगों को भी समस्या हो सकती है.आपको मछलियों के खाने के सामान और मछलियों की दवाओं का भी समय-समय पर इंतजाम करना होता है. इसके अलावा टब या तलाब के पानी को हफ्ते में दो बार जरूर बदलें.
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2 comments
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