सुप्रीम कोर्ट ने ‘लव जिहाद कानून’ पर रोक लगाने से किया इनकार

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love jihad : सुप्रीम कोर्ट ने ‘लव जिहाद कानून’ पर रोक लगाने से किया इनकार
image by : आप इंडिया

देश के विभिन्न भाजपा शासित राज्यो में ((BJP ruled states) ) ने ‘लव जिहाद’ (Love Jihad ) के खिलाफ कानून (Love Jihad law) बनाया, जिससे महिलाओं की प्रताड़ना रोकी जा सके

। ऐसे कानून उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और असम में बने, साथ ही कर्नाटक, मध्य प्रदेश और हरियाणा में लव जिहाद’ के खिलाफ कानून की तैयारी चल रही है। यूपी में अभी ये सिर्फ एक अध्यादेश है, जबकि उत्तराखंड में ‘लव जिहाद पर 2018 में कानून बन चुका है.ये सभी राज्य भाजपा शासित हैं।

लेकिन बहुत लोगों ने इन कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कई याचिकाएँ दायर की,बीते वर्ष (दिसम्बर 2020) में उत्तर प्रदेश में लव जिहाद पर बने कानून के खिलाफ 104 रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखते हुए

इसे नफरत की राजनीति का केंद्र बताया था।लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान इन कानूनों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालाँकि, इन याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई हेतु स्वीकार भी कर लिया है।

इन याचिकाओं में ‘लव जिहाद’ के खिलाफ बने राज्य सरकारों के कानूनों की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए गए हैं। याचिकाकर्ताओं ने इस बात का डर जताया है कि अन्य राज्यों में भी इसी तरह के कानून आ रहे हैं, जो ठीक नहीं है। इन कानूनों को धोखे से शादी और जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए लाया गया है, ताकि महिलाएँ इसका शिकार न बनें।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि किसी भी शादी को लेकर ये साबित करना कि ये धर्मांतरण के लिए नहीं किया गया है – कपल्स पर ही इसका सारा दारोमदार थोप दिया गया है, जो आपत्तिजनक है। लेकिन, जब उन्होंने इन कानूनों के लागू होने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की माँग की, तो मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इसके लिए याचिएकाकर्ताओं को उन राज्यों के हाईकोर्ट्स में जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो इन मुद्दों पर चर्चा कर के दलीलें सुनने के पक्ष में है, बजाए कि इसे अभी रोकने के। इस मामले में राज्य सरकारों का पक्ष जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (जनवरी 4, 2021) को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को नोटिस भी जारी किया था । इस पीठ में जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस एएस बोपन्ना भी शामिल थे।

विकास ठाकरे और तीस्ता सीतलवाड़ के NGO ने ये याचिकाएँ दायर की हैं।

लव जिहाद कानूनों के खिलाफ ये याचिकाएं विशाल ठाकरे नाम के एक वकील और सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस (Citizens for Justice and Peace) नाम के एनजीओ ने डाली है

इन याचिकाकर्ताओं ने अपने वकीलों के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया कि ‘लव जिहाद’ कानून (Love Jihad law) की आड़ में पुलिस ने कई निर्दोष लोगों को उठा लिया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि इलाहबाद हाईकोर्ट में ऐसी याचिकाओं पर पहले से ही सुनवाई चल रही है।

उन्होंने कहा कि जब कई हाईकोर्ट्स में केस पेंडिंग हैं तो सुप्रीम कोर्ट को सुनना चाहिए। CJI ने कहा कि वो देखेंगे कि ये कानून ‘दमनकारी’ (आरोपों के हिसाब से) हैं या नहीं।

हाल ही में उत्तर प्रदेश में लव जिहाद पर बने कानून के खिलाफ 104 रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखते हुए इसे नफरत की राजनीति का केंद्र बताया था।

जिस पर योगी सरकार के मंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि उन अधिकारियों को सेवा के दौरान गलत तरीके से हासिल की गई संपत्ति को खोने का डर सता रहा है। हालाँकि, इससे दोगुने से भी ज्यादा अधिकारियों ने पत्र लिख कर कानून का समर्थन भी किया।