Shani Jayanti :2021 में कब है शनि जयंती,शनि जयंती का महत्व
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2021 में कब है शनि जयंती, शनि देव मंत्र व चालीसा क्या है – Shani Dev 2021 Jayanti, Mantra, Chalisa
शनि जयंती (Shani Dev 2021 Jayanti) भगवान् शनि के जन्म दिवस पर मनाई जाती है. इसे शनि अमावास्या भी कहते है. माना जाता है कि इस दिन शनि महाराज नवग्रह से बाहर आकर पहली बार धरती पर दिखाई दिए थे.
शनि जयंती (Shani Jayanti) के दिन नवग्रह व् शनि मंदिर में स्पेशल पूजा की जाती है. कहते है जिनकी कुंडली में शनि का दोष रहता है, उन्हें इसके प्रकोप से बचने के लिए भगवान् शनि की आराधना करनी चाहिए. शनि महाराज को सबसे गुस्से वाला कहा जाता है,
अगर शनि की दशा ख़राब चल रही होती है, तो बने हुए भी काम बिगड़ जाते है, जीवन में सुख शांति सफलता नहीं रहती है. शनि की द्रष्टि आपके जीवन में ना पड़े, इसके लिए पंडित तरह तरह के उपाय आपको बताते है. हर शनिवार शनि मंदिर में तेल का दान, शनिवार उपास ये सब किया जाता है.यह भी पढ़े : Vat Savitri Puja 2021: हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है
शनिदेव सूर्यदेव व् उनकी पत्नी छाया के पुत्र है, जो शनिग्रह में वास करते है. इनके बड़े भाई यमलोक के महाराज यमराज है. शनिग्रह नौ ग्रहों में से एक है, जो सबसे धीमी गति से घूमता है, सूर्य का एक चक्कर लगाने में इसे 30 सालों का लम्बा समय लगता है.इसलिए इसे शनिश्चर भी कहते है. कहा जाता है,
जब शनि ने जन्म लेते ही पहली बार आँख खोली थी, तो उनके पिता सूर्य पर ग्रहण लग गया था. इसलिए ज्योतिष के अनुसार इनकी द्रष्टि बहुत बुरी मानी जाती है. बुरे काम करने वालों को ये माफ़ नहीं करते और कड़ी सजा देते है. वहीं इन्हें न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। शनि देव को यह उपाधि देवों के देव महादेव ने दी है।
शनि देव व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार फल देते हैं। जीवन में सुख, शांति, समृद्धि आदि के लिए शनि देव की कृपा बहुत जरूरी है। जिस भी भक्त को इनका आशीर्वाद मिल जाए, उसके जीवन के दुःख दूर हो जाते हैं।
शनि देव किसी के साथ अन्याय नहीं होने देते हैं। बशर्तें आपको छल, कपट, ईर्ष्या, द्वेष आदि बुराइयों से दूर रहना चाहिए। शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए भी शनि देव की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
वे मनुष्यों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते है. जन्म से काले शनि देव को काला रंग बहुत पसंद था. ये पुरे काले रंग का वस्त्र धारण करते है, व् काला कौआ इनका वाहन है.
शनि जयंती 2021 कब है -Shani Jayanti 2021 Date
उत्तरी भारत के पुर्निमंत कैलेंडर के अनुसार शनि जयंती ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि में मनाई जाती है. दक्षिण भारत के कैलेंडर के अनुसार शनि जयंती वैशाख माह की अमावस्या तिथि को आती है. शनि जयंती उत्तरी भारत में मनाई जाने वाली वट सावित्री व्रत के दिन ही आती है. दोनों ही व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाये जाते है. यह इस बार 10 जून, गुरूवार को मनाई जाएगी.
शनि जयंती का महत्व -Shani Jayanti Mahatv or Significance
अपने जीवन में सुख शांति समृद्धि के लिए शनि भगवान की पूजा आराधना बहुत जरुरी है. इस दिन उपास रहने, शनि की पूजा से वे खुश होते है. तेल दान का इस दिन बहुत महत्त्व होता है. शनि की मूर्ति में तेल अर्पण करना चाइये.
कुछ लोग कुंडली, ज्योतिष शास्त्र पर अत्याधिक विश्वास करते है. उनके द्वारा बताये जाने पर वे शनि की स्पेशल पूजा करवाते है. शनि का महत्व हमारे जीवन के हर एक क्षण में है, बीमारी, स्वास्थ्य, डर, मृत्यु, नुकसान ये सब शनि पर निर्भर करते है.
शनि देव पूजा विधि , क्या करे शनि जयंती पर – Shani Dev Jayanti puja vidhi
शांति जयंती पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखा जाता है. पूजा व् आराधना के बाद रात को चावल व् उड़द दाल की खिचड़ी बनाकर ग्रहण कर सकते है. इस दिन दान दक्षिणा का बहुत महत्त्व होता है. शनि महाराज की पूजा आप घर पर या मंदिर में जाकर कर सकते है. यह भी पढ़े : उड़द दाल की बड़ियां
पूजा में लगने वाला समान -Shani Dev Puja Samagri
काली तिल, सरसों का तेल, काला कपड़ा,तिल का तेल,काली चना दाल,काली मिर्च,लॉन्ग,तुलसी,काला नमक
शनि जयंती की घर में पूजा करने का तरीका -Shani Jayanti puja
- सुबह जल्दी उठकर नहा लें.
- सभी नौ गृह को एक साथ रखे, साथ में शनि महाराज की काले रंग की मूर्ति रखें. मूर्ति को सबसे पहले पानी से नहलायें.
- फिर तिल व् सरसों का तेल इनके उपर चढ़ाएं.
- फिर इन्हें काले वस्त्र से सजाएँ.
- अब काली तिल, चना चढ़ाएं.
- अब तिल के तेल का दीपक जलाकर, आरती करें.
- तिल व् चावल का दान करें. साथ ही पूजा में आने वाली वस्तुओं का भी दान करें. 108 बार ॐ शानिचरय नमः मन्त्र का उपचार करें
शनि के साथ साथ हनुमानजी की आराधना से भी शनि महाराज खुश होते है. इसके अलावा आप शनि मंदिर में जाकर भी पूजा कर सकते है. मंदिर में जाकर शनि की मूर्ति में तेल अर्पण कर, काली तिल चढ़ाएं. काला कपड़ा चढ़ाकर दीपक जलाएं. काले वस्त्र, तेल का दान जरूरतमंद को करें|
शनि जयंती से जुड़ी कथा -Shani Jayanti Katha / story
शनि देव सूर्य व् छाया के पुत्र है. लेकिन इससे पहले सूर्य देव की शादी संध्या से भी हुई थी, जिससे उनको तीन पुत्र थे, मनु, यम व् यमुना. संध्या अधिक समय तक सूर्य की चमक, गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाई, इसलिए उन्होंने जाने का फैसला लिया. लेकिन वे अपनी छाया (shadow) अपने पति की सेवा के लिए छोड़ जाती है. इन्ही छाया से शनिदेव उत्पन्न होते है. यह भी पढ़े : Healthy Cooking Oils : कौन सा तेल स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है
शनि जयंती मन्त्र -Shani Dev Mantra
मूल मन्त्र – ॐ शनि शनिचराय नमः
शनि ध्यान मन्त्र – नीलांजना समाभसम रवि पुत्रं यमाग्रजम छाया म्र्त्तंदा,
संभूतं तम नमामि शनै श्वारम ||
शनि गायत्री मन्त्र – ॐ शनिचराय विद्महे , सुर्यपुत्र धीमहि, तन्नो मंदा प्रचोदयात्||
शनि दोष या शनि की साढ़े साती कुंडली के सबसे बड़े दोष माने जाते है.
आपको शनि जयंती की पूजा के बारे में बताया है, शनि की साढ़े साती ख़राब होती है, लेकिन इससे डरने की बात नहीं होती. दुनिया में सभी मनुष्यों के जीवन में उतार चढाव आते है. लेकिन ऐसे बहुत से ज्योतिष शास्त्री व् पंडित होते है, जो मनुष्यों का ऐसे समय में फायदा उठते है.
वे उन्हें जबरजस्ती शनि के नाम पर डराने की कोशिश करते है, जिससे वे लोग इनको अधिक दान करें. साथ ही इससे मनुष्य और परेशान होकर उनके चक्कर लगाने लगता है. कड़ी मेहनत, दृढ़ विश्वास व् संकल्प से बड़ी से बड़ी परेशानियों को दूर किया जा सकता है. अपने कार्य के प्रति लगन व् मेहनत को शनि देव भी देखते है और उचित फल देते है.यह भी पढ़े : Solar Eclipse : Surya Grahan 2021:सूर्य ग्रहण में क्या करे और क्या ना करे
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