पंडित जी का दक्षिणा को अपनी जेब में रखना सही है या गलत

आस्था
पंडित जी का दक्षिणा को अपनी जेब में रखना सही है या गलत
पंडित जी का दक्षिणा को अपनी जेब में रखना सही है या गलत

रतलाम के प्रसिद्ध महालक्ष्मी मंदिर में पांच दिवसीय दीपोत्सव के दौरान पुजारी जी (Pandit ji) का एक वीडियो सामने आया था। वीडियो में मंदिर के पुजारी दक्षिणा में मिले पैसे अपनी जेब में रखते हुए नजर आ रहे है। इसका वीडियो कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के पास पहुंचने के बाद उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए। एसडीएम अभिषेक गहलोत ने पुजारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।

इस पर विवाद बढ़ने पर लोग पुजारी जी के समर्थ में आ गए और सरकार के द्वारा मंदिरो, धर्मस्थलों को सरकारों की ओर से कब्जाए जाने को लेकर भी विरोध कर रहे है।

पंडित जी का दक्षिणा को अपनी जेब में रखना सही है या गलत 

दान दो तरह का होता है पहला निस्वार्थ भाव से किया जाता है। और दूसरा कुछ लोग दान करने की प्रतिज्ञा भी लेते है।

यह परम्परा सनातन धर्म में आदि काल से चली आ रही है राजा बलि इतने पराक्रमी होते है उन्होंने पृथ्वी स्वर्ग सब जीत लिया था भगवान् को भी उनसे जीतने के लिए ब्राह्मण रूप में अवतार लेना पड़ता है भगवान् वामन जब राजा बलि के द्वार पर पहुंचते है उनसे दान में तीन पग जमीन मांगते है और ब्राह्मण उन दो पगो में ही पृथ्वी और आकाश नाप देते है।

अब बारी आती है तीसरे पग की तो ब्राह्मण राजा बलि से पूछते है की अब तीसरा पग कहाँ रखू तो राजा बलि ब्राह्मण के आगे अपना सिर झुका के कहते है की महाराज मेरे सर पर रखिये तो ब्राह्मणो को इस तरह सम्मान दिया जाता था जो आज भी प्रचलित है।

अब बात करते है दक्षिण की। सनातन धर्म के अनुसार दक्षिणा भगवान यज्ञ की पत्नी है और फल उनका पुत्र है भगवान यज्ञ अपनी पत्नी दक्षिणा और पुत्र फल से सम्पन्न होने पर सभी कर्मों का फल देते है। अगर आप किसी यज्ञ कर्म, पूजा, विधान और जप आदि का फल प्राप्त करना चाहते है तो आपको अपनी श्रद्धा अनुसार दक्षिणा देनी चाहिए ऐसा शास्त्रों में बताया गया है।

आज दक्षिणा में रूपये देने का प्रचलन है पर गावो में आज भी रुपयों से ज्यादा अनाज फल गौ (गाय) दान और भूमि दान आदि दक्षिणा के रूप देते है। वहां पर आजीविका का साधन कृषि है तो उनके पास जो होता है वही दक्षिणा में देते है।और दक्षिणा पर ब्राह्मण का अधिकार होता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दू शिक्षा लेना भी एक यज्ञ है इसीलिए गुरु को दक्षिणा (Pandit ji) दी जाती है।

ब्राह्मण को ही दान की सामग्री क्यों दी जाती हैं ?

सनातन धर्म में त्याग और ज्ञान को सबसे बड़ा माना गया है। ब्राह्मण का अर्थ होता है जो ब्रह्म के मार्ग का अनुसरण कर रहा हो और वह संभव है ज्ञान से ज्ञान यानि नॉलेज तो वह अपना जीवन इसी में समर्पित कर देते थे। और वही लोगो को शिक्षा भी देते थे मतलब वो गुरु भी है

हमारा संविधान बने हुए केवल 75 साल हुए है इससे पहले तो लोग इसी तरह से शिक्षा ग्रहण करते थे यज्ञ, सत्संग कथा पाठ आदि के द्वारा ही ज्ञान पीढ़ी दर पीढ़ी दिया जाता रहा वह इतने ज्ञानी होते हुए भी कभी राजा नहीं बने।

काशी, नालंदा तक्षिला आदि जैसे गुरुकुल हमारे यहां मौजूद थे भारत ही नहीं अपितु दुनिया भर से लोग यहां शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते थे और उस ज्ञान के भण्डार को विदेशी आक्रांताओ ने नष्ट कर दिया और आज भी हमारी संस्कृति पर लगातार हमले हो रहे है

बॉलीवुड ने फिल्मो के माध्यम से ब्राह्मणो को लालची निकम्भे अज्ञानी और धूर्त और अंधविस्वास फ़ैलाने वाला दिखाया क्योकि सनातन धर्म को नष्ट करना है तो सबसे पहले ब्राह्मणो को ख़त्म करना होगा । अगर हम अपनी सभ्यता और संस्कृति बचाने के लिए अपनी आवाज नहीं उठाते है तो हमारा पतन निश्चित है।

इस मुद्दे पर जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल patrika.com ने किया है वह भी निंदनीय है। तलवारो से करोडो लोगो की हत्या करने वालो को और मुझे दुःख के साथ बाल दिवस के अवसर पर कहना पड़ रहा है की छोटे-छोटे बच्चो को जिन्दा दीवारों में चिन देने वालो का आज महिमा मंडान किया जा रहा है। और जिन्होंने सदा शांति की बात की उनको चोर बताया जा रहा है।

उम्मीद है लोग दान और दक्षिणा का अंतर समझेंगे और अब आप को निष्कर्ष निकलना है की क्या पंडित जी (Pandit ji) सही है या गलत।

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

हिन्दी भावार्थ: सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी का जीवन मंगलमय बनें और कोई भी दुःख का भागी न बने।
हे भगवन हमें ऐसा वर दो!