Baba ka Dhaba : बाबा का ढाबा’ के मालिक कांता प्रसाद का बंद हो गया नया रेस्टोरेंट

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Baba ka Dhaba: New restaurant of Kanta Prasad, 'Baba Ka Dhaba' closed
Baba ka Dhaba: New restaurant of Kanta Prasad, ‘Baba Ka Dhaba’ closed

Baba ka Dhaba : बाबा का ढाबा’ के मालिक कांता प्रसाद का बंद हो गया नया रेस्टोरेंट, पुरानी जिंदगी में लौटे बाबा

Baba ka Dhaba : जिंदगी का कुछ नही पता कि कहां से कहां ले जाए। पिछले साल दक्षिणी दिल्ली के मालवीय नगर इलाके में बाबा का ढाबा (Baba Ka Dhaba) चलाने वाले 81 साल के कांता प्रसाद और उनकी पत्नी बादामी देवी की किस्मत एक वीडियो वायरल होने के बाद बदल गई थी। यह बात बीते वर्ष (2020 ) अक्टूबर महीने की है।

जब अचानक एक दिन में हर ओर ‘बाबा का ढाबा(Baba ka Dhaba) छा गया। लोग उनके ढाबे पर खाना खाने के लिए घंटो लाइन लगाकर खड़े रहते थे। इनका दर्द देख कई जगहों से उन्हें आर्थिक मदद भी मिली थी।जिससे कांता प्रसाद (Kanta Prasad) ने रेस्टोरेंट खोला था।

लेकिन अब खबर आ रही है,कि कांता प्रसाद का ये रेस्टोरेंट लॉकडाउन में बंद हो चुका है ।अब कांता प्रसाद वापस अपनी पुरानी जगह जहाँ से वे सुर्खियों में आये थे वे वहा लौट आए हैं। और अब कांता प्रसाद अपने ढाबे बाबा का ढाबा ’(Baba ka Dhaba) में पहले जैसी ग्राहकों की भीड़ जुटने का इंतजार कर रहे हैं।

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाबा का ढाबा ’(Baba ka Dhaba) चलाने वाले कांता प्रसाद का रेस्टोरेंट फरवरी में बंद हो गया है। लिहाजा वो अब पुराने ढाबे पर लौट आए हैं।लेकिन पहले जैसी कमाई नहीं हो रही। बीते साल वीडियो वायरल होने के बाद यहीं से उनकी कमाई में 10 गुना की बढ़ोतरी हो गई थी।बाबा इंटरनेट पर फेमस हो गए थे।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार ग्राहकों की कमी के कारण प्रसाद ने रेस्टोरेंट बंद कर दिया है। बताया जाता है कि ढाबा फरवरी में ही बंद हो गया था। यूट्यूब पर बुजुर्ग दंपति का वीडियो वायरल होने के बाद बिक्री में 10 गुना का उछाल आया था, जिसमें कुछ ही महीनों बाद भारी गिरावट आ गई।

कांता प्रसाद (Kanta Prasad) ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, “कोरोना लॉकडाउन की वजह से हमारा कारोबार गिर गया। रोजाना बिक्री 3500 रुपए से घटकर 1000 रुपए हो गई। आठ लोगों के परिवार को चलाने के लिए कमाई काफी नहीं थी।”

कांता प्रसाद (Kanta Prasad) ने बताया कि उन्होंने रेस्टारेंट में करीब ₹5 लाख का निवेश किया। तीन लोगों को काम पर रखा। मासिक खर्च लगभग 1 लाख रुपया था। ₹35,000 किराए के लिए, ₹36,000 तीन कर्मचारियों के वेतन के लिए और ₹15,000 बिजली-पानी के बिल तथा खाद्य सामग्री की खरीद के लिए।

लेकिन औसत मासिक बिक्री कभी 40,000 रुपए से अधिक नहीं हुई। इसकी वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा और आखिर में वे इस नतीजे पर पहुँचे कि रेस्टोरेंट खोलना गलत फैसला था।

गौरतलब है कि बीते साल दिसंबर में बड़े धूमधाम से इस रेस्टोरेंट की शुरुआत हुई थी। इसे उस जगह के नजदीक ही शुरू किया गया था । जहाँ कांता प्रसाद (Kanta Prasad) का ढाबा पहले से चल रहा था। उम्दा फर्नीचर, सीसीटीवी कैमरे, स्टाफ सहित कई तरह की सुविधाओं के साथ इसकी शुरुआत हुई थी।

उस समय 80 वर्षीय प्रसाद ने कहा था, “हम बहुत खुश हैं, भगवान ने हमें आशीर्वाद दिया है। मैं मदद के लिए लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूँ, मैं उनसे मेरे रेस्टोरेंट में आने की अपील करता हूँ। हम यहाँ भारतीय और चाइनीज फूड बनाएँगे।”

लेकिन चंद महीनों में ही यह उपक्रम असफल साबित हो गया। कांता प्रसाद (Kanta Prasad) ने इसके लिए तुशांत अदलखा नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता को दोषी ठहराते हुए कहा है, “कुल 5 लाख रुपए के निवेश में से रेस्टोरेंट बंद होने के बाद हम कुर्सियों, बर्तनों और खाना पकाने की मशीनों की बिक्री से केवल 36,000 रुपए ही वसूल पाए।”

हालाँकि अदलखा ने आरोपों को खारिज करते हुए इसके लिए प्रसाद और उनके बेटों को जिम्मेदार बताया है। उनका कहना है, “रेस्टोरेंट शुरू करने से लेकर ग्राहकों को लाने और भोजन की होम डिलीवरी के लिए ऑर्डर तक, हमने सब कुछ किया। इसके अलावा और क्या कर सकते थे?

कांता प्रसाद (Kanta Prasad) के दो बेटों ने रेस्टोरेंट को सँभाल रखा था, लेकिन वे शायद ही कभी काउंटर पर रहते। होम डिलीवरी के जो ऑर्डर थे उसे पूरा करने में दोनों नाकाम रहे।”

उल्लेखनीय है कि जिस यूट्यूबर गौरव वासन के वीडियो ने इस ढाबे को मशहूर किया था उसके साथ भी बाद में प्रसाद का विवाद हो गया था।