बाँस के फायदे और बाँस का मुरब्बा एवं अचार बनाने की विधि

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बांस (Bamboo)किसे कहते है ? तथा इसके क्या क्या उपयोग है ?

बाँस के फायदे और बाँस का मुरब्बा एवं अचार बनाने की विधि
बाँस के फायदे और बाँस का मुरब्बा एवं अचार बनाने की विधि

बांस (Bamboo) एक पौधा होता है, यह ग्रामिनीई (Gramineae) कुल की एक अत्यंत उपयोगी घास है, जो भारत के प्रत्येक क्षेत्र में पाई जाती है इसका वैज्ञानिक नाम बैम्बूसा वुलगारिस (Bambusa vulgaris) और हिंदी में इसे बांस का बांस (Bamboo) पौधा कहते हैं।

बांस (Bamboo) एक ऐसा।पौधा है जो अनेको मुश्किलों के बाद भी बहुत तेजी से बढ़ता है। बांस (Bamboo) का उपयोग अस्थमा, कफ और गॉलब्लेडर डिसऑर्डर के लिए उपयोग होता है तथा जूस एवं दवाइयां में भी इसका उपयोग किया जाता है।

अन्य आचारो की तुलना में बांस का अचार बच्चो की लम्बाई बढ़ाने के अलावा बड़ो में अंदरूनी ताकत बढ़ाने का काम करता है

बांस (Bamboo) की कोंपलों में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन ए, ई, बी6, मैग्निशियम, कॉपर आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। बांस की कोपलों को खाने से हड्डियां भी मजबूत होती हैं। इसी कारण से आयुर्वेद में बांस को अनेको बीमारियों के लिए उपचार के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

बांस (Bamboo) का पौधा लगभग 25 से 30 मीटर तक ऊंचा होता है और इसके पत्ते लंबे होते हैं।कहा जाता है बांस गर्मी के मौसम में फूलता व फलता है। बांस की लगभग २४ जातियां भारत में पायी जाती है

जिनमे से कुछ जातियां ऐसी हैं जिनमे पुष्प उनके जीवन-काल में एक ही बार आते हैं तथा कुछ समय के बाद पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। और कुछ जातियों में फूल प्रति 3 वर्ष में आते हैं तथा इनमे से कुछ जाति के बांस ऐसे भी हैं, जिनमें प्रतिवर्ष फूल आते रहते हैं।

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बांस के पौधे के फायदे क्या क्या है ? (Benefits and Uses of Bamboo)

बाँस के फायदे और बाँस का मुरब्बा एवं अचार बनाने की विधि
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बांस लंग्स के इंफ्लामेशन को कम करता है– अगर लंग्स में सूजन है तो बांस के पत्ते का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पीने व गरारे करने से लंग्स का सूजनकम किया जा सकता है तथा इससे खांसी या गले का दर्द भी कम होता है।

बांस मोटापे को रखें दूर – जो लोग वजन कम करना चाहते हैं और पेट भी भरा रखना चाहते हैं तो उन्हें अपनी डायट में बांस जरूर शामिल करना चाहिए।आप इसे अचार, मुरब्बा, या जूस आदि के रूप में ले सकते है।

बांस से इम्यून सिस्टम मजबूत रहता है —बांस में मौजूद विटामिन, मिनरलऔर एंटी-ऑक्सीडेंट्स इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है।

बांस के उपयोग से मासिक धर्म के समस्याओं में आराम होता है — मासिक धर्म होने के दौरान दर्द होना, अनियमित मासिक धर्मचक्र, मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव या ब्लीडिंग कम होना या ज्यादा होना आदि।

इन सब में बांस का घरेलू उपाय बहुत ही लाभकारी होता है। इसके लिए 25 ग्राम वंशपत्र तथा 50 ग्राम शतपुष्पा (सोआ) को मिलाकर काढ़ाबनाये तथा इसमें गुड़ मिला कर पीये इससे मासिक-धर्म संबंधी सभी परेशानिया कम होता है।

बांस के उपयोग से अल्सर में आराम मिलता है –कभी-कभी अल्सर का घाव सूखने में बहुत देर लगता है या फिर सूखने पर पास ही दूसरा घाव निकल आता है,

ऐसे में बांस के पत्ते का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है। बांस के पत्तों का काढ़ा बनाकर प्रभावित स्थान को धोने से घाव तथा सूजन में लाभ मिलता है।

बांस के पौधे के नुकसान

प्रेग्नेंट महिलाओ और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को बांस का सेवन नहीं करना चाहिए। दरअसल इसके नियमित सेवन से गर्भधारण की क्षमता कम हो सकती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को और अन्य महिलाओं को भी इसके सेवन से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लेनी चाहिए।

अगर आप कच्चे बांस का सेवन करते हैं तो ये आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। क्योंकि, ये पेट में साइनाइड (cyanide) का उत्पादन करते हैं।

बांस को लेने की सही खुराक क्या होती है ?

बांस को लेने की खुराक व्यक्ति की उम्र,स्वास्थ्य और अन्य स्थितियों पर निर्भर करती है। अबतक इसकी निर्धारित खुराक को लेकर कोई वैज्ञानिक जानकारी नहीं है।

बाँस की खेती कैसे करे

विश्व में बांस के क्षेत्र

बाँस बीजों से धीरे धीरे उगता है। मिट्टी में आने के प्रथम सप्ताह में ही बीज उगना आरंभ कर देता है। कुछ बाँसों में वृक्ष पर दो छोटे छोटे अंकुर निकलते हैं। 10 से 12 वर्षों के बाद काम लायक बाँस तैयार होते हैं।

भारत में दाब कलम के द्वारा इनकी उपज की जाती है। अधपके तनों का निचला भाग, तीन इंच लंबाई में, थोड़ा पर्वसंधि (node) के नीचे काटकर, वर्षा शून्य डिग्री होने के बाद लगा देते हैं। यदि इसमें प्रकंद का भी अंश हो तो अति उत्तम है। इसके निचले भाग से नई नई जड़ें निकलती हैं।

बाँस का जीवन 1 से 50 वर्ष तक होता है, जब तक कि फूल नहीं खिलते। फूल बहुत ही छोटे, रंगहीन, बिना डंठल के, छोटे छोटे गुच्छों में पाए जाते हैं। सबसे पहले एक फूल में तीन चार, छोटे, सूखे तुष (glume) पाए जाते हैं।

साधारणत: बाँस तभी फूलता है जब सूखे के कारण खेती मारी जाती है और दुर्भिक्ष पड़ता है। शुष्क एवं गरम हवा के कारण पत्तियों के स्थान पर कलियाँ खिलती हैं।

बाँस की खेती जलवायु तापमान-8-36°सेल्सियस, वर्षा-1270 मि.मी. उच्च आद्रता वाले प्रदेशों मे अच्छे से होता है। इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाले सभी प्रकार की मिट्टी का उपयोग किया जाता हैं।

वजनदार मिट्टी मे यह नही होते हैं। बांस की खेती के लिए बंजर, लाल मुरम की बेकार पड़ी जमीन का उपयोग भी किसान कर सकते हैं। इसमें पानी कम लगता है। यदि ज्यादा बारिश हो जाए तो बांस को कोई नुकसान नहीं पहुंचता

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बाँस का उपयोग 

बाँस का उपयोग टिम्बर और सजावट के कामों में तो किया ही जाता है,लेकिन इसके अतिरिक् बांस को खाया भी जाता है बाँस का उपयोग कागज बनाने के लिए भी किया जाता है, बाँस से कागज बनाना चीन एवं भारत में प्राचीन उद्योग के रूप में होता है। चीन में बाँस के छोटे बड़े सभी भागों से कागज बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त बाँस का उपयोग बल्ली, सिढी, टोकरी, चटाई, आदि बनाने मेभी किया जाता है।

बांस का पेड़ अपने गुणों और खुशहाली के लिए जाना जाता है जाता है

बांस को भारत ही नहीं वर्ण फेगसुई में भी उन्नति एवं सौभाग्य का प्रतीक माना गया है जिसके लिए लोग घरो में बम्बू प्लांट्स (Bamboo plants) लगते है

कहा जाता है जब तक बम्बू प्लांट्स 1 फीट से ज्यादा तक के नहीं हो जाते तब तक इनका पानी बदलते रहना होता है तथा दिन में करीब 40 मिनटों के लिए धुप दिखानी होती है जिससे की ये हरा भरा बना रहे

अब बात करते है बांस के मुरब्बा और अचार की

बहुत लम्बे समय से विदेशो में बांस से बनने वाले आचार और मुरब्बा को पसंद
किया जा रहा है जिसकी शुरुवात भारत के कुछ शहरो में हुयी है और इसकी कीमत करीब करीब 700 से हजार रूपये किलो तक आसानी से बेचा जा सकता है।

बांस का मुरब्बा (Bamboo murabba)

बांस (Bamboo) को छोटे छोटे टुकड़ों में काट कर उन्हें अच्छी तरह धो लेंने के बाद और उसे पैन में डाल कर उसमे दालचीनी, इलायची पाउडर चीनी, नींबू का रस और पानी में मिलाकर पका कर बनने वाला बांस का मुरब्बा (Bamboo murabba) बहुत ही गुणकारी होने के साथ ही साथ स्वादिष्ट भी उतना ही होता है

बांस का अचार (Bamboo Pickle)

देश के नॉर्थ ईस्ट के लोग खाने वाले बांस (Bamboo) का उपयोग सूप, सब्जियों में तो करते ही है इसके अलावा बांस का अचार (Bamboo Pickle) बना कर खाने में भी इसका उपयोग किया जाता है ये आचार बांस के कोपलों से बनाया जाता है।

बाँस की खेती को हरा सोना भी कहते है

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5 comments

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