Presidential Election | How We Choose President India | Presidential Election In India | राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति चुनाव

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Presidential Election | How We Choose President India | Presidential Election In India | राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति चुनाव

Presidential Election : देश में इस वक्त तीन चुनावों को लेकर काफी चर्चा है। पहला गुजरात, हिमाचल प्रदेश का विधानसभा चुनाव, दूसरा राज्यसभा

और फिर राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति चुनाव। 9 जून गुरुवार को दोपहर तीन बजे चुनाव आयोग भारत के 15वें राष्ट्रपति के चुनाव कार्यक्रम लिए चुनाव का एलान कर चूका है ।

देश के मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. राष्ट्रपति कोविंद ने 25 जुलाई 2017 को भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. देश के 15वें राष्ट्रपति को 25 जुलाई 2022 को शपथ लेनी है

India Presidential Election: केंद्रीय चुनाव आयोग (Central Election Commission) ने राष्ट्रपति चुनावों (Presidential Elections) के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है. केंद्रीय चुनाव आयोग ने जो शेड्यूल जारी किया है उसके मुताबिक 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होगा और 21 तारीख को मतगणना होगी.

राष्ट्रपति पद का चुनाव तब होगा जब उम्मीदवार (Candidate) एक से ज्यादा होंगे और चुनाव की नौबत आएगी. 18 जुलाई को अगर राष्ट्रपति चुनावों के लिए मतदान की जरूरत पड़ी तो इसमें लोकसभा (Lok Sabha), राज्यसभा (Rajya Sabha) और विधानसभा (Vidhan Sabha) के सदस्य हिस्सा लेंगे और 21 जुलाई को मतगणना (Counting Of Votes) होगी, जिसके बाद देश के नए राष्ट्रपति के नाम की घोषणा की जाएगी.

राष्ट्रपति पद के लिए होता है अप्रत्यक्ष चुनाव?

भारत में राष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता के वोटों से तय नहीं होता. बल्कि जनता के चुने हुए प्रतिनिधि यानी की सांसदों और विधायकों के वोटों से राष्ट्रपति का चुनाव होता है. इसीलिए इसको अप्रत्यक्ष चुनाव भी कहते हैं.

लोकसभा, राज्यसभा और अलग-अलग विधानसभा में सदस्यों के आंकड़ों को देखें तो भाजपा काफी मजबूत स्थिति में है। ऐसे में हर किसी की नजर भाजपा के संभावित उम्मीदवार पर टिकी है। कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल

राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज से होता है. राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग करने वाला निर्वाचन मंडल भी महत्वपूर्ण माना जाता है. लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य और इसके अलावा सभी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य मिलाकर निर्वाचक मंडल बनाते हैं.

विधान परिषद् के सदस्य इसके सदस्य नहीं होते. लोकसभा और राज्यसभा के नामांकित सदस्य भी इसके सदस्य नहीं होते हैं. 776 सांसद ( मनोनीत को छोड़ कर ) और विधान सभा के 4120 विधायकों से निर्वाचन मंडल बनता है.


लोकसभा और राज्यसभा के सांसद भी डालेंगे वोट।

पहले जान लीजिए राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?

राष्ट्रपति का चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा के सभी सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोट डालते हैं। इन सभी के वोट की अहमियत यानी वैल्यू अलग-अलग होती है। यहां तक कि अलग-अलग राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू भी अलग होती है। एक सांसद के वोट की कीमत 700 होती है। वहीं, विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की आबादी और सीटों की संख्या पर निर्भर होती है।

presidential of india
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कौन लड़ सकता है राष्ट्रपति चुनाव?

चुनाव लड़ने वाला भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी उम्र 35 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। चुनाव लड़ने वाले में लोकसभा का सदस्य होने की पात्रता होनी चाहिए। इलेक्टोरल कॉलेज के पचास प्रस्तावक और पचास समर्थन करने वाले होने चाहिए।

वोटर्स कितने होंगे?

राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा के सदस्य वोट डालते हैं। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में अभी 230 सांसद हैं। जून और जुलाई में 57 सदस्यों की सदस्यता खत्म हो रही है, हालांकि इनमें से 41 सीटों पर निर्विरोध सदस्य चुने जा चुके हैं, जबकि बची हुई सीटों पर 10 जून को चुनाव हो जाएंगे।

राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत 12 राज्यसभा सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डालते हैं। वहीं, 543 सदस्यों वाली लोकसभा में अभी 540 सांसद हैं। तीन सीटें खाली हैं। इन पर भी चुनाव की प्रक्रिया जारी है। मतलब साफ है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा की सभी खाली सीटों पर उपचुनाव हो जाएंगे।

चुने गए सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालेंगे। सभी राज्यों की विधानसभा के विधायकों की कुल संख्या 4,033 हैं। सांसदों और विधायकों को मिलाकर इस चुनाव में कुल वोटर्स की संख्या 4809 है।

अब जानिए भाजपा कैसे उम्मीदवार खड़ा कर सकती है?

‘2014 के बाद से भाजपा वही कर रही है, जो किसी ने सोचा नहीं होगा। जैसे 2017 में अचानक से रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति और वैंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति चुना गया। उस वक्त तक इन दोनों नाम पर कोई चर्चा नहीं थी। इस बार भी कुछ ऐसा ही हो सकता है।’

‘मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश के दलित और उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू आंध्र प्रदेश के कायस्थ परिवार से आते हैं। जिस वक्त रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति बनाए गए थे, उस वक्त वह बिहार के राज्यपाल भी थे। ऐसे में अभी के हालात को देखते हुए तीन वर्ग से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार उतारा जा सकता है।’

1. महादलित या आदिवासी : ऐसा संभव है कि इस बार भाजपा महादलित या किसी आदिवासी को देश के राष्ट्रपति या फिर उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में उतार सकती है। खासतौर पर दक्षिण के महादलित या आदिवासी चेहरे को यह मौका मिल सकता है।

2. सिख : मौजूदा समय भाजपा का पंजाब पर काफी फोकस है। किसान आंदोलन के बाद सिख समुदाय में भाजपा के प्रति नाराजगी बढ़ गई थी। ऐसे में संभव है कि सिख चेहरे को राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जा सकता है।

3. मुस्लिम : किसी मुस्लिम चेहरे को भी राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। पिछले दिनों में आई अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में इसके लिए दो नामों की चर्चा भी हो रही है। इनमें केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी शामिल हैं।

लेकिन यह तय है कि दोनों पदों में से एक पर उत्तर तो दूसरे पर दक्षिण भारत का चेहरा उतारा जाएगा। ऐसा करके उत्तर से लेकर दक्षिण तक के सियासी गणित को साधा जा सकता है।

presidential of india
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किसके पास कितना प्रतिशत ( % ) है

निर्वाचन मंडल में राजनीतिक गठबंधनों कांग्रेस की लीडरशिप वाले UPA गठबंधन के पास लगभग 23 फीसदी वोट है. उधर सत्तारूढ बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन के पास करीब 49 फीसदी वोट हैं. अपने उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनवाने के लिए एनडीए को बीजेडी और वायएसरआरसी के समर्थन की आवश्यकता होगी.

बीते राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद 65.35% मत मिले थे.एनडीए की कोशिश होगी कि इस बार भी यह आंकड़ा छू पाए.पीएम मोदी ओडीशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेडडी से मिल चुके हैं. समझा जाता है कि राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार के लिए पीएम ने समर्थन मांगा है, हालांकि ये दोनों नेता चाहते हैं कि पहले एनडीए उम्मीदवार का नाम सामने आए फिर समर्थन पर फैसला होगा.

चुनाव आयोग देगा मतदाताओं को पेन

चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालने वाले सांसदों और विधायकों के लिए नियम भी जारी कर दिए. वोट देने वाले मतदाताओं को चुनाव आयोग अपनी तरफ से एक पेन मुहैया कराएगा, ये पेन रिटर्निंग ऑफिसर के पास मौजूद रहेगा. मतदान केंद्र में यह पेन मतदाताओं को मतपत्र सौंपते समय दिए जाएंगे. अगर मतदाताओं ने वोट चिह्नित करने के लिए किसी और पेन का इस्तेमाल किया तो मतगणना के समय उनका वोट अवैध करार दे दिया जाएगा.

प्रथम चुनाव चिह्नित करना होगा जरूरी

मतदाताओं को उम्मीदवारों की संख्या के आधार पर वरीयता के आधार पर पसंद का मतदान करना होगा. मतदाताओं ने अगर अपना प्रथम चुनाव चिह्नित नहीं किया और बाकी चुनावों पर चिह्न लगाए तो यह वोट अवैध माना जाएगा. यानी पहली पसंद का भरना ज़रूरी होगा