Egas Bagwal 2022 | uttarakhand igas festival 2022 celebration | veer madho singh bhandari |इगास महोत्सव उत्तराखंड 2022 | बूढ़ी दिवाली
Egas Bagwal 2022 | uttarakhand igas festival 2022 celebration | veer madho singh bhandari |इगास महोत्सव उत्तराखंड 2022 | बूढ़ी दिवाली
Egas Bagwal 2022 : उत्तराखंड में भैलो खेलकर ऐसे मनाया इगास, वीर माधो सिंह भंडारी की जीत की खुशी में उत्तराखंड धूमधाम से मनाई गई दिवाली।
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उत्तराखंड का लोकपर्व इगास बग्वाल (Igaas bagwal 2022) उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में दीपावली के ठीक ग्यारह दिन बाद , देवउठनी एकादशी के दिन एक लोक पर्व मनाया जाता है ,जिसे इगास बग्वाल के नाम से जाना जाता है। इगास बग्वाल का अर्थ होता है एकादशी के दिन मनाई जाने वाली बग्वाल या दीपवाली।
पहले बग्वाल के रूप में पत्थर युद्ध का अभ्यास होता था। और यह बग्वाल अधिकतर दीपावली के आस पास मनाई जाती थी। इसलिए पहाड़ों में दीपावली के पर्व को बग्वाल कहा जाता है।
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इगास बग्वाल क्यों मानते हैं | Igaas bagwal 2022 | uttarakhand igas festival 2022 celebration | veer madho singh bhandari
इगास बग्वाल को वर्तमान में पशुधन सुरक्षा और विजयोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पशुओं को नहला धुला कर ,साफ सफाई के बाद उन्हें पिंडा अर्थात पौष्टिक आहार खिलाया जाता है। उनकी उत्तम स्वास्थ और दीर्घायु की कामना की जाती है। इगास बग्वाल मानाने के पीछे एक दूसरा कारण यह है कि ,
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ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार इस दिन गढ़वाल के वीर भड़ ( वीर योद्धा ) माधो सिंह भंडारी ,तिब्बत विजय करके वापस गढ़वाल लौटे थे। उनके विजयोत्सव की ख़ुशी में यह पर्व मनाया जाता है। कहा जाता है ,कि मुख्य दीपवाली के दिन माधो सिंह भंडारी युद्ध में व्यस्त होने के कारण उनकी प्रजा ने भी दीपवाली नहीं मनाई ,
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जब वे विजय होकर वापस आये उसके बाद एकादशी के दिन सबने मिलकर विजयोत्सव मनाया। इसके अलावा कुछ लोग यह बताते हैं कि राम जी के अयोध्या लौटने का समाचार पहाड़ो में 11 दिन बाद मिला ,इसलिए यहाँ ग्यारह दिन बाद बग्वाल मनाई जाती है। यह कारण पूर्ण तह अतार्किक और मिथ्या है।
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