google doodle celebrates Gama Pehlwan 144th birth anniversary | google doodle celebrates life and achievements great Gama Pehalwan | know about great Gama in hindi



google doodle celebrates Gama Pahlwan 144th birth anniversary | google doodle celebrates life and achievements great gama pahalwan | know about great gama in hindi
Google celebrates Gama Pahlwan Birth Anniversary : सर्च इंजन गूगल (Google) ने आज, 22 मई 2022 को डूडल (Doodle) बनाकर भारतीय पहलवान ‘द ग्रेट गामा’ (Gama Pehlwan) को सम्मानित किया है. दरअसल, आज यानी 22 मई 2022 को भारतीय पहलवान ‘द ग्रेट गामा’ यानी गामा पहलवान (Gama Pahlwan)का 144वां जन्मदिन है.
Google Doodle Today : गामा पहलवान (The Great Gama Pehlwan 22 मई 1878 को यानी आज ही के दिन कुश्ती की दुनिया की एक अहम शख्सियत का जन्म हुआ था. गूगल भी आज उस शख्सियत के 144वें जन्मदिन का उत्सव मना रहा है. इसके लिए खास गूगल डूडल (Google Doodle) बनाया गया है. इस शख्सियत का नाम है- गामा पहलवान. कहा जाता है कि अपने 52 साल के करियर में गामा पहलवान (The Great Gama Pehlwan) दुनिया में कभी किसी से नहीं हारे. कई बड़े-बड़े पहलवान उनका नाम सुनकर ही मुकाबला खेलने से पीछे हट जाया करते थे.
गामा कुश्ती में जितनी मेहनत करते थे, उनकी डाइट भी उतनी ही थी. कहा जाता है कि गामा जितना खाना खाते थे उसे आम आदमी के लिए पचाना बेहद मुश्किल है. रिपोर्ट्स के मुताबिक गामा की डाइट में 6 देसी चिकन, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी और 100 रोटी शामिल होते थे.



एक दिन में 1000 से ज्यादा पुशअप
गामा पहलवान (Gama Pahlwan) को ‘रुस्तम-ए-हिंद’भी कहा जाता है. वह एक दिन में 5000 बैठक और 1000 से ज्यादा पुशअप लगा लेते थे. उन्होंने पत्थर के डम्बल से अपनी बॉडी बनाई थी. कहा जाता है कि गामा पहलवान ने एक बार 1200 किलो के पत्थर को उठाकर कुछ दूर चलने का कारनामा कर दिखाया था.फेमस मार्शल आर्टिस्ट ब्रूस ली से भी गामा बेहद प्रभावित थे.
बताया जाता है कि गामा अपने अखाड़े में 40 पहलवानों के साथ कुश्ती की प्रैक्टिस करते थे. गामा अपनी फिटनेट के लिए खान-पान का विशेष ध्यान रखते थे. वो रोज 6 देसी चिकन, 10 लीटर दूध और बादाम के शर्बत अपनी डाइट में शामिल करते थे.गामा के बारे में कहा जाता है कि अपने 50 साल से अधिक के करियर में वह कभी किसी से कुश्ती में नहीं हारे.
उन्होंने भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में नाम रोशन किया. भारत में सभी पहलवानों को धूल चटाने के बाद 1910 में वह अपने भाई इमाम बख्श के साथ इंटरनेशन कुश्ती चैंपियनशिप में भाग लेने इंग्लैंड गए. जहां उन्होंने पहलवानों को खुली चुनौती दी थी कि वह किसी भी पहलवान को 30 मिनिट में हरा सकते हैं