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बाबा का ढाबा सोशल मीडिया पर वायरल
बाबा का ढाबा सोशल मीडिया पर वायरल

सोशल मीडिया की ताकत क्या है इस बात का अंदाजा बाबा का ढाबा वायरल होने से लगा सकते है। यह ढाबा है मालवीय (दिल्ली) नगर के कांता प्रसाद और बादामी देवी का ये दोनों बुजुर्ग दम्पति पिछले कई बरसों से मालवीय (दिल्ली) में खाने पिने की अपनी छोटी सी दुकान चलाते हैं। परन्तु कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन से बुजुर्ग दम्पति की दुकान बंद रही और जब अनलॉक में दूकान खुली तो कोरोना के डर से सभी ग्राहक गायब हो गए।

यही कांता प्रसाद (बुजुर्ग दम्पति) की बहुत बड़ी परेशानी थी क्युकी इनकी रोजी रोटी इसी छोटी से दुकान से चलती थी।

लेकिन अचानक एक दिन एक युवक फरिश्ता बन कर आया और उनकी सारी परेशानिया कुछ ही पलो में ख़त्म हो गई। वह युवक है, गौरव वासन नाम के एक youtuber जिन्होंने ‘बाबा का ढाबा’ वाले बुजुर्ग दम्पति की दिक्कते सोशल साइड के माध्यम से सबके सामने रखी।

गौरव वासन का एक यूट्यूब चैनल है जिसका नाम  ‘swad Official‘ है। उन्होंने अपने इसी चैनल पर 6 October को 11 मिनट का एक वीडियो डाला जिसके बाद गुरुवार को हैशटैग बाबा का ढाबा ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा। और अब सोशल मीडिया की ताकत से 24 घंटे में ही बाबा का ढाबा की सूरत बदल गयी है। अब इन्हें फुरसत तक नहीं मिल पा रही है ये किसी से बात भी करे। अब दोनों बुजुर्ग दंपति बहुत ही खुश है। इससे बेहतर इस्तेमाल सोशल मिडिया का हो ही नहीं सकता।

Baba ka Dhaba कांता प्रसाद और बादामी देवी कहा के रहने वाले है ?

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के पिपरी गांव के रहने वाले कांता प्रसाद और बादामी देवी Baba ka Dhaba की उम्र 80 वर्ष से भी अधिक है। 1990 से ही मालवीय नगर में अपनी छोटी सी दुकान चला रहे हैं। इनके दो बेटों व एक बेटी है जो इनके साथ ही शेख सराय के पास रहते हैं।

अब तक ढाई लाख से ज्यादा की मिली मदद

गौरव वासन भी बृहस्पतिवार सुबह ढाबे पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि करीब ढाई लाख रुपये की मदद बाबा को मिल चुकी है। तमाम लोगों ने खाना खाने के बाद उन्हें एक सप्ताह का व एक माह का एडवांस भुगतान कर दिया।

बादामी देवी और कांता प्रसाद की कहानी

Opindia के अनुसार कांता प्रसाद बताते हैं, “मेरी जब इससे शादी हुई तब मैं सिर्फ 5 साल का था और वह (बादामी देवी) 3 साल की थी। उस दौर में अंग्रेज़ गैर शादीशुदा महिलाओं का उत्पीड़न करते थे, इसलिए शादियाँ जल्दी करा दी जाती थीं। हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, मुझे इसे पसंद करना था और उसे भी मुझसे लगाव रखना था।

यह एक ‘मोहर’ जैसा था, हम पर सिर्फ 5 साल की उम्र में एक साथ रहने का स्टाम्प लग गया था। 1961 में उसके परिवार वालों ने उसे मुझे सौंप दिया, मैं बहुत खुश था और उसे घर लेकर आया। हम 21 साल की उम्र में बेहतर अवसरों की आशा में उत्तर प्रदेश से दिल्ली आया।”

इस मामले में एक और अच्छी बात यह है कि खुद ज़ोमैटो ‘बाबा का ढाबा’ चलाने वाले दंपती की मदद के लिए आगे आया है। ज़ोमैटो ने कहा है कि अब इस ढाबे का खाना ज़ोमैटो (फ़ूड डिलीवरी एड) पर भी उपलब्ध है। साथ ही ज़ोमैटो ने इंटरनेट यूज़र्स का शुक्रिया कहा है कि वह ऐसे किसी ज़रूरत मंद को सामने लेकर आए। बहुत जल्द ज़ोमैटो पर ‘बाबा का ढाबा’ में तैयार किए जाने वाले पकवान उपलब्ध होंगे।

अंत में आप सभी से इतना ही निवेदन है की आप लोगो को भी अपने आस पास अगर इस प्रकार परेशान व्यक्ति मिले तो आपसे जितना हो सके उसकी सहायता करे।

आप लोगो ने किया भी lockdown के दौरान लोगो ने जरूरतमंदो की दिल खोल के सहायता की इसके लिए आप सभी बधाई को बहुत बहुत शुभकामनाए धन्यवाद।