Hindi Diwas 2023 | hindi diwas kyu manaya jata hai | hindi diwas kab manaya jata hai | vishwa hindi diwas kab manaya jata hai

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Hindi Diwas 2023 | hindi diwas kyu manaya jata hai | hindi diwas kab manaya jata hai | vishwa hindi diwas kab manaya jata hai Hindi Diwas history, importance in hindi | 14 सितम्बर को हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है, इतिहास व महत्त्व

 Hindi Diwas : हिंदी हिंदुस्तान की भाषा है। राष्ट्रभाषा किसी भी देश की पहचान और गौरव होती है। हिंदी हिंदुस्तान को बांधती है। इसके प्रति अपना प्रेम और सम्मान प्रकट करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है।

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इसी कर्तव्य हेतु हम 14 सितंबर के दिन को “हिंदी दिवस” (Hindi Diwas) के रूप में मनाते हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, साक्षर से निरक्षर तक प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति हिंदी भाषा को आसानी से बोल-समझ लेता है। यही इस भाषा की पहचान भी है कि इसे बोलने और समझने में किसी को कोई परेशानी नहीं होती।

भारत की पहचान विविधातों वाले देश की हैं,जहाँ पर विभिन्न प्रान्तों में भौगोलिक विविधताओं के साथ ही वेश-भूषा,संस्कृति और भाषा के भी कई रंग घुले हुए हैं. भारत से ही देवनागरी लिपि निकली हैं,जिसके बारे में कहा जाता हैं कि ये समस्त भाषाओँ की जननी हैं. लेकिन भारत की प्राचीनतम भाषाओं में संस्कृत भाषा को माना जाता हैं, हालांकि हिंदी का उद्भव भी संस्कृत से ही हुआ हैं,

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लेकिन भारत में तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम जैसी कुछ बहुत सी प्राचीन भाषाओं से सम्बन्धित साक्ष्य भी मिलते हैं इसलिए हिंदी के प्रचलन में कमी होना स्वाभाविक हैं. प्राचीन काल से ही भारत का भूगोल भी कुछ ऐसा रहा हैं कि हिमालय पर्वत माला,मैदानी हिस्सों और दक्षिण के पठार तक ने देश को कई हिस्सों में इस तरह बाँट रखा था कि विभिन्न संस्कृतियों का आपस में मेल होना भी मुश्किल था,

ऐसे में स्वाभाविक हैं कि देश में भाषा सम्बन्धित विभिन्ताएं हो. हालांकि रामायण/महाभारत के काल में सम्पूर्ण भारतवर्ष में एक ही भाषा संस्कृत  होने के प्रमाण मिलते हैं. किन्तु बाद के वर्षों में क्षेत्रीय भाषाओं का वर्चस्व रहने के साक्ष्य सामने आते हैं, उसके बाद विदेशी आक्रान्ता भी अपने साथ अपनी भाषा लेकर आये थे, जिसमे पहले उर्दू और बाद में अंग्रेजी ने सबसे ज्य़ादा जगह बनाई.

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बदलते युग के साथ अंग्रेजी ने भारत की जमीं पर अपने पांव गड़ा लिए हैं। जिस वजह से आज हमारी राष्ट्रभाषा को हमें एक दिन के नाम से मनाना पड़ रहा है। पहले जहां स्कूलों में अंग्रेजी का माध्यम ज्यादा नहीं होता था,

आज उनकी मांग बढ़ने के कारण देश के बड़े-बड़े स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे हिंदी में पिछड़ रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्हें ठीक से हिंदी लिखनी और बोलना भी नहीं आती है। भार‍त में रहकर हिंदी को महत्व न देना भी हमारी बहुत बड़ी भूल है

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सो अंतत: स्वतन्त्रता के समय और उसके पश्चात की स्थितियों का आंकलन करे, तो तत्कालीन परिस्थितियों में इस देश में छाई भाषाई विभिन्नता को कम करने के लिए कोई एक भाषा की आवश्यकता महसूस हुई,

तो वो एकमात्र हिंदी भाषा ही थी, जिसे स्वतंत्र भारत के संविधान में राजकीय भाषा होने का दर्जा दिया गया. हालांकि अभी इस भाषा की लोकप्रियता और प्रायोगिक होने की अधिकता उत्तर भारत में प्रभावीरूप से देखी जाती हैं, लेकिन इसमें छुपी सम्भावनाओं को देखते हुए ही इसे ये सम्मान हासिल हैं.

हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता हैं
हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता हैं

हिंदी दिवस का महत्व -Importance

हिंदी भाषी राष्ट्र जिसका नाम ही हिन्दुस्तान है,यहाँ हिंदी दिवस मनाने के आवश्यकता क्यों हुई होगी?? इस सवाल का जवाब हिंदी दिवस (Hindi Diwas) के महत्व को समझकर ही समझा सकता हैं.

वास्तव में आज भारत में 55% जनसंख्या हिंदी में संवाद नहीं करती, लिखित हो या मौखिक कोई भी माध्यम में हिंदी का उपयोग नहीं करती,

यहाँ तक कि कई प्रान्तों में तो प्राथमिक शिक्षा से लेकर कॉलेज के स्तर तक भी हिंदी भाषा का पाठ्यक्रम में कोई स्थान ही नहीं हैं. वास्तव में देश में पहले से क्षेत्रीय भाषा में ही शिक्षा का महत्व रहा था,

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हालांकि इन भाषाओं का अंग्रेजों के आने के बाद तब महत्व खत्म होने लगा, जब आम-जन को समझ आया कि देश के बाहर की दुनिया से संवाद स्थापित करने के लिए हिंदी या क्षेत्रीय भाषा की नहीं, बल्कि अंग्रेजी भाषा सीखने की आवश्यकता है,

तो अंग्रेजी तेजी से अपनी जगह बनाने लगी. क्योंकी तब तक सभी विदेशी साहित्य, ज्ञान-विज्ञान की किताबे भी अंग्रेजी में ही उपलब्ध थी. जिन्हें समझने के लिए भी अंग्रेजी का ज्ञान होना आवश्यक था.

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ऐसे में देश के कई हिस्सों में अंग्रेजी ने प्रथम भाषा का दर्जा हासिल कर पाया,और जहां नहीं कर सकी, तो ये दुसरे स्थान पर रही. और इस तरह से इन हिस्सों में हिंदी (Hindi) की आवश्यकता बिलकुल कम रह गयी.

ऐसे में आज की परिस्थितियों में हिंदी (Hindi) को सामान्य स्तर पर बचाए रखने के लिए इस तरह के दिवस  का अयोजन बहुत आवश्यक हो जाता हैं. इसका महत्व तब और बढ़ जाता हैं जब साहित्यिक गतिविधियों में भी अंग्रेजो और उर्दू ने अपने पैर मजबूत कर लिए हैं. आम-जन साहित्य को उर्दू से जोडकर समझने लगे,

और लेखन में अंग्रेजी माध्यम से ज्यादा से ज्यादा पाठकों तक पहुच बना सकने की आवश्यकता ने भी हिंदी साहित्य से दूरी बना दी थी. इसलिए यदि सरकार हिंदी से सम्बन्धित कार्यों के लिए कोई पुरूस्कार या सम्मान समारोह का आयोजन करती हैं तो स्वाभाविक हैं कि हिंदी के प्रति रुझान बढ़ेगा.

हिंदी को बढ़ाने का काम इन साहित्यकारों ने किया

महान साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (Bharatendu Harishchandra) ने हिंदी को आगे बढ़ाने दिशा में बहुत काम किया है। इसी वजह से उन्हें हिंदी का पितामह भी कहा जाता है। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने महज 34 वर्ष की आयु में हिंदी को आगे ले जाने की दिशा में काम किया। इसी वजह से उनके समय को हिंदी इतिहास में भारतेंदु युग कहा जाता है।

वहीं हिंदी प्रसिद्ध साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) को कौन नहीं जानता होगा। इन्होंने अपने लेखनी से हर किसी को दीवाना बन गया। हिंदी में लिखे हुए इनकी कहानी और साहित्य किताबें आज लोगों के बीच चर्चा में बनी रहती है। इन्होंने हिंदी के क्षेत्र में जो योगदान दिया है उसे भुलाया नहीं जा सकता है।

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भारतेंदु हरिश्चन्द, मुंशी प्रेमचंद के अलावा भी कई साहित्यकारों ने हिंदी को आगे बढ़ाने की दिशा में काम किया है, जिसमें जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर नाम भी शामिल है।

हिंदी दिवस कैसे मनाया जाता हैं ? -How to celebrated ?

हिंदी दिवस (Hindi Diwas)को देश में काफी सम्मान और हर्ष के साथ मनाया जाता हैं. यहाँ सम्मान का तात्पर्य उस वर्ग के लिए है, जिसने अपने आम-जीवन में अंग्रेजी को प्राथमिकता दी है, लेकिन इस दिवस (Hindi Diwas) पर वो भी हिंदी को सम्मान देते देखे जा सकते हैं.

इसके लिए सोशल मीडिया एक ऐसा मंच हैं जहां आप अपनी अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का उपयोग करते हुए देश की राष्ट्र भाषा के रूप में ओचान रखने वाली भाषा का उपयोग करते हैं.

औपचारिक रूप से राष्ट्रीय भवन भी इस दिवस को मनाने में पीछे नहीं रहता. देश के राष्ट्रपति हिंदी साहित्य में योगदान देने वाले व्यक्ति का सम्मान करते हैं, इस पुरूस्कार से हिंदी साहित्य अब भी अपना अस्तित्व सम्मान के साथ बनाये हुए हैं. इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय बैंक, मिनिस्ट्री और कुछ विभागों को भी राज-भाषा सम्बन्धित अवार्ड दिए जाते हैं.

25 मार्च 2015 को इन पुरूस्कारों के नामों में कुछ परिवर्तन किया गया था, जिनमें राजीव गाँधी ने राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरूस्कार का नाम बदलकर राजभाषा गौरव पुरूस्कार किया गया था, जबकि इंदिरा गांधी राजभाषा पुरूस्कार का नाम भी राजभाषा कीर्ति पुरूस्कार रखा गया

हिंदी जानने और बोलने वाले को बाजार में अनपढ़ या एक गंवार के रूप में या तुच्छ नजरिए से देखा जाता है, यह कतई सही नहीं है। हमें स्वतंत्रता तो मिल गई, लेकिन स्वभाषा नहीं मिल पाई, जिसके बिना स्वतंत्रता अभी भी अधूरी है। अत: देश के हर नागरिक की गरिमा बनी रहे,

इसके लिए जरूरी है कि हर हिंदुस्तानी को अपनी भाषा का प्रयोग हर जगह, हर स्तर और हर समय करते रहना होगा। आज हर माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों को विदेशी भाषा सिखाने पर जितना ज्यादा ध्यान दिया जाता है, उससे अधिक हिंदी की तरफ ध्यान दे।

हालांकि पहले की अपेक्षा अब हिन्‍दी भाषा लगातार लो‍कप्र‍िय होती जा रही है। सोशल मीडि‍या से लेकर तमाम प्‍लेटफॉर्म पर हिन्‍दी का बोलबाला है। इसके साथ ही हिन्‍दी में रोजगार या करियर बनाने के विकल्‍पों में भी लगातार इजाफा होता जा रहा है।

हिन्‍दी दुनिया की दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। एक रिपोर्ट के मुताबि‍क इस समय दुनियभर में हिन्‍दी बोलने वालों की संख्या 55 करोड़ से ज्‍यादा है, वहीं हिन्‍दी समझ सकने वाले लोगों की संख्या करीब 1 अरब से भी ज्यादा है।

प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, इंटरनेट, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच और संस्थाओं में हिन्‍दी के इस्‍तेमाल में इजाफा हुआ है।

फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और व्हाट्सएप जैसे प्‍लेटफॉर्म पर अब हिन्‍दी का ही दबदबा है। गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज कंपनियों ने भी हिन्‍दी में बहुत बड़े पैमाने पर काम करना शुरू कर दिया है। ऐसे में हिंदी के क्षेत्र में करि‍यर की भी बहुत संभावना है।तो हिंदी को अपनाये देश का मान बढ़ाये

Hindi Diwas :हिंदी दिवस पर महापुरुषों के अनमोल विचार व वचन
Hindi Diwas

हिंदी दिवस का इतिहास -Hindi Divas History

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भारतीय संविधान ने हिंदी को सम्मान के साथ स्थान दे तो दिया, लेकिन इससे जुड़े नियम लागू करने के लिए कुछ प्रयत्नों की आवश्यकता महसूस हुई. ऐसे में हिंदी की स्थिति को आम-जन में सुधारते हुए हिंदी दिवस को मनाना जरूरी हो गया. लेकिन ये जानना बहुत जरुरी हैं कि हिंदी की संवैधानिक स्थिति क्या हैं?


आर्टिकल 120 के अनुसार पार्लियामेंट में हिन्दी का उपयोग होना चाहिए, आर्टिकल 210 में भी विधान सभा में हिंदी सम्बन्धित नियम बनाये गये हैं.आर्टिकल 343 के अनुसार यूनियन की आधिकारिक भाषा देवनागरी लिपि में हिंदी होगी.

संघ के आधिकारिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप होगा. इन सबके अलावा भी संविधान में हिंदी के पक्ष में कुछ नियम निर्धारित किये गए हैं.

हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता हैं? – Why it celebrated reason

भारत के स्वाधीनता संग्राम क्रान्तिकारियों को जिस भाषा ने एक सूत्र में जोड़ रखा था,वो हिंदी ही थी. एक समय जब क्षेत्रीय भाषाओं का साहित्य मे महत्वपूर्ण स्थान था, तब हिंदी के साहित्यकारों ने जो परिवर्तन की क्रान्ति का आगाज किया, उसे भारतीय इतिहास कभी भुला नहीं सकता.

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और 19वी शताब्दी की शुरुआत तो हिंदी के साहित्यकारों के मुख्य-धारा में आने का सबसे महत्वूर्ण समय था. भारतेंदु हरिश्चंद्र, निराला, मुंशी प्रेमचन्द, हरिवंश राय बच्चन कुछ नाम-मात्र हैं जिन्होंने हिंदी साहित्य को एक नया आयाम दिया. स्वतन्त्रता के बाद भी इस सूची में नाम बढ़ते ही रहे.

ऐसे में हिंदी को संविधान में जगह मिलना स्वाभाविक था. इसलिए ही 1949 में जब संविधान सभा संविधान संबधित महत्वपूर्ण निर्णय ले रही थी, तब 14 सितम्बर 1949 के दिन ही हिंदी भाषा को राजकीय भाषा का दर्जा दिया गया था.

इस कारण ही इस दिन को प्रति वर्ष “हिंदी दिवस” (Hindi Diwas) के रूप में मनाने की रीति प्रारम्भ हुई, और तब ये किसी ने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि कालान्तर में ये “हिंदी दिवस” (Hindi Diwas) की पहचान और सम्मान के लिए ऑक्सिजन के जैसे काम करेगा.
हालांकि अब भी ये दिन काफी उत्साह से मनाया जाता हैं लेकिन इसके साथ कई सवाल हैं,जिनके जवाब हर साल खोजे जाते हैं,हर साल संसद से लेकर मीडिया और गाँवों-शहरों में होने वाली आम लोगों की बहस में ये बहस विषय का रहता हैं कि “हिंदी दिवस (Hindi Diwas)क्यों मनाया जाता हैं ?” जिनमे सबसे महत्वपूर्ण संशय हिंदी के राष्ट्र भाषा  या राज भाषा होने के सन्दर्भ में होता हैं.

वास्तव में हिंदी को भारत की राष्ट्र भाषा नहीं राज-भाषा घोषित किया था, जिसका अर्थ हैं की यहाँ की आधिकारिक भाषा हिंदी है. 13 जनवरी 2010 को गुजरात हाई कोर्ट ने भी एक आदेश में ये माना था कि हिन्दी भारत देश की राज भाषा हैं जबकि इसे राष्ट्र भाषा माना जाता हैं,जबकि रिकॉर्ड में ऐसा कोई प्रावधान मौजूद नहीं हैं जिसमें लिखा हो कि ये देश की राष्ट्र भाषा हैं.

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14 सितम्बर को हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाने के अलावा विश्व स्तर पर हिंदी साहित्य को पहचान दिलाने के लिए 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस (Hindi Diwas)भी मनाया जाता हैं.

विश्व स्तर पर हिंदी भाषा को ये सम्मान मिलना वास्तव में गौरव का विषय हैं. हिंदी दिवस के होते हुए भी विश्व हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य विश्व भर में हिंदी साहित्य के पक्ष में एक माहौल बनाना और भारत की तरफ से इस भाषा को प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत करना हैं.

यही कारण हैं कि विदेशों में भी इस दिन विशेष आयोजन किया जाता हैं. वास्तव में 10 जनवरी 1975 को नागपुर में विश्व-हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया था. अत: कालान्तर में 10 जनवरी 2006 के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस दिन को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की.

2023 में हिंदी दिवस कब है ?-Hindi diwas in 2021

2023 में भी हिंदी दिवस (Hindi Diwas)प्रति वर्ष की भांति 14 सितम्बर को मनाया जाएगा. इस उपलक्ष्य में राष्ट्रपति भवन में आधिकारिक कार्यक्रम के आयोजन के अलावा देश के विभिन्न शैक्षणिक, गैर-शैक्षणिक संस्थाओं में भी इसे मनाया जाएगा. इस उपलक्ष्य में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के द्वारा  प्रतियोगिताएं आयोजित की जा सकती हैं,

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जिससे साहित्य के लिए नीव मजबूत हो सके. कविता पाठ और गीत गायन, नाटिकाओं का आयोजन भी इस दिवस को मनाने का एक तरीका हो सकता हैं. लेकिन इन सबसे ऊपर जिस बात की सबसे अधिक आवश्यकता है, वो आधिकारिक और औपचारिक कार्यक्रमों से लेकर आम-जीवन तक हिंदी को सम्मान देने की है.